सोमवार, 15 नवंबर 2010

प्रशांत का आत्मविश्वास ....ज्योति का संतोष ...क्या सही था !


कौन बनेगा करोडपति में अत्यधिक आत्मविश्वास में प्रशांत बातर एक करोड़ कमाकर गँवा बैठे ...बहुत बेहतरीन ढंग से खेलते और अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए प्रशांत एक लाईफ लाइन के होते हुए भी एक करोड़ कमाने के बाद 5 करोड़ कमाने के लालच (आत्मविश्वास !)के जैकपोट प्रश्न पर अटक गए 3.20लाख पर ही उन्हें संतोष प्राप्त करना पड़ा ...

इसी गेम के एक एपिसोड में जयपुर की ज्योति चौहान ने 50 लाख के 10वें प्रश्न पर पर कोई लाइफ लाईन ना होने के कारण कोई रिस्क ना लेते हुए क्विट कर गयी ...ज्योति की दर्द भरी कहानी से शो के एंकर अमिताभ बच्चन जी इतने दुखी हुए कि उसके परिवारजन से प्रार्थना कर बैठे ...ज्योति जो कि एक कामकाजी महिला है , पुलिस सर्विस में कॉन्स्टेबल के पद पर कार्यरत हैं , से उनकी लव-मैरिज के कारण उनके परिवारजन बहुत नाराज हैं ....के बी सी के मार्फ़त ज्योति ने अपने परिवारजन से मार्मिक अपील की कि वे उससे कोई सम्बन्ध ना रखना चाहे , घर ना बुलाये मगर कम से कम फोन पर तो बात कर लें ...कर्ज के बोझ से दबी ज्योति अपनी बेटी के कान के छेद के ऑपरेशन के लिए भी परेशान हैं ...बहुत दुःख हुआ देखकर ...हमारे देश और समाज की ये भी एक तस्वीर है ....अपने पैरों पर खड़ी महिला के लिए भी प्रेम विवाह की राह इतनी कठिन है ....खैर , दुआ ही की जा सकती है कि कार्यक्रम में जीती रकम से उसकी आर्थिक , पारिवारिक और सामाजिक परेशानियाँ दूर हो सकें ...क्या महानायक अमिताभ बच्चन जी की अपील का भी उसके परिवार पर कोई असर नहीं होगा ....

प्रशांत और ज्योति दोनों ने गेम के जरिये धन(एक प्रकार से मुफ्त) .....प्रशांत को एक करोड़ मिल जाते यदि संतोष धन उनके पास होता ...मगर ५ करोड़ के लालच ने उन्हें ३ लाख २० हजार पर ही संतोष करने के लिए बाध्य किया ...ज्योति को मुफ्त में कमाए हुए धन की भी कीमत पता थी , क्यूंकि जिस परिस्थिति से वे गुजर रही है , एक एक पैसा उनके लिए कीमती था ....वही प्रशांत को एक करोड़ पर भी संतोष नहीं था ...

मन और मस्तिष्क लड़ रहे हैं इस बात पर कि प्रशांत ने क्या गलत किया ...क्या उनके आत्मविश्वास को लालच का नाम दिया जाना चाहिए था ...क्या जीवन में इस तरह के रिस्क नहीं लिए जाने चाहिए ...क्या होता यदि प्रशांत ५ करोड़ जीत जाते ... सभी उनके आत्मविश्वास और रिस्क लेने की क्षमता पर मुग्ध होते ...
सही मुहावरा क्या होगा .......
" गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में " ....या
" लालच बुरी बला है ".... !






तस्वीर गूगल से साभार ....