tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post1843193658155662834..comments2024-03-12T00:43:05.067-07:00Comments on ज्ञानवाणी: चाह्ते कैसी- कैसी !वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-79923281141644131842011-07-08T21:05:41.375-07:002011-07-08T21:05:41.375-07:00कहूँ= कुछकहूँ= कुछAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-40928105367400023322011-07-08T11:55:14.311-07:002011-07-08T11:55:14.311-07:00बहुत देर से आया, सब कहूँ सुना पढ़ा जा चुका है...लेक...बहुत देर से आया, सब कहूँ सुना पढ़ा जा चुका है...लेकिन एक बात सच में दोहराने को मन हुआ।<br />अनुराग जी से साभार, "आप चिट्ठा चर्चा क्यों नहीं करतीं?"Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-83081883310364973682011-07-07T23:27:31.413-07:002011-07-07T23:27:31.413-07:00वाह ...बहुत खूब कहा है ।वाह ...बहुत खूब कहा है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-40181795010158383942011-07-05T09:05:51.654-07:002011-07-05T09:05:51.654-07:00पता नहीं कैसे ये पोस्ट पढ़ने में इतनी देर हो गयी.....पता नहीं कैसे ये पोस्ट पढ़ने में इतनी देर हो गयी...व्यस्तता तो है...फिर भी थोड़ी देर को ही ऑनलाइन आ ही जाती हूँ...<br /><br />कोई नहीं...देर से आने का फायदा रहा...ढेर सारी टिप्पणियाँ पढ़ने को मिलीं....सबने तो सब कह दिया...और हमने सब सुन लिया...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-82292623173958600712011-07-02T22:50:22.054-07:002011-07-02T22:50:22.054-07:00मनोभावों का सुन्दर चित्रण!मनोभावों का सुन्दर चित्रण!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-31167680178386978442011-07-02T10:42:18.972-07:002011-07-02T10:42:18.972-07:00ज्यादा पढना भी कई बार कन्फ्यूज कर देता है ! :):) ...ज्यादा पढना भी कई बार कन्फ्यूज कर देता है ! :):) <br /><br />अब तुम्हारी पोस्ट पढ़ मैं कन्फ्युज़याई हुई हूँ ... क्या कहूँ ..मैं तो बस यही सोच रही हूँ ...जाने क्यों लोंग मुहब्बत किया करते हैं ...<br />सच न जाने कैसी कैसी होती हैं चाहतें :)<br /><br />बढ़िया पोस्टसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-55995623391667430572011-07-02T08:15:20.171-07:002011-07-02T08:15:20.171-07:00'तुम्हारे प्यार'तुम्हारी अदा का दीवाना !
...'तुम्हारे प्यार'तुम्हारी अदा का दीवाना !<br /><br />आशय ये कि मामला दोतरफा है जिसमें प्रणयगत एकाधिकार का निवेदन / मनुहार खुदा के हवाले से है ! यानि कि इस प्रणय में खतरनाक / जूनून / ईर्ष्या / जलन के अलावा एक आयाम 'हवाला' भी है जोकि आजकल दिलदार के इतर कलदार के लिए बदनाम सा है :)<br /><br />हवाले वाले इस प्रेमगीत की तुलना में मोहतरमा अदा जी के हवाले वाला गीत सीधे सीधे तू तड़ाक पर उतरे हुए प्रेम जैसा और धमकीनुमा है ! इस हिसाब से प्रेम की धमक वाला पक्ष आप भूल गईं थीं जिसे अदा जी ने याद दिलाया :)<br /><br />बहरहाल सुन्दर प्रविष्टि !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-10685542085503937762011-07-02T07:08:51.065-07:002011-07-02T07:08:51.065-07:00इस आलेख में आपने मन के द्वंद को शब्द दे दिये हैं, ...इस आलेख में आपने मन के द्वंद को शब्द दे दिये हैं, बहुत सुंदर, शुभकामनाएं,<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-72259599461828052082011-07-02T04:13:38.310-07:002011-07-02T04:13:38.310-07:00प्रेम को परिभाषित कहाँ कर सका है कोई ?
