ज्ञानवाणी
दिल दिमाग की रस्साकशी
गुरुवार, 11 जून 2009
गुल या खार
मैं
गर गुल हूँ तो वो नहीं
जो सदाबहार है
मैं वो गुल
हूँ
जिसे चंद लम्हों में मुरझाना है
मैं
गर खार हूँ तो वो नहीं
जो गुलों का हिफाजती है
मैं वो खार हो
जो हरदम आँखों में खटका है
3 टिप्पणियां:
ताऊ रामपुरिया
11 जून 2009 को 6:01 am बजे
बहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.
रामराम.
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वाणी गीत
11 जून 2009 को 4:36 pm बजे
आभार!!
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M VERMA
20 जून 2009 को 6:21 pm बजे
sunder abhivyakti
chitra bhi lazavab
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बहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आभार!!
जवाब देंहटाएंsunder abhivyakti
जवाब देंहटाएंchitra bhi lazavab