tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post361184366574389227..comments2024-03-12T00:43:05.067-07:00Comments on ज्ञानवाणी: रोशनी है कि धुआँ..... (8 )वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-16434343313939309302014-05-15T04:49:28.549-07:002014-05-15T04:49:28.549-07:00धुंए के पार रोशनी है , विश्वास और दृढ़ता कायम रहे ...धुंए के पार रोशनी है , विश्वास और दृढ़ता कायम रहे तो धुंध को चीर कर रोशनी की लकीर पहुँचती ही है !!<br />यक़ीनन ...... सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-33143781117710583332014-05-13T05:33:19.347-07:002014-05-13T05:33:19.347-07:00बहुत ही सकारात्मक सोच, शुभकामनाएं.
रामराम.बहुत ही सकारात्मक सोच, शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-42645191334026933872014-05-12T22:31:52.213-07:002014-05-12T22:31:52.213-07:00धुंए के पार रोशनी है , विश्वास और दृढ़ता कायम रहे ...धुंए के पार रोशनी है , विश्वास और दृढ़ता कायम रहे तो धुंध को चीर कर रोशनी की लकीर पहुँचती ही है !!<br /><br /><br />nice conclusion.Dr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-58786596678671767002014-05-12T05:28:21.583-07:002014-05-12T05:28:21.583-07:00अरे ये क्या। ।ये किश्त तो ताबड़ तोड़ समेट डाली आपने...अरे ये क्या। ।ये किश्त तो ताबड़ तोड़ समेट डाली आपने। इतनी किश्तों की उत्सुकता और प्रभाव खत्म कर दिया :( . तेजस्वी के कुछ संघर्ष और कारनामे बाकि थे अभी. <br />हालाँकि कहानी अच्छे नोट पर ख़त्म हुई है और सकारात्मक सोच की और प्रेरित करती है। फ़िर भी. । इस किश्त में पहली किश्तों जैसा मजा नहीं आया :( shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-69518590167997105292014-05-11T23:58:19.870-07:002014-05-11T23:58:19.870-07:00सीमा को इन्साफ दिलाने के बाद कहानी ख़त्म हो जायेगी ...सीमा को इन्साफ दिलाने के बाद कहानी ख़त्म हो जायेगी ... अंत आते आते ही पाता चला ... शायद जल्दी ख़त्म हो गयी है कहानी ...<br />पूरी कहानी सामाजिक ताने बाने और अपने समाज में स्त्री के सामने आने वाली चुनौतियां को मध्य रख रची गयी है ... संवेदनशीलता लिए रोचकता बनी रही कहानी के अंत तक ... बहुत बहुत बधाई ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-14494197757014073182014-05-10T15:54:10.302-07:002014-05-10T15:54:10.302-07:00अभी तो यही किश्त पढी है पर सीमा और तेजस्वी दोनों ह...अभी तो यही किश्त पढी है पर सीमा और तेजस्वी दोनों ही किरदार आज की लडकियों के सामने उदाहरण हैं । लडकियों को अपने मर्जी की शिक्षा दिलाना ौर अपने पैरों पर खडा करना माँ बाप का कर्तव्य है।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-84927342766181203972014-05-10T10:31:25.506-07:002014-05-10T10:31:25.506-07:00इस तरह अभिभावकों का लड़कियों का साथ देना ..हर हाल म...इस तरह अभिभावकों का लड़कियों का साथ देना ..हर हाल में निभाये जाने की सीख से परे ,उन्हें नयी ज़िन्दगी शुरू करने में सहयोग देना बहुत ही अच्छे संकेत हैं . कहानी इस बदलती हुई सोच को परिलक्षित करती है. <br /><br />सकारात्मक सोच को दर्शाती कहानी बहुत अच्छी लगी . rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-22972740804875456032014-05-10T08:29:52.778-07:002014-05-10T08:29:52.778-07:00धुंए के पार रोशनी देखने का साहस और विश्वास ...धुंए के पार रोशनी देखने का साहस और विश्वास ही बेटियों को देना होगा । सार्थक सीख देती अच्छी कहानी। कहानी में निरंतर प्रवाह बना रहा ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-17486138776360429692014-05-10T07:37:23.913-07:002014-05-10T07:37:23.913-07:00अवश्य ही ! आभार आपका !
