tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post4527261106583645823..comments2024-03-12T00:43:05.067-07:00Comments on ज्ञानवाणी: बात तो दिमाग के खुलेपन की है ....वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comBlogger56125tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-78591271354038401612012-08-12T19:14:24.761-07:002012-08-12T19:14:24.761-07:00अच्छी पोस्ट है। समय के साथ चीजें काफ़ी बदल रही हैं।...अच्छी पोस्ट है। समय के साथ चीजें काफ़ी बदल रही हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-15115036822589742732012-07-07T08:55:08.246-07:002012-07-07T08:55:08.246-07:00बहुत बढ़िया पोस्ट ..
पारिवारिक सामंजस्य आवश्यक है ...बहुत बढ़िया पोस्ट ..<br />पारिवारिक सामंजस्य आवश्यक है !<br />आभारSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-17445565144818851682012-07-04T01:25:31.857-07:002012-07-04T01:25:31.857-07:00सबसे पहले क्षमाप्रार्थी हूँ देर से आने के लिए ! इत...सबसे पहले क्षमाप्रार्थी हूँ देर से आने के लिए ! इतने सारे विद्वान जनों ने इतना कुछ कह दिया है कि अब मेरा कुछ भी कहना दुहराव मात्र होगा ! लेकिन इतना अवश्य कहना चाहूँगी कि शादी विवाह या किसी धार्मिक अनुष्ठान के अवसरों पर अपने घर परिवार की पारंपरिक वेशभूषा में सजने और रीति रिवाजों को मनाने को मैं रूढिवादिता या दकियानूसीपन से जोड़ कर नहीं देखती ! इसे मैं अपनी संस्कृति और परम्परा के प्रति सम्मान और अगाध प्रेम के रूप में ही परिलक्षित करती हूँ और इस भावना का आदर भी करती हूँ ! यह भावना जबरन किसी पर थोपी नहीं जाती यह तो स्वयं ही मन में प्रस्फुटित होती है और इस मन:स्थिति में परम्पराओं का निर्वहन कर लोग शर्मिन्दा नहीं होते वे गर्व का अनुभव करते हैं और आनंदित होते हैं ! साभार !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-1478215300072410672012-07-03T04:31:51.925-07:002012-07-03T04:31:51.925-07:00बहुत अच्छा विषय उठाया है, अपनी परम्पराओं को लेकर ह...बहुत अच्छा विषय उठाया है, अपनी परम्पराओं को लेकर हम प्रगति कर ही न पायें ये तो संभव ही नेहं है. इस स्थिति को मैंने भी देखी है. शायद ये हमारे संस्कारों में बसा होता है. आज भी मैं अपने जेठ जी के सामने सर पर पल्ला रखती हूँ आई आई टी में काम करते हुए भी नहीं लगता है कि मैं कहीं कुछ बंधन में हूँ. घूंघट करने या न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. सोच छोटी जगह या बड़ी जगह से भी प्रभावित नहीं होती. बस लड़कियों को एक सही दिशा मिल जाए तो वे आसमान तक छू लेती हें.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-86335242834110346842012-07-02T20:14:03.113-07:002012-07-02T20:14:03.113-07:00ढके हुए सिर के भीतर खुले दिमाग भी हो सकते हैं , और...ढके हुए सिर के भीतर खुले दिमाग भी हो सकते हैं , और उघाड़े माथे के भीतर सब कुछ खाली भी हो सकता है . <br /><br />समय और स्थिति के साथ हमें सब चीजों की महता का पता होना चाहिए ....वर्ना हम जो हैं वह नहीं कहे जायेंगे ...!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-28878452258856547092012-07-02T10:54:30.853-07:002012-07-02T10:54:30.853-07:00हर चीज की प्रासंगिकता समय के साथ जानी जाती है
ऐसा ...हर चीज की प्रासंगिकता समय के साथ जानी जाती है<br />ऐसा ही घूंघट के साथ है<br /><br />लेकिन सम्मान भी, समय के साथ बने रहना चाहिएBS Pablahttps://www.blogger.com/profile/06546381666745324207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-74360257619141493862012-07-02T10:40:03.794-07:002012-07-02T10:40:03.794-07:00मोनिका जी से सहमत हूँ।मोनिका जी से सहमत हूँ।Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-24965412111697268712012-07-02T01:52:11.111-07:002012-07-02T01:52:11.111-07:00vani ji
parivartan , parivartan hi hotaa haen is ...vani ji <br />parivartan , parivartan hi hotaa haen is mae shubh ashubh nahin hotaa <br />pasand , naa pasand m achchha bura mehaj ham apni suvidha sae jod daetae haen <br /><br /><br />koi ghughat kartaa haen usko achchha samjhtaa haen koi nahin kartaa usko achchha samjhaegaa <br /><br />lekin dono samay apni marzi honi chahiyae koi baadhytaa nahin ki naari kae liyae yae sahi aur purush kae liyae wo sahii <br /><br />samaaj kae banaye niyam sae upar haen kanun aur samvidhaan , uskae niyamo kaa palan jis din samaj karegaa us din sae hi badlaav ko ek disha milagi aur kam sae 50 saal ke baad us par koi aur behas kar raahaa hogaरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-18559076476561883662012-07-01T21:00:16.590-07:002012-07-01T21:00:16.590-07:00परिवर्तन शुभ की ओर हो तो स्वागत है :)परिवर्तन शुभ की ओर हो तो स्वागत है :)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-28022552065540620032012-07-01T20:59:29.697-07:002012-07-01T20:59:29.697-07:00आपकी श्रीमतीजी के बारे में जानना अच्छा लगा . आप दो...आपकी श्रीमतीजी के बारे में जानना अच्छा लगा . आप दोनों का इसी प्रकार सामंजस्य बना रहे . शुभकामनायें !<br />आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-2219586528004681922012-07-01T20:57:32.141-07:002012-07-01T20:57:32.141-07:00परिवर्तन की बयार सकारात्मक दिशा में शुभ हो !परिवर्तन की बयार सकारात्मक दिशा में शुभ हो !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-55076133654783962642012-07-01T20:56:28.614-07:002012-07-01T20:56:28.614-07:00आभार !आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-64447181063184275592012-07-01T20:55:42.322-07:002012-07-01T20:55:42.322-07:00संस्कार नहीं उतारे जाने चाहिए , सार्थक सन्देश !संस्कार नहीं उतारे जाने चाहिए , सार्थक सन्देश !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-91242806057816146342012-07-01T20:54:32.746-07:002012-07-01T20:54:32.746-07:00स्त्रियों के बारे में सकारात्मक सोचा जाए , स्वयं ...स्त्रियों के बारे में सकारात्मक सोचा जाए , स्वयं स्त्रियों के द्वारा भी ...असंतुलन ना रहे !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-34397811604414695082012-07-01T20:53:32.495-07:002012-07-01T20:53:32.495-07:00समय बदला ही है !समय बदला ही है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-792293361611767712012-07-01T20:51:59.797-07:002012-07-01T20:51:59.797-07:00संतुलित प्रतिक्रिया !संतुलित प्रतिक्रिया !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-47610774092150073082012-07-01T20:51:29.464-07:002012-07-01T20:51:29.464-07:00:):):):)वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-61590072530143703502012-07-01T20:50:51.722-07:002012-07-01T20:50:51.722-07:00सही , थोपना ठीक नहीं है !सही , थोपना ठीक नहीं है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-78277565717743463222012-07-01T20:50:15.863-07:002012-07-01T20:50:15.863-07:00जितना संभव हो सके ...वास्तव में !जितना संभव हो सके ...वास्तव में !