शनिवार, 5 मई 2012

कुर्ती -कांचली (राजस्थानी संस्कृति में परिधान-4)

राजस्थान के घाघरा /लहंगा ओढ़नी के बारे में कौन नहीं जानता . प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में वधू के लिए चुने  जाने वाले परिधान में लहंगा ओढ़नी ही सर्वाधिक लोकप्रिय है . अन्य प्रदेशों के मुकाबले में  राजस्थान में महिलाओं के लिए मुख्य परिधान घाघरा ओढ़नी ही रहा है . दैनिक जीवन  ,मांगलिक अवसर  या प्रमुख त्योहारों पर  ग्रामीणों और शहरी से लेकर शाही परिवारों में यह परिधान समान रूप से लोकप्रिय है . बस प्रदेश की  विभिन्न जातियों , धर्म कार्य और  इलाकों के अनुसार इसके  रंग-रूप में कुछ बदलाव हो जाता है . 


राजस्थानी राजपूत महिलाओं का ऐसा ही एक प्रमुख परिधान है ...कुर्ती -कांचली . सिर्फ राजस्थानी विवाहित महिलाओं द्वारा ही पहने जाने वाला यह परिधान  राजपूत बहुल इलाकों में  लगभग सभी जातियों में लोकप्रिय है .  
इस परिधान के चार हिस्से होते हैं - लहंगा , कांचली , कुर्ती और ओढ़नी  . कुर्ती के भीतर पहने जाने वाली कांचली अंगिया के समान  मगर पूरी बाँहों(full sleeve  ) का  पीछे से खुला हुआ वस्त्र होता है जो डोरियों से बंधा होता है.  कुर्ती आम कुर्तियों जैसी मगर स्लीवलेस होती है , और इसके साथ ही होती है सिर ढकने के लिए  गोटे की किनारियों से सजी  ओढ़नी . 

कुर्ती -कांचली के  दूसरे प्रकार में लहंगा , कुर्ती और ओढ़नी होती है , इसमें कांचली नहीं होती  और कुर्ती (इसे जम्फर/अंगरखा  भी कहते हैं ) पूरी बाँहों की होती है . पर्व त्यौहार या मांगलिक अवसरों के अनुसार इसके फैब्रिक और रंग में भी परिवर्तन हो जाता  है . 
चित्र  गूगल से साभार ! 



 लोक नृत्य और गायन  की अनूठी छटा के लिए जाने जाने वाली  राजस्थान की घुमंतू  कालबेलिया 
जनजाति की स्त्रियों का विशेष परिधान भी कुर्ती कांचली ही है , मगर उनके कार्य व्यवहार के अनुसार इसका रूप  राजपूती कुर्ती कांचली से भिन्न है . इनका लहंगा काले रंगका खूब घेरदार होता है  जिसे कसीदाकारी और विभिन्न प्रकार के कांच से सजाया जाता है .  कांचली , कुर्ती तथा ओढ़नी पर भी इसी प्रकार की कसीदाकारी और सजावट होती है . इनकी कांचली में बाहें आम राजपूती कुर्ती कांचली की तुलना में बड़ी होती है . अपनी अलग कसीदाकारी के साथ ही इसके साथ पहने जाने वाली आभूषण भी इसे सामान्य कुर्ती कांचली से अलग बनाते हैं . अपने घेरदार लहंगे के साथ बला की लय और गति से जब इस जनजाति की स्त्रियाँ संपेरा नृत्य करती हैं तो देखते बनता है. इसी कालबेलिया जनजाति की मशहूर लोक कलाकार गुलाबो अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हैं .