गूगल बाबा की मेहरबानी से किसी भी मेल प्राप्त कर्ता की चैट लिस्ट में मेल भेजने वाले का नाम अपने आप ही जुड़ जाता है ...और इसके कारण आप कैसी अजीबोगरीब स्थिति का सामना कर सकते हैं देखिये ...
मेरी भाभी जो अभी कुछ महीने पहले ही इन्टरनेट से जुडी हैं , ने ऑरकुट पर अपना अकाउंट बनाया ....एक दिन मेल बॉक्स में उनका नाम ऑनलाइन दिख गया ...उनकी दिनचर्या से परिचित होने के कारण इतनी सुबह उनका नाम देखकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई...
अपनी आदत के मुताबिक छेड़ दिया ... " का हाल बा "
उधर से जवाब आया ..."नमस्कार "
उस दिन मैं स्वयं भी जल्दी में थी ...बात बस यहीं समाप्त हो गई..
उसके कुछ दिनों बाद फिर दिख गयी ...उसी समय ...
"क्या कर रही हो"...मैंने पूछ ही लिया
एक लिंक भेजा है किसी ने , वही देख रही थी ....
अपना फ़र्ज़ समझते हुए टोक ही दिया ...
"किसी भी अनजान व्यक्ति की भेजी मेल या लिंक एकदम से मत खोल लेना .."
इतना समय हो गया है , अब तो समझ आ ही गया है कि क्या देखना चाहिए , क्या नहीं" ...
उधर से जवाब आया ...
मेरा चौंकना स्वाभाविक था ... उन्हें ज्यादा समय हुआ नहीं है ...थोडा बुरा भी लगा कि शायद मेरी सलाह अच्छी नहीं लगी उन्हें ...फिर ये सोच कर कि ननद और भाभी का ऐसा वाला रिश्ता तो स्वाभाविक , सनातन और शाश्वत है , चुप लगा गयी ...
अभी कुछ दिनों पहले मिलना हुआ तो मैंने उस दिन की बातचीत का जिक्र किया ...
"मगर दीदी , मेरी तो आपसे बात ही नहीं हुई , और इतनी सुबह तो मैं ऑनलाइन रहती ही नहीं हूँ ..."उसने कहा तो चौंकने की बारी मेरी थी ...गनीमत है कि आदत के मुताबिक कोई हंसी -मजाक नहीं किया था ...
चैट लिस्ट चेक की तो सारा माजरा समझ आया ...भाभी के नाम का ही आई डी किसी ब्लॉगर का था ...अब क्या किया जाए ...उन ब्लॉगर महोदय /महोदया को कहने की बजाय सीधे पोस्ट ही लिख दी है ...ग़लतफ़हमी का कारण समझ ही जायेंगे ...
एक साथी ब्लॉगर का टोकना याद आ गया ..." कभी किसी से बात की शुरुआत मत करो " ...नहीं करेंगे जी :):) ...और बात करनी होगी तो अच्छी तरह मेल एड्रेस पढ़ कर ...
मेरी भाभी जो अभी कुछ महीने पहले ही इन्टरनेट से जुडी हैं , ने ऑरकुट पर अपना अकाउंट बनाया ....एक दिन मेल बॉक्स में उनका नाम ऑनलाइन दिख गया ...उनकी दिनचर्या से परिचित होने के कारण इतनी सुबह उनका नाम देखकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई...
अपनी आदत के मुताबिक छेड़ दिया ... " का हाल बा "
उधर से जवाब आया ..."नमस्कार "
उस दिन मैं स्वयं भी जल्दी में थी ...बात बस यहीं समाप्त हो गई..
उसके कुछ दिनों बाद फिर दिख गयी ...उसी समय ...
"क्या कर रही हो"...मैंने पूछ ही लिया
एक लिंक भेजा है किसी ने , वही देख रही थी ....
अपना फ़र्ज़ समझते हुए टोक ही दिया ...
"किसी भी अनजान व्यक्ति की भेजी मेल या लिंक एकदम से मत खोल लेना .."
इतना समय हो गया है , अब तो समझ आ ही गया है कि क्या देखना चाहिए , क्या नहीं" ...
उधर से जवाब आया ...
मेरा चौंकना स्वाभाविक था ... उन्हें ज्यादा समय हुआ नहीं है ...थोडा बुरा भी लगा कि शायद मेरी सलाह अच्छी नहीं लगी उन्हें ...फिर ये सोच कर कि ननद और भाभी का ऐसा वाला रिश्ता तो स्वाभाविक , सनातन और शाश्वत है , चुप लगा गयी ...
अभी कुछ दिनों पहले मिलना हुआ तो मैंने उस दिन की बातचीत का जिक्र किया ...
"मगर दीदी , मेरी तो आपसे बात ही नहीं हुई , और इतनी सुबह तो मैं ऑनलाइन रहती ही नहीं हूँ ..."उसने कहा तो चौंकने की बारी मेरी थी ...गनीमत है कि आदत के मुताबिक कोई हंसी -मजाक नहीं किया था ...
चैट लिस्ट चेक की तो सारा माजरा समझ आया ...भाभी के नाम का ही आई डी किसी ब्लॉगर का था ...अब क्या किया जाए ...उन ब्लॉगर महोदय /महोदया को कहने की बजाय सीधे पोस्ट ही लिख दी है ...ग़लतफ़हमी का कारण समझ ही जायेंगे ...
एक साथी ब्लॉगर का टोकना याद आ गया ..." कभी किसी से बात की शुरुआत मत करो " ...नहीं करेंगे जी :):) ...और बात करनी होगी तो अच्छी तरह मेल एड्रेस पढ़ कर ...