एक दिन एक ब्लॉगर का सवाल था - भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग फेसबुक पर क्या कर रहे हैं...
सोचा , मगर इस पर आपत्ति का कोई कारण मुझे समझ नहीं आया.
फेसबुक या ऐसी और सोशल नेट्वर्किंग साईट्स देश- विदेश से लोगों को एक मंच पर जुड़ने की सुविधा देती हैं .इसका किसी संस्कृति से क्या लेना- देना हो सकता है !
बड़े लोगों की वे जाने ,मैं अपनी बात रख दूं ...
मैं एक सामान्य मध्यम वर्गीय गृहिणी हूँ जो ज्यादा समय घर में ही बिताती है . स्वाभाविक तौर पर हमारा मेल मिलाप भी ऐसे ही परिवारों में अधिक रहा है या हो सकता है, जहाँ स्त्रियाँ इकट्ठी होती है तो उनकी बहस और बातचीत का केंद्र धार्मिक परम्परायें ,कर्मकांड , व्रत- त्यौहार , कपड़े , गहने , परिवार ही होता है . परंतु जो स्त्रियाँ कर्म क्षेत्र घर ही होने के बावजूद कुएं का मेंढक नहीं बने रहना चाहती हैं और देश- विदेश की संस्कृतियों की जानकारी में रुचि रखती हैं , आस- पास या दूर देश की दुनिया में क्या घट रहा है की जिज्ञासा रख जागरूक रहना चाहती हैं , उनके लिए इन्टरनेट कम कीमत पर अधिक जानकारी देने वाला एक साधन है .
यहाँ कुछ लोगों को आपत्ति हो सकती है कि यदि सिर्फ जानकारी के लिए इन्टरनेट से जुड़े हैं तो सोशल नेट्वर्किंग की जरुरत क्या है. यह सही है कि प्रचुर मात्रा में सामग्री है इन्टरनेट पर परंतु हर कोई इतना जानकार नहीं हो सकता है . भाषा के अल्पज्ञान के कारण, वायरस आदि की जानकारी हो या जो लिखा है उसको उसी तरह समझ पाना , सबके लिए इतना आसान नहीं होता . यह भी सही है कि यहाँ किसी की पहचान और इरादों को समझना मुश्किल है . आप जिसे अपना समझकर अपने विचार या समस्या बाँट रहे हैं वह कब आपको दूसरों की नजरों में उपहास का पात्र बना दें , कहना मुश्किल है परंतु यह समस्या तो सामान्य जीवन में भी कम नहीं है .
सोचें, वास्तविक जीवन में भी रिश्तेदारों या आपके आस- पास रहने वाले लोगों में भी अवांछित तत्त्व होते ही हैं . आखिर उनका सामना भी करना ही होता है . कम से कम इन्टरनेट यह सुविधा तो देता है कि जिसको आप नापसंद करते हैं , उससे दूर रह सकें या उनको उचित जवाब दे सकें . ब्लॉक या इग्नोर करने की सुविधा/असुविधा वास्तविक जीवन में कहाँ है !!!
ये सोशल नेट्वर्किंग साईट्स ना सिर्फ विभिन्न परिवेश के लोगों को जानने और समझने का एक जरिया बनते हैं, बल्कि दूर प्रदेश या विदेश में रहने वाले आपके परिचितों /रिश्तेदारों या अनजान लोगों से भी जुड़े रहने का भी एक सहज और सस्ता माध्यम बनते है . इन साईट्स के माध्यम से मैं स्वयं अपने सहपाठी , मित्र ,ब्लॉगर्स आदि के अलावा परिवार /खानदान के उन लोगों से भी जुडी हुई हूँ ,दूरियों के कारण जिन्हें मैंने कभी देखा भी नहीं. किसकी जिंदगी में क्या चल रहा है से परिचित होने के के अतिरिक्त एक दूसरे के सुख- दुःख से भी जुड़ना होता है !
किसी भी संस्कृति या अपसंस्कृति से इसका सम्बन्ध मैं नहीं जोड़ पा रही हूँ .
आप क्यों जुड़े हैं इन नेट्वर्किंग साईट्स से !!!व्यर्थ वाद- विवाद में उलझने जितना समय ,सामर्थ्य या शक्ति मुझमे नहीं है . यह समझते हुए सार्थक , विवादरहित , मुद्दों से जुडी टिप्पणी करना चाहते हैं तो आपका स्वागत है !