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-73637099737398081412012-07-01T20:47:26.388-07:002012-07-01T20:47:26.388-07:00मैंने आपकी असहमति पर सन्दर्भ रहित वार नहीं किया ह...मैंने आपकी असहमति पर सन्दर्भ रहित वार नहीं किया है . सन्दर्भ ब्लॉग जगत में बिखरे पड़े हैं , मैं दे नहीं पाई,लिंक खोंजने में व्यर्थ समय लगता . आपके विचार पर मैंने अपनी राय दी , यह वार नहीं है , मान्यवर :)<br />सादर!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-21697734204120238592012-07-01T20:44:08.664-07:002012-07-01T20:44:08.664-07:00सही कहा ...सम्मान के लिए सिर ढक लेने से क्या फर्क ...सही कहा ...सम्मान के लिए सिर ढक लेने से क्या फर्क पड़ जाता है , सम्मान ही नहीं हो तो सिर ढ़को या नहीं क्या फर्क पड़ता है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-75839253395368937362012-07-01T20:41:09.794-07:002012-07-01T20:41:09.794-07:00मुश्किल तो होती है , मगर आदत हो जाती है. जैसा कि ...मुश्किल तो होती है , मगर आदत हो जाती है. जैसा कि मैंने कहा ही , समय बदल रहा है . घूंघट /. परदे अब अनिवार्य नहीं रहे हैं .वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-25459155622245065012012-07-01T20:37:43.972-07:002012-07-01T20:37:43.972-07:00बिज्जी की कहानी पर बनी यह फिल्म कला और व्यवसाय दोन...बिज्जी की कहानी पर बनी यह फिल्म कला और व्यवसाय दोनों ही रूप में बेहतरीन रही . वहीं आजकल "दिया और बाती हम" धारावाहिक भी ठेठ राजस्थानी संस्कृति को पेश कर रहा है .वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-758833445442908552012-07-01T08:18:52.920-07:002012-07-01T08:18:52.920-07:00घूँघट करना, सिर ढंकना, डर का प्रतीक नहीं, सम्मान क...घूँघट करना, सिर ढंकना, डर का प्रतीक नहीं, सम्मान का प्रतीक होता है...लम्बा घूंघट करने के पक्ष में, मैं बिल्कुल नहीं हूँ...लेकिन ससुराल में बड़ों के सामने सिर ढंकने के पक्ष में हूँ..और अगर मेरे ऐसा करने से बड़े-बुजुर्गों को ख़ुशी मिलती है, वो सम्मानित महसूस करते हैं, तो फिर बुराई क्या है ?<br />मैं मंदिर में सिर ढंकती हूँ, अपने जेठ के सामने सिर ढंकती हूँ..पहले अपने सास-ससुर के सामने सिर ढंकती थी, इसलिए नहीं कि मुझे इनसे डर था/है, मैं ऐसा सिर्फ़ इसलिए करती थी/हूँ, क्योंकि मैं इनको सम्मान देती हूँ..सिर उधाड़ कर मंदिर में हम कौन सा भगवान् के सामने साहस दिखा लेंगे...<br />आपने कई तसवीरें देखी होंगी, इंदिरा गाँधी, जैसी और भी बड़ी बड़ी हस्तियों की...क्या हम सोच भी सकते हैं कि, उनके भेजे में कुछ नहीं है/था..या फिर वो किसी से डर कर अपना सिर ढकती रही हैं/थीं...<br /><br />बढ़िया लिखा है...<br />आभार..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-58469188288563207652012-07-01T07:18:57.633-07:002012-07-01T07:18:57.633-07:00.
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@ जिनको सिर्फ गाली गलौज कर लेने/सकने वाले ,....<br />.<br />.<br />@ <b> जिनको सिर्फ गाली गलौज कर लेने/सकने वाले , अंग प्रदर्शन करने वाले लड़के /लड़कियां , स्त्रियाँ /पुरुष ही साहसी नजर आते हो , उनके नजरिये पर क्या कहा जाए !</b><br /><br />वाणी जी,<br /><br />क्षमा चाहूँगा, पर खुला दिमाग रखने वाला कोई शख्स असहमति पर इस तरह का संदर्भरहित वार नहीं करता...<br /><br />खैर, मैं हमेशा से मानता हूँ कि हर कोई अपनी अपनी समझ व सुविधा के अनुसार नतीजे निकालने के लिये स्वतंत्र है... इसलिये आपकी इस राय का भी मैं सम्मान ही करूंगा... :)<br /><br /><br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.com