tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post3771752199942275155..comments2024-03-12T00:43:05.067-07:00Comments on ज्ञानवाणी: हम बड़े क्यों हो जाते हैं !!!वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-54086929812373196842011-10-28T08:16:21.188-07:002011-10-28T08:16:21.188-07:00tabhi kahate hain samwad ka hona jaruri hai rishto...tabhi kahate hain samwad ka hona jaruri hai rishto ki garmi ko banaye rakhne k liye.<br /><br />sunder vishay.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-87095695061748362132011-10-24T12:46:33.443-07:002011-10-24T12:46:33.443-07:00"शायद इसलिए ही कहा गया है मेरे भीतर का बच्चा ..."शायद इसलिए ही कहा गया है मेरे भीतर का बच्चा बड़ों की देखकर दुनिया, बड़ा होने से डरता है!" शायद नहीं सौ फीसदी सच है...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-29240813655280245782011-10-23T15:48:16.933-07:002011-10-23T15:48:16.933-07:00बड़े हो जाने पर ज्यादा मन करता है बच्चा बने रहने क...बड़े हो जाने पर ज्यादा मन करता है बच्चा बने रहने का ...... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-82363347717561569582011-10-23T04:13:29.782-07:002011-10-23T04:13:29.782-07:00बच्चे मन के सच्चे...रोचकता से समझाई बात.सुन्दर पोस...बच्चे मन के सच्चे...रोचकता से समझाई बात.सुन्दर पोस्ट.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-63887441562160759022011-10-23T03:43:08.623-07:002011-10-23T03:43:08.623-07:00बहुत अच्छा व भावपूर्ण लेख,बधाई! बचपन मेँ जहाँ हम अ...बहुत अच्छा व भावपूर्ण लेख,बधाई! बचपन मेँ जहाँ हम अपनेपन को पहले रखते हैँ वहीँ बड़े होने पर अहम को । और अहम के चलते दोस्त,रिश्तेदार क्या अपने माँ-बाप से भी दूरी बनाके रखते हैँ। जाने कितनी औपचारिकता,बनावट,दंभ और दंद फंद से ओतप्रोत रहते हैँ। जीवन की सबसे बड़ी हार और जीत व्यक्ति की मासूमियत मेँ ही निहित है।Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-11082957527787015072011-10-23T00:16:38.176-07:002011-10-23T00:16:38.176-07:00बढिया पोस्ट,
दीवाळी की शुभकामनाबढिया पोस्ट, <br /><br />दीवाळी की शुभकामनाब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-22705134415687535782011-10-22T23:17:43.646-07:002011-10-22T23:17:43.646-07:00ओह, बचपन से बड़े होने में जो तनाव झेला है, उसकी बज...ओह, बचपन से बड़े होने में जो तनाव झेला है, उसकी बजाय बच्चे ही रह जाते तो क्या मजा होता! पर दुनियाँ सतत बचपनत्व के सिद्धांत पर चलती नहीं! :-(Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-84669032252490417502011-10-22T21:29:39.614-07:002011-10-22T21:29:39.614-07:00कोई झगड़ा बच्चों के दिल में घर नहीं बना पाता ।कोई झगड़ा बच्चों के दिल में घर नहीं बना पाता ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-62521750827454195032011-10-22T10:19:12.911-07:002011-10-22T10:19:12.911-07:00बडे होने के बाद महसूस होता है कि हम बच्चे ही ठीक ...बडे होने के बाद महसूस होता है कि हम बच्चे ही ठीक थे !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-5510887839727546242011-10-22T06:31:56.763-07:002011-10-22T06:31:56.763-07:00मैं किससे सहमत होऊं चलो स्मार्ट भाई से हो लेता हूँ...मैं किससे सहमत होऊं चलो स्मार्ट भाई से हो लेता हूँ ...मगर मन चंगा हो तब न !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-66807070441099149812011-10-22T05:47:39.212-07:002011-10-22T05:47:39.212-07:00बड़ा होना खटकता है, कभी कभी।बड़ा होना खटकता है, कभी कभी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-43017153971124919992011-10-22T05:08:01.092-07:002011-10-22T05:08:01.092-07:00:)
रोचक पोस्ट!:)<br />रोचक पोस्ट!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-86478607292189656092011-10-22T02:18:27.446-07:002011-10-22T02:18:27.446-07:00काश कि समय को रोक पाते -
या न भी रोक पाते -
