ख्याल कुछ बे-बहर से
तन पिंजर मैं कैद सही
भीतर मन आजाद है
छितराए से हैं पंख बहुत
बेखौफ मगर परवाज़ है
सम्पादित। …
तन पिंजर मैं कैद सही
भीतर मन आजाद है
छितराए से हैं पंख बहुत
बेखौफ मगर परवाज़ है
थके रुके नही अब कदम कभी
राहें कितनी भी दुशवार हैं
शिकन न आए कोई माथे पर
संग मेरे जो हमराह है!
राहें कितनी भी दुशवार हैं
शिकन न आए कोई माथे पर
संग मेरे जो हमराह है!
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नजर चुरा कर गुजरा गली से
ये क्या अंदाज़-ए-मुलाकात है
'ख्याल-ए-ताल्लुक रहा हर पल
बेलफ्ज़ जिसकी फरियाद है
अंजाम -ए-आशिकी क्या होगी
ज़फा जिसकी आगाज़ है
करता बात मुहब्बत की है
तल्ख़ मगर अंदाज़ है ..!!
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ये क्या अंदाज़-ए-मुलाकात है
'ख्याल-ए-ताल्लुक रहा हर पल
बेलफ्ज़ जिसकी फरियाद है
अंजाम -ए-आशिकी क्या होगी
ज़फा जिसकी आगाज़ है
करता बात मुहब्बत की है
तल्ख़ मगर अंदाज़ है ..!!
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सम्पादित। …
क्या खूब अंदाजे बया !
जवाब देंहटाएंचारों मुक्तक बहुत बढ़िया हैं।
जवाब देंहटाएंबधाई!
"नजर चुरा कर गुजरा गली से
जवाब देंहटाएंये क्या मुलाकात-ए-अंदाज है..."
इस प्रश्न का जवाब तो नीचे ही दे दिया है आपने - "ताल्लुके खयाल रहा हर पल.." ।
पूरी कविता बहर में हो न हो (मुझे इसकी तमीज भी नहीं), लुभाती है । आभार ।
आनन्द आ गया, बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंजज्बात जब उमड़ के सामने आ जाते हैं
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही होता है
बिन बात बात निकल जाती है
परवान चढ़ने से कोई रोक सकता है भला..!
क्या खूब बयां किया है आपने
बेपनाह ख्वाहिशों को ।
झूम उठा मन । आभार ।
अच्छा है जो ये बे-बहर ख्याल है, जो कही बहर में होती तो क्या होता जी ? हम तो flat हो गए.
जवाब देंहटाएंअंजामे आशिकी क्या होगी.
जफा जिसका आगाज़ है
करता बात मोहब्बत की
तल्ख बड़ी आवाज़ है
सुभानाल्लाह !!!
हमने तो बहर की चिंता छोड़ दी है, दिल में जो बात उतर जाती हैं वो बहर में हो जाती है जो दिल में नहीं उतरती तो हम बहरे हो जाते हैं.. :):):)
बे-बहर ख्याल ................वाणी जी ये ख्याल तो दरअसल चार ताबीज़ हैं .............इनमे आपका अंदाज़ भरकर आपने हमें पहना दिया हैं ...................आमीन ...........
जवाब देंहटाएंवाह क्या खूब सुंदर रचा आपने !
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर रचना!!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा...बधाई!!
आपके जितना बड़ा शायर तो नहीं हूं लेकिन इन लाइनों के आगे कुछ कहना है....
जवाब देंहटाएं...शिकन ना आए कोई माथे पर, साथ मेरे जो हमराह है
-ना जाने क्यूं लोग साये से डरते हैं,
पल पल मरने की बात करते हैं
साया तो जीने का अहसास है
बिछड़े सब बारी बारी नहीं कोई हमराह है
साया ही सही, जीवन पथ पर कोई तो साथ है
आपके जितना बड़ा शायर तो नहीं हूं लेकिन इन लाइनों के आगे कुछ कहना है....
