tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post7438064961844289651..comments2024-03-12T00:43:05.067-07:00Comments on ज्ञानवाणी: मेंम साहब की कुतिया ......वाणी गीतhttp://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-7894677978825783132010-12-20T03:49:28.212-08:002010-12-20T03:49:28.212-08:00अच्छा व्यंग्य है..............................आज स...अच्छा व्यंग्य है..............................आज समाज की वास्तविकता ही यही है।Mukeshhttps://www.blogger.com/profile/10419400047507603499noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-84126170245441286882010-12-19T02:38:05.580-08:002010-12-19T02:38:05.580-08:00व्यक्ति जब तक भाग्य मानकर चलता रहेगा वह गरीब ही ...व्यक्ति जब तक भाग्य मानकर चलता रहेगा वह गरीब ही रहेगा। उसे कर्म का सहारा तो लेना ही होगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-28381516234618139562010-12-14T18:12:17.135-08:002010-12-14T18:12:17.135-08:00अपनी बात अपने सशक्त कही है -मगर शब्द पामेरियन नहीं...अपनी बात अपने सशक्त कही है -मगर शब्द पामेरियन नहीं बल्कि पामरेनियन है ,हो सके तो सुधार लें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-7234357487034705642010-12-13T23:11:10.149-08:002010-12-13T23:11:10.149-08:00बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है ये पोस्ट |इश्वर ने ...बहुत कुछ सोचने पर विवश करती है ये पोस्ट |इश्वर ने सब प्राणियों को इस धरती पर भेजा है जीवंत |हमने अलग अलग ढंग से जीने का वर्गीकरण क्र दिया है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-39418935795051485982010-12-07T18:43:27.135-08:002010-12-07T18:43:27.135-08:00दुखद!दुखद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-60494695851229660222010-12-07T09:20:29.821-08:002010-12-07T09:20:29.821-08:00ऐसी बातें बहुत दुःख देती हैं :(ऐसी बातें बहुत दुःख देती हैं :(abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-66611105075470927102010-12-07T08:48:40.138-08:002010-12-07T08:48:40.138-08:00मुझे टामी के बारे में सुनकर बहुत दुःख हुआ. पता है ...मुझे टामी के बारे में सुनकर बहुत दुःख हुआ. पता है जो लोग कुत्तों से वास्तव में प्यार करते हैं, वो इस तरह से सड़कों पर काम करने वाले बच्चों के लिए इतने असंवेदनशील नहीं होते, वो लोग सभी सेप्यार करते हैं. लेकिन कुछ लोगों के लिए विदेशी नस्ल के कुत्ते पालना स्टेट्स सिम्बल होता है. वो कार वाली मेमसाहब ऐसी ही होंगी.<br />मुझे कुत्ते बहुत पसंद हैं, पर ऐसे लोगों से सख्त नफरत है जो अपने देश के मजदूरों और गरीब आदमियों से ज्यादा विदेशी नस्ल के कुत्तों को अहमियत देते हैं.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-26810587759977189622010-12-07T07:04:30.495-08:002010-12-07T07:04:30.495-08:00अपना अपना भाग्य है..
और क्या कहा जा सकता है..
सोचन...अपना अपना भाग्य है..<br />और क्या कहा जा सकता है..<br />सोचने को विवश कर गई आपकी पोस्ट.. दी....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-59499694361504923702010-12-06T17:51:45.829-08:002010-12-06T17:51:45.829-08:00अपना अपना भाग्य है..
और क्या कहा जा सकता है..