तो हम...काश कि समय को रोक पाते -<br />या न भी रोक पाते - <br />तो हम ही समय में कहीं रुक जाते <br />समय आगे बढ़ जाता अपनी रह पर<br />और हम वहीँ ठहरे रह जाते<br />काश .....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-54507095903219407052011-10-22T00:48:23.361-07:002011-10-22T00:48:23.361-07:00सच कहा हम बडे क्यो होजाते हैं …………कितना निर्मल और ...सच कहा हम बडे क्यो होजाते हैं …………कितना निर्मल और पावन होता हैबचपन सारी कलुषताओ से दूर्……………एक बेहतरीन आलेख्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-89896649185111741252011-10-22T00:34:46.846-07:002011-10-22T00:34:46.846-07:00बड़े होते होते मन पर कलुषता छा जाती है ... सच निर्...बड़े होते होते मन पर कलुषता छा जाती है ... सच निर्मल मन से दुसरे कि हाँ में हाँ मिलने से शायद दूसरा भी खुद समझ सके ... कैसी भी परिस्थिति हो स्वयं को ही बदलने का प्रयास उचित है ..दूसरे को कह कर नहीं बदला जा सकता ... अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-726947861588855472011-10-22T00:27:01.475-07:002011-10-22T00:27:01.475-07:00बचपन निश्छल, और बड़ा होना मतलब संसार की व्यवहारिक म...बचपन निश्छल, और बड़ा होना मतलब संसार की व्यवहारिक माया-कपट में फंसना, एकांगी सत्य नहीं है। मन किसी भी वह में कोमल निर्मल हो सकते है। जरूरी है इन भावों के प्रति सद्भाव। लोग अक्सर सरल व्यक्ति को मजाक या मूर्खता में लेते है, इस प्रकार उन्हें भोला या मूर्ख मानना ही इन सद्भावो के प्रति वितृष्णा है। और सद्गुणों के प्रति लगाव न होगा तो वह हमारे आत्म में ठहरेंगे कैसे?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-2827179008677607792011-10-21T23:23:20.241-07:002011-10-21T23:23:20.241-07:00छुटपन की बतियां न्यारी ही रहती हैं। बाद में बचपन क...छुटपन की बतियां न्यारी ही रहती हैं। बाद में बचपन के इन्हीं यादों की पोटली रह जाती है जिन्हें हम बड़े होने पर याद करते रहते हैं :)सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-12515999854991131902011-10-21T23:19:05.745-07:002011-10-21T23:19:05.745-07:00रिश्तों की मिठास बचपन में ज्यादा होती है फिर भी लो...रिश्तों की मिठास बचपन में ज्यादा होती है फिर भी लोग कहते है" अब तो बड़े बन जाइये ." .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-8687169706617333152011-10-21T22:41:08.968-07:002011-10-21T22:41:08.968-07:00:):)Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-46773476931700445372011-10-21T22:39:14.270-07:002011-10-21T22:39:14.270-07:00हम भी अपना बचपन यूँ हीं संभाल कर रखें , लड़कर रो ल...हम भी अपना बचपन यूँ हीं संभाल कर रखें , लड़कर रो लें , रिश्तों की अहमियत खोने न दें तो स्वर्ग अपने ही पास है - बिल्कुल सही कहा कि तू जो अच्छा समझे ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-17952653004319514912011-10-21T21:24:36.689-07:002011-10-21T21:24:36.689-07:00मैं इसीलिए तो कह रही हूं कि बाते करने से ही रिश्त...मैं इसीलिए तो कह रही हूं कि बाते करने से ही रिश्ते मजबूत होते हैं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-21430047661585847022011-10-21T21:02:09.319-07:002011-10-21T21:02:09.319-07:00इस आलेख की आत्मीयता बहुत ही अच्छी लगी। बताए गये टि...इस आलेख की आत्मीयता बहुत ही अच्छी लगी। बताए गये टिप भी। मन कह रहा है, दूसरों को बदलने का प्रयास करने के बजाए स्वयं को बदल लेना कहीं अधिक अच्छा है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-14715729013520804402011-10-21T20:20:43.660-07:002011-10-21T20:20:43.660-07:00कमाल है, खुद ही सवाल किया:
ये लोंग बड़े क्यों हो ज...<b>कमाल है, खुद ही सवाल किया:</b><br />ये लोंग बड़े क्यों हो जाते हैं?<br /> <br /><b>और खुद ही जवाब दे दिया:</b><br />ज़रूरी है दिल का सच्चा होना, और भावनाओं की ईमानदारी ...<br /><br /><b>निष्कर्ष: सवाल छोटे-बड़े का नहीं, मन की निर्मलता का है।</b><br />मन चंगा तो कठौती में गंगा :)Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com