इनको समझने के लिए खुशदीप जी के दस commandents की कोई आवश्यकता नहीं ...दरअसल इन्हें समझने की ही जरुरत कहाँ पड़ती है ...फिर भी शिखा वार्ष्णेय ने अपनी पोस्ट में परिभाषित करने की कोशिश की थी ...मगर हरी अनंत... हरी कथा अनंता की तरह पतियों की अपार महिमा को महज दस पॉइंट्स में प्रस्तुत करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ...इसलिए जो रह गए मैं यहाँ लिखने की कोशिश कर रही हूँ ....
बात पति की हो और खाने से शुरुआत ना हो ....
पत्नी के हाथ का बना भारतीय, चायनीज , कांटिनेंटल ...हर तरह का खाना अपनी अंगुलिया चाट कर खाने के बाद पेट पर हाथ फेरते पतियों के मुंह से यही सुनने को मिलेगा ...खाना तो हमारी मां बनाती थी ...(वो चाहे जिंदगी भर पुए पकौड़ी बना कर ही खिलाती रही हों )......
2 किलोमीटर जोगिंग कर के आये पत्नी और बच्चों के साथ बैडमिन्टन खेलते हुए अगर पिताजी का फ़ोन आ जाये तो फिर देखिये ....दुनिया जहां की दुःख तकलीफ एक साथ उनकी आवाज में समां जायेगी ....बरसों पहले पाँव की टूटी हड्डी का दर्द उभर कर सामने आ जाता है ....
और इन पतियों के टेनिस प्रेम का तो कहना ही क्या ...विशेषकर जब विलियम्स बहने खेल रही हों ...शर्त लगा ले ...अगर ज्यादातर पतियों को टेबल टेनिस और लोन टेनिस का अंतर भी मालूम हो तो... टकटकी लगाये इन टेनिस प्रेमियों से कोई पूछे तो कि इनके सात पुश्त में भी किसी ने टेनिस खेली थी ....और तो और जिन दिनों विम्बल्डन (महिला ) मैच आ रहे हो ...अपने सर्वाधिक प्रिय खेल क्रिकेट का त्याग भी बड़ी ख़ुशी ख़ुशी कर देते हैं ...
टीवी पर उद्घोषिकाओं के ओजस्वी बोल्ड वचनों और वादविवाद से प्रभावित इन पतियों को अक्सर पत्नियों से ये कहते सुना जा सकता है..." मुंह बंद नहीं रख सकती हो ...जरुरी है हर बात का जवाब देना "
टीवी चैनल पर कार्यक्रम को खोजते हुए रिमोट पर इनकी अंगुलिया किस कदर दौड़ती हैं कि मजाल है कोई भी कार्यक्रम ढंग से और पूरा देखा जा सके और जिन चैनल्स पर जा कर रूकती हैं ...ये नाक मुंह भौं सब सिकोड़ते हुए मिल जायेंगे ..." कैसे कैसे कार्यक्रम दिखाते हैं ये लोग भी " ....मगर मजाल है जो कम से कम दस मिनट से पहले रिमोट पर इनकी अंगुली आगे बढ़ सके ...
घर से बाहर घूमने , खाना खाने , मूवी देखने जाने पर दूसरे नव विवाहित जोड़ो (या बिना विवाहित भी ) को देखकर भीतर ही भीतर ठंडी आंहे भरते उन जोड़ो को कोसते नजर आ जायेंगे ...." क्या जमाना आ गया है " ...अब ऐसे में कोई उनके बीते ज़माने याद दिला दे तो ...
फिल्मे बकवास होती है ..क्या कहानी होती है ...फालतू समय की बर्बादी ....मगर माशूका या पत्नी के गम में इन पतियों को पास बैठी पत्नियों को बिसराते शाहरुख के साथ आंसू बहते अक्सर देखा जा सकता है ...कोई गम सालता है इन्हें भी ...कि जुदाई का गम कैसे महसूस करे... ये कही जाती ही नहीं ...
पत्नी की लाई अच्छी से अच्छी शर्ट भी इन्हें तभी पसंद आती है जब बाहर से उनकी तारीफ सुन कर आयें ...
उम्र बढ़ने के साथ इनकी खूबसूरती बढती जाती है...और पत्नी की कम (खुद इन पतियों की नजरों में )
और बार बार टूटा दिल तो ये अपनी जेब में लेकर चलते हैं...चेहरे की रंगत बताती है जितनी बार टूटा उतना अधिक फायदा ...अलग- अलग टुकड़े अलग- अलग सुन्दरियों को एक साथ देने के काम आ जाते हैं
कितना क्या लिखूं ...अनगिनत पुराण लिखे जा सकते हैं ....मगर कही जाकर तो रुकना होता है ...एक साथ इतने झटके झेल नहीं सकते ....बाकि फिर कभी ...और पतियों के कुछ गुण कमेन्ट के लिए भी तो बचने चाहिए ....
नोट ...यह एक निर्मल हास्य भर है ...दिल से ना लगाये .....पतियों से हमारी पूरी सहानुभूति है...:):)...और भुक्तभोगी होने कयास तो बिलकुल भी ना लगाये ...
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एक ख़ास सूचना ... http://www.shails.com/
स्वप्ना मञ्जूषा अदाजी का यह ब्लॉग 1995 में बना होने के कारण हिंदी का पहला ब्लॉग होने का गौरव प्राप्त करता है ....महफूज़ से मेरी बात हुई थी ...वह स्वयं इस पर लिखने वाला था इस सन्दर्भ में उसकी पोस्ट का इन्तजार है ....यदि इसमें कुछ सुधार है तो महफूज़ और अदाजी से निवेदन है कि अपना रुख स्पष्ट करें ...