सुन्दर पोस्...प्रेम को परिभाषित कहाँ कर सका है कोई ?<br />सुन्दर पोस्ट |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-31207916943717109872011-07-02T02:15:24.187-07:002011-07-02T02:15:24.187-07:00प्रेम जब हद से गुजर जाने लगता है , तब पेथोलोजिकल ह...प्रेम जब हद से गुजर जाने लगता है , तब पेथोलोजिकल हो जाता है । जैसे फिल्म डर में शाहरुख़ खान को दिखाया गया है । इसे पागलपन भी कह सकते हैं । ऐसे प्यार का क्या फायदा ?डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-76012409053038083422011-07-02T00:46:14.373-07:002011-07-02T00:46:14.373-07:00दिनभर विचारों के न जाने कितने दृश्यों को देख हम वा...दिनभर विचारों के न जाने कितने दृश्यों को देख हम वापस आ जाते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-16802354799280300822011-07-01T23:42:07.788-07:002011-07-01T23:42:07.788-07:00वाह..बहुत ही अच्छा लिखा है ...पर अंतिम पंक्ति बहु...वाह..बहुत ही अच्छा लिखा है ...पर अंतिम पंक्ति बहुत कुछ कह गई .... ज्यादा पढना भी कई बार कन्फ्यूज कर देता है ! सब कुछ कह दिया अब तो आपने ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-24555513267259261882011-07-01T21:40:20.638-07:002011-07-01T21:40:20.638-07:00हल्का फुल्का अंदाज़ लेकिन गहरी ...प्यारी बातें...हल्का फुल्का अंदाज़ लेकिन गहरी ...प्यारी बातें... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-60071436886738578142011-07-01T21:36:20.365-07:002011-07-01T21:36:20.365-07:00@ ज्यादा पढना भी कई बार कन्फ्यूज कर देता है !
हम ...@ ज्यादा पढना भी कई बार कन्फ्यूज कर देता है !<br /><br />हम त बिना क्न्फ़ुजियाये हुए अपनी बात कहने आए हैं कि एक दिन पहले, हमरो भूते सवार था और कोई कहता सर जी ये फ़ाइल त हम कहते “आज कल में ढ़ल गया, दिन हुआ तमाम।”<br /><br />अब भोरे भोर (हां शाम वाला ई गाना, भोरे भोर)सुन लिए और ऐसा चढा कि हर बात में आज कल में ही ढलता रहा।<br /><br />बाकी ऊ प्यार व्यार पर त एक्के गाना हमको अच्छा लगता है ...<br /><br />होठों के पास आए हंसी क्या मजाल है<br />दिल का मुआमला है कोई दिल्लगी नहीं<br />ज़िन्दा हूं इस तरह कि हमें ज़िन्दगी नहीं<br />जलता हुआ दिया हूं मगर रोशनी नहीं<br /><br />(अब देखिए, आजो भोरे भोरे ई गाना गा दिए, अब दिन भर ...! :) भगवाने जाने दिन भर होठ पर हंसी आती है कि ...)मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-66467543020986091332011-07-01T21:35:47.006-07:002011-07-01T21:35:47.006-07:00prem ke vibhinn aayamo ko samet liya di...aapne:)prem ke vibhinn aayamo ko samet liya di...aapne:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-16245671334403111862011-07-01T20:56:24.992-07:002011-07-01T20:56:24.992-07:00बात अपनी - अपनी ..नजरिया अपना - अपना ..लेकिन वास्त...बात अपनी - अपनी ..नजरिया अपना - अपना ..लेकिन वास्तविकता एक जैसी ...!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-18248867431842814212011-07-01T20:45:41.984-07:002011-07-01T20:45:41.984-07:00क्या बात है रश्मि प्रभा जी , प्रेम का एक अंजाम ये ...क्या बात है रश्मि प्रभा जी , प्रेम का एक अंजाम ये भी है ...GR8!<br />आपका हल्का- फुल्का अंदाज़ भी भाया!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-74996766727210859172011-07-01T20:41:49.234-07:002011-07-01T20:41:49.234-07:00jab pyaar sar pe chadha rahta hai to bol aise hi n...jab pyaar sar pe chadha rahta hai to bol aise hi nikalte hain ... phir hota hai , ab chain se rahne do mere paas n aaoरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-75907096145824493972011-07-01T20:32:49.752-07:002011-07-01T20:32:49.752-07:00@ सही कहा अदा जी ,
इस गीत वाला एंगल तो रह ही गया प...@ सही कहा अदा जी ,<br />इस गीत वाला एंगल तो रह ही गया पोस्ट में ...ये भी एक अंदाज़ है चाहत का :)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-52175176417013731182011-07-01T20:30:52.404-07:002011-07-01T20:30:52.404-07:00@मृत्यु, प्रेम भी सबके लिए एक जैसा कहाँ ... किसी क...@मृत्यु, प्रेम भी सबके लिए एक जैसा कहाँ ... किसी को मृत्यु में भय है , किसी को प्रेम ...<br />कितने रूप है प्रेम के , चाहतों के ....<br />चाहतें कैसी -कैसी ....<br /><br />सही है,सबकी चाहत अजब-गजब .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-71172937942736620422011-07-01T20:27:32.171-07:002011-07-01T20:27:32.171-07:00अब का कहें..चलिए कह ही देते हैं...