:)अवश्य ही ! आभार आपका !<br />:)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-6065522473209966252014-05-10T07:37:03.227-07:002014-05-10T07:37:03.227-07:00लड़कियों का स्वावलंबी होना बहुत जरूरी है! सच में।लड़कियों का स्वावलंबी होना बहुत जरूरी है! सच में।रचना त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/12447137636169421362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-40648784831149286752014-05-10T07:35:00.013-07:002014-05-10T07:35:00.013-07:00भय को परे हटाकर खुशियों भरा जीवन बेटियां भी चाहती ...भय को परे हटाकर खुशियों भरा जीवन बेटियां भी चाहती हैं , आजकल अभिभावक भी यही सोचते हैं और बच्चियां जबरदस्ती रिश्ता निभाये जाने से मुक्त हैं , सकारात्मक सोच है समाज की !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-1514706707889882872014-05-10T07:32:21.378-07:002014-05-10T07:32:21.378-07:00वास्तव में कहानी की मूल भावना स्त्री पर अत्याचार स...वास्तव में कहानी की मूल भावना स्त्री पर अत्याचार से अधिक यह है कि परिवारों में बहुत सी घटनाएँ ऐसी होती है जो प्रत्यक्षतः अत्याचार नजर नहीं आती . इस कहानी में भी दिखने में प्रतिष्ठित परिवार है , सुशील लड़का है , मगर लड़की भय के साए में है बिना किसी शारीरिक अत्याचार के . परिवारों के इस प्रकार के शोषण को खुल कर बताया नहीं जा सकता और किसी पत्नी या बेटे के लिए इसे स्वीकार करना भी मुश्किल होता है . यह कहानी भय से मुक्ति की है . <br />अच्छा लगता है देखकर कि आजकल लड़कियां और उनके परिवार वाले डरते नहीं है . मगर स्वयं भयभीत न होना अच्छा है बशर्ते दूसरों को भय के साए में न रखा जाए , तस्वीर के इस दूसरे रुख पर भी लिखनी है कहानी जल्दी ही !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-76798195003272451032014-05-10T07:26:12.209-07:002014-05-10T07:26:12.209-07:00विवाह में खर्च होने वाली रकम और स्त्रीधन के रूप मे...विवाह में खर्च होने वाली रकम और स्त्रीधन के रूप में वह अपना अधिकार ले चुकी है , इसलिए आगे भरण पोषण के खर्च में उसकी रूचि नहीं .<br />असहजता रिश्तों में मुक्ति मांगती थी !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-45111171183084223672014-05-10T07:09:07.968-07:002014-05-10T07:09:07.968-07:00चुनौतियों की धार पर शिक्षा देती कहानी चुनौतियों की धार पर शिक्षा देती कहानी रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-21977081748652315442014-05-10T03:40:05.585-07:002014-05-10T03:40:05.585-07:00 kahani ka prvaah ekdam badiyaa ek sans mein padh... kahani ka prvaah ekdam badiyaa ek sans mein padh gyi .....Happy blogging ...... kabhi hamari likhi kahaniyaan bhi padhe hamare blog par :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10711074114205495463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-35162203570576082542014-05-09T20:13:41.299-07:002014-05-09T20:13:41.299-07:00हम्म स्त्री पर अत्याचार की कहानी ......
ये ही कड़ी ...हम्म स्त्री पर अत्याचार की कहानी ......<br />ये ही कड़ी पढी अभी ......एक कारन कभी समझ नहीं आया .....लड़की और लड़की के परिवार वाले हमेशा डरते क्यों हैं?Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-13143749638010389102014-05-09T18:19:36.863-07:002014-05-09T18:19:36.863-07:00 आभार आपका ! आभार आपका !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-33369335368266518262014-05-09T18:18:53.892-07:002014-05-09T18:18:53.892-07:00बहुत आभार !बहुत आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-15240609684797814222014-05-09T17:56:50.830-07:002014-05-09T17:56:50.830-07:00भरण पोषण की रकम लेने में सीमा की रूचि नहीं होना ? ...भरण पोषण की रकम लेने में सीमा की रूचि नहीं होना ? <br />असहज संबंधों / पीड़ा दाई संबंधों / लगभग एकपक्षीय संबंधों को ढोना सरासर मूर्खता है जिसे सीमा ने काफी लंबे समय तक ढोया ! <br />असहज संबंधों से मुक्ति / परित्याग / विच्छेद को भी आलोक माना गया ये बात जमती है ! <br />आख़िरी किश्त ज़रा ज़ल्दबाज़ी में समेट दी गई लगती है ,संभवतः कुछ विघ्नसंतोषी मित्रों का दबाब रहा हो :) बहरहाल कथा को आठों किश्तों में पढ़ने के बाद ही टिप्पणी करना चाहिए मुझे, देखता हूं कि यह कब संभव होगा ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-10203887815237544532014-05-09T11:04:40.585-07:002014-05-09T11:04:40.585-07:00हमारे परिवेश का कटु सत्य समझाती हुयी यह कहानी किस...हमारे परिवेश का कटु सत्य समझाती हुयी यह कहानी किस तरह एक सार्थक सीख पर आ पहुंची, अच्छा लगा पढ़कर | सच, अब इस दृष्टिकोण से भी सोचना होगा बेटियों के लिए | खुशियों के मायने नए ढंग से परिभाषित करने होंगें | डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-69991842833061321922014-05-09T10:47:02.097-07:002014-05-09T10:47:02.097-07:00बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की च...बहुत सुन्दर प्रस्तुति।<br />--<br /> आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (10-05-2014) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "मेरी हैरानियों का जवाब बस माँ" (चर्चा मंच-1608) </a> पर भी होगी!<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com