शुक्रवार, 14 मई 2010

बड़े काम का भैया ...ये है एक रुपया




अभी सुना कुछ दिन पहले कोई कह रहा था एक रूपये में होता क्या है ...

आज कल एक रुपये मे होता क्या है...मन में ये शब्द दुहराते कही कुछ अटकने लगता है ....

होता क्यूँ नहीं ..बहुत कुछ होता है .....


एक रूपये का जिक्र आते ही आँखों के सामने अपनी प्यारी सी गुल्लक घूम जाती है ....और उसके अन्दर खनकते चम् चम् चमकदार एक रूपये के सिक्के ... .त्योहारों पर इन एक रुपयों की जमा पूंजी से ही अनगिन खुशिया आयी हैं ......गुल्लक को फोड़ते उन एक रुपयों की चमक आँखों में उतर आती है ... बूँद -बूँद कर सागर भरने जैसा या पुल के निर्माण के लिए गिलहरी के समुद्र को सोखने के प्रयास करने जैसा ही है इस एक रुपये का महत्व ...

एक रुपये की कीमत क्या होती है ......

विशेष त्योहारों या गाँव के मेले में जाने के लिए जब नानाजी और नानीजी और घर के बड़े बुजुर्ग अलग-अलग एक रुपया थमाते थे तो अपने उस एक दिन के लिए तो किसी करोडपति से कम नहीं हो जाते थे ...ख्वाबों के ऊँचे आसमान को छू आते उस एक रूपये की ही बदौलत ... एक रुपये में पूरा मेला घुमा जा सकता था ...और क्या-क्या नहीं किया जा सकता था ...झूला , आईसक्रीम , खिलौने ....बस तब दुनिया इतनी ही तो होती थी ...

आजकल एक रूपये में क्या होता है ....होता है ...बहुत कुछ होता है ...नहीं होता तो सारी मार्केटिंग कंपनियां अपनी कीमते एक रूपये कम 99,999,9999. पर ही क्यों अटका कर रखती ....बस एक रुपया कम होने से ही कीमत के कम होने का भान होने लगता है ...
एक रूपये में वाशिंग पावडर , शैम्पू , तेल , टॉफी...आदि बेच कर कंपनियां अरबों का कारोबार कर रही हैं ...

रिक्शेवाले ,सब्जियों के ठेले वाले और उनसे एक -एक रुपया कम कराने के लिए झिक- झिक करने वाली वाली गृहिणियां इस एक रूपये के जादू को खूब समझती हैं ...

सड़क के किनारे बूट पोलिश करने वाले , चौराहों पर रेड लाईट पर रुके अमीरों के वाहनों के शीशे साफ़ करते , अखबार लेने की गुहार करने वाले इन नन्हे मुन्ने कामगारों के लिए इस एक रूपये का मतलब उनकी मासूम मुस्कुराहट में कई बार आंकी है ..

शादियों या शुभ कार्यों में एक रुपया कितनी रौनक ले आता है ...भेट , बख्शीश में दिए जाने वाले १०,२०,५०,१०० रूपये इनके साथ एक और रूपये रख देने से सम्मान का प्रतीक बन जाते हैं ...

एक रुपये की कीमत तो है ....एक एक रूपये कर के अपना बैंक अकाउंट मेंटेन करने वाले करोडपति भिखारियों की कहानी तो कई बार सुन चुके ...

बस फर्क ये हो गया है कि महज एक रुपये में अब किसी का पेट नहीं भरा जा सकता ...गरीब का भी नहीं ...अमीरों का तो करोडो से भी नहीं भरा जा सकता ....उनकी भूख का समाधान अरबों रुपये के पास भी नहीं है तो इस एक रुपये की क्या बिसात ...

बहुत कमाल है ये एक रुपया ...


चित्र गूगल से साभार ....