'तुम अगर मु...अब का कहें..चलिए कह ही देते हैं...<br />'तुम अगर मुझको ना चाहो तो कोई बात नहीं.....तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगी....' ऐसा भी तो कहते हैं लोग-बाग़...<br />प्रेम खरतनाक होता है तो होता रहे.. ...खतरों से खेलने का शौक़ है जी बहुतों को...और फिर इस में बहादुरी की कौनो ज़रुरत भी नहीं होती...:)<br />आपकी सुबह और हमारी रात...और आपकी ख़तरनाक बात...<br />लगता है रात भर हम यही गीत गुगुनायेंगे अब...<br />हाँ नहीं तो...!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-41527805948094114542011-07-01T20:00:51.727-07:002011-07-01T20:00:51.727-07:00Nice post.
धन्यवाद !
http://hbfint.blogspot.com/20...Nice post.<br />धन्यवाद !<br /><a href="http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_01.html" rel="nofollow">http://hbfint.blogspot.com/2011/07/blog-post_01.html</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-64641788429890103132011-07-01T19:54:52.372-07:002011-07-01T19:54:52.372-07:00जिससे भी मन प्रेम करने लगता है, बस चाहता है कि मेर...जिससे भी मन प्रेम करने लगता है, बस चाहता है कि मेरे सिवा भी कोई और हो खुदा ना करे। सम्पूर्ण प्रेम, कोई कांट-छांट नहीं। सुबह-सुबह जो भी जुबा पर चढ़ जाता है, वह दिन भर चढ़ा ही रहता है। बढिया पोस्ट।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-87033794269802844592011-07-01T19:27:07.862-07:002011-07-01T19:27:07.862-07:00मैंने बहुत पहले एक पोस्ट ऐसी ही लिखी थी ...जब सुबह...मैंने बहुत पहले एक पोस्ट ऐसी ही लिखी थी ...जब सुबह ही सुबह कोई रामधुन ऐसे ही जुबां पर चढ़ जाती है और पूरा दिन उधम मचाये रखती है ....<br />फूल ही फूल खिल उठे हैं मेरे पैमाने में <br />आप क्या आये बहार आ गयी मेरे मैखाने में <br />आज का मेरा गीत तो यह है ....<br />बाकी तो जो आपने लिखा है उसके बहुत से निहितार्थ भी हैं वे चरितार्थ कभी हो पायें या न हो पायें ....<br />हाँ जब महिला किसी पर दावेदारी करती है जिसकी दावेदारी किसी और महिला की भी होती है तो वे दोनों महिलायें आपस में रकाबा होती हैं -यह सब बस इस शब्द की जानकारी के ही लिए ....कोई अन्य अर्थ अभिप्रेत नहींArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-85999301826689870062011-07-01T18:09:59.558-07:002011-07-01T18:09:59.558-07:00प्रात काल की सुंदर पोस्ट बहुत राज खोल रही है !!!!!...प्रात काल की सुंदर पोस्ट बहुत राज खोल रही है !!!!!.Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.com