जवाब देंहटाएं...शिकन ना आए कोई माथे पर, साथ मेरे जो हमराह है
-ना जाने क्यूं लोग साये से डरते हैं,
पल पल मरने की बात करते हैं
साया तो जीने का अहसास है
बिछड़े सब बारी बारी नहीं कोई हमराह है
साया ही सही, जीवन पथ पर कोई तो साथ है
बहुत सुन्दर रचना, ख़ासकर आखिरी चार लाइने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंरामराम.
हर ख्याल की अपनी तपिश है....
जवाब देंहटाएंwaah bahut sunder khas kar dusrawala muktak behad pasand aaya
जवाब देंहटाएंvani ji,
जवाब देंहटाएंbahut sundar BE-BAHAR...
adaji ne sach hi to likha he ki yadi BAHAR me hoti to..../ sachmuch behtreen rachna he/
bahut achha likhati he aap/
कमाल का लेखन है आपका......बहुत ही खुबसूरत है आपके सोच !
जवाब देंहटाएंAAPKE KHYAALON KI BEKHOF PAWAAZ BAHOOT LAJAWAAB LAGI ....
जवाब देंहटाएंDi........ bahut hi sunder rachna hai......alfaazon ko bahut hi achche se piroya hai....... aapne.......
जवाब देंहटाएं-------------------------------------
Aur......... AAPKO JANMDIN KI BAHUT BAHUT BADHAI..........
करता बात मोहब्बत की
जवाब देंहटाएंतल्ख बड़ी आवाज़ है
तौबा तौबा जी बहुत सुन्दर लाजवाब
"नजर चुरा कर गुजरा गली से
जवाब देंहटाएंये क्या मुलाकात-ए-अंदाज है..."behad khoobsurat pankatia...yun churaee usne ankhe sadgee to dekhiye...bazam me meri janib ishara kar diya.....
बहुत सुंदर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! हर पंक्तियाँ मुझे बहुत अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंतन पिंजर मैं कैद सही
जवाब देंहटाएंभीतर मन आजाद है
छितराए से हैं पंख बहुत
बेखौफ मगर परवाज़ है
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ये पंक्तियां ही विक्तोर फ्रेंकल की याद दिला देती हैं!
bahut khubsurat gjal
जवाब देंहटाएं"तल्ख मगर आवाज़ है…!"
जवाब देंहटाएं…बेहतरीन!!!
:)
धन्यवाद।
मुझे तो यह सूफियाना कलाम जैसा लगता है तन पिंजर मैं कैद सही
जवाब देंहटाएंभीतर मन आजाद है वाह
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति। बधाई।
जवाब देंहटाएंWah aapki "AAnjam E Ashquie"
जवाब देंहटाएंaji behar vehar choro....
....accha hai ki behron ki is duniya main koi to sun sakta hai....
yahi kabhi adadi ko bhi kaha tha...
...vichaaron ka koi 'grammaer' nahi hota !!
जवाब देंहटाएंbhut hi achha
नजर चुरा कर गुजरा गली से
जवाब देंहटाएंये क्या "'मुलाकात ए अन्दाज"' है
"'ताल्लुक ए ख्याल"' रहा हर पल
बेलफ्ज़ जिसकी फरियाद है ...
संयोग से टिप्पणीकार भाई हिमांशु ने उन्हीं दो बातों का ज़िक्र किया जिन्हें मैं उलट देने की फ़िराक में हूं ! मेरा ख्याल है कि आपके ख्यालों का बे-बहर होना कोई मुद्दा नहीं पर...'''अंदाज़-ए-मुलाकात''' और '''ख्याल-ए-ताल्लुक''' लिखना सही माना जाएगा !
बस इसी तर्ज पर एक सुझाव ये भी कि अंजाम ''होता'' है ''होती'' नहीं सो आखिरी शेर की पहली लाइन में लिखा जाए...
अंजाम -ए-आशिकी क्या '''होगा'''
पहले जो खटका उसे कहा अब जो मन में अटका है वो कहना है ! आपने बहुत शानदार ख्याल रचे हैं ! आपकी फीलिंग्स अतुलनीय है खासकर पहला शेर ! साधुवाद !
इतनी गलतियां थी तभी तो उस समय बेबहर लिखा :)
हटाएंWaah bht khoob!
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