सोचन...अपना अपना भाग्य है..<br />और क्या कहा जा सकता है..<br />सोचने को विवश कर गई आपकी पोस्ट..स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-19873281298182763712010-12-06T08:51:48.260-08:002010-12-06T08:51:48.260-08:00बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
...<b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!</b><br /><a href="http://testmanojiofs.blogspot.com/2010/12/blog-post_06.html" rel="nofollow">विचार-प्रायश्चित</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-38257968961711601132010-12-06T08:46:18.450-08:002010-12-06T08:46:18.450-08:00हाँ सोचने को मजबूर करती है ये पोस्ट. किन्तु कुछ बद...हाँ सोचने को मजबूर करती है ये पोस्ट. किन्तु कुछ बदलने वाला नही.<br />भाग्य कह कर पीछा छुडा लेते है हम. ये तो पशु है.इंसानों के बच्चो साथ.....???? जानवर किस्मत वाले है उनकी जाती,धर्म,माता,पिता,खानदान कोई नही पूछता किन्तु इंसान का बच्चा किसी नाली या कचरे के ढेर पर मिल जाए तो........?????Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-67385383350169434322010-12-06T08:43:54.907-08:002010-12-06T08:43:54.907-08:00भाग्य का खेल है।भाग्य का खेल है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-63749441994154438362010-12-06T06:48:26.997-08:002010-12-06T06:48:26.997-08:00सिवाय किस्मत के और क्या कह सकते हैं? सोचने को बाध्...सिवाय किस्मत के और क्या कह सकते हैं? सोचने को बाध्य करती रचना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-44228151822625427872010-12-06T02:36:11.238-08:002010-12-06T02:36:11.238-08:00bade log ke bade dog.bade log ke bade dog.Nishanthttp://hindizen.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-63545831993908722952010-12-06T02:03:48.222-08:002010-12-06T02:03:48.222-08:00अपनी अपनी किस्मत सबकी.अपनी अपनी किस्मत सबकी.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-22998710932199536492010-12-06T00:04:23.497-08:002010-12-06T00:04:23.497-08:00सोचने को विवश करती है आपकी ये पोस्ट्।सोचने को विवश करती है आपकी ये पोस्ट्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-42418560717954125202010-12-05T23:35:56.855-08:002010-12-05T23:35:56.855-08:00सही याद दिलाया - मेरे देखते देखते गरदन पर घाव लगने...सही याद दिलाया - मेरे देखते देखते गरदन पर घाव लगने से मर गये या मरणासन्न हैं। घाव पड़ता है, फिर कीड़े, फिर राम-नाम-सत्त। <br />टामी में विलायती नसल का अंश है। पर है गली का। गले में एक पट्टा। कभी किसी ने पालतू बनाने की कवायद की होगी!<br /><br />अब देखा - उसके गले में भी घाव है। :-(Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-75236341767869033612010-12-05T23:14:08.970-08:002010-12-05T23:14:08.970-08:00दिनकर जी ने यूँ ही थोड़े ही लिखा था...
'श्वान...दिनकर जी ने यूँ ही थोड़े ही लिखा था...<br /><br />'श्वानों को मिलते दूध-वस्त्र<br />भूखे बच्चे अकुलाते हैं<br />माँ की छाती से चिपक<br />जाड़े की रात बिताते हैं"<br /><br />कई बच्चों को तो आज भी माँ की गोद का ही सहारा है....पर श्वानो को दूध-वस्त्र से आगे बढ़..डिजाइनर कपड़े...बर्थडे केक...ए.सी... नर्म कम्बल..सब मिलने लगे हैं...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-86580806098852007592010-12-05T22:22:07.067-08:002010-12-05T22:22:07.067-08:00अपना अपना भाग!अपना अपना भाग!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-36791228032786823262010-12-05T20:11:32.963-08:002010-12-05T20:11:32.963-08:00विचारणीय पोस्ट.....सब प्रारब्द्ध ही है ...विचारणीय पोस्ट.....सब प्रारब्द्ध ही है ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-80915316875917540352010-12-05T19:19:33.865-08:002010-12-05T19:19:33.865-08:00bade log bade log !bade log bade log !रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-6374916372637311722010-12-05T18:13:11.125-08:002010-12-05T18:13:11.125-08:00एक बहुत पुरानी बात किसी की याद आ गयी. कवि का नाम त...एक बहुत पुरानी बात किसी की याद आ गयी. कवि का नाम तो मालूम नहीं मगर वो अपना नाम कवि चोंच कहते है और रसखान के स्टाइल में लिखते हैं...:<br />"मानुस हों तो वही कवि चोंच, बसों सिटी लन्दन के कही द्वारे , जों पशु हों तो बनो बुलडोग फिरों नित कार में पूंछ निकारे"<br />एक बात दिनकर जी की भी याद आती है...."दूध से स्वान को नहलाते हैं ... दूध दूध ओ वत्स!तुम्हारा दूध खोजने हम जाते हैं..<br />सोचने वाली बात है....Rajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7676889437502455189.post-2788269680846170022010-12-05T17:27:39.647-08:002010-12-05T17:27:39.647-08:00सबका अपना अपना प्रारब्ध है।सबका अपना अपना प्रारब्ध है।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com