रविवार, 5 दिसंबर 2010

मेंम साहब की कुतिया ......






में साहब की पामेरियन


कुत्तों के लगातार भौंकने की आवाज़ और गाड़ी के होर्न , कारिंदों की चहल -पहल से अनुमान लगाया कांता ने कि नगरनिगम की गाडी आ गयी है ...आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए ...

बोरी उठाये गली के कुत्तों के पीछे दौड़ते कर्मचारी और उनसे बच निकलने की कोशिश कुत्तों की ...बिल्ली चूहे या चोर पुलिस के खेल सा दृश्य दृष्टिगोचर होने लगता है ...आजादी की कीमत तो ये कुत्ते भी खूब समझते हैं .... गली के कोने पर कूं - कूं करता पड़ा हुआ टौमी कराह रहा था ..पूरे दो दिन से वही एक जगह पड़ा हुआ ....कुछ दिन पहले उसकी पीठ पर घाव का निशान देखा था कांता ने ...दूसरी गली के कुत्तों के साथ जंग में घायल हो गया था बेचारा ...उसके होते किसकी मजाल थी कि किसी दूसरी गली का कुत्ता आये और भौंक कर चला जाए ...मगर इस बार घाव गहरा था ....अब तो बिलकुल ही हिलना डुलना मुश्किल था ...

पिछले कई महीनों से देख रही थी कांता इसे ...आस पास के घरों से रोटी मिल जाती थी और गली के कोने में ऐसे अलसाया पड़ा रहता , मगर जैसे ही कोई अजनबी नजर आता कान खड़े हो जाते उसके , दौड़ा भगा चलता आता ...भोंक भोंक कर नाक में दम कर देता ...कई बार कांता जब सब्जी लेने या किसी काम से घर से निकालती तो वह भी साथ हो लेता ...बाकायदा गली के आखिरी छोर तक उसके साथ चलता ....बच्चे हँसते थे उसपर ...बौडीगार्ड है आपका ....मोहल्ले वाले उसकी वफ़ादारी से बहुत प्रसन्न थे यहाँ तक कि कांता की कर्कशा पड़ोसन भी जो जब तब हर किसी से भिड जाती थी ...माली , सब्जी वाला , पेड -पौधों वाला , मोची ... ..मजाल है जो आजतक किसी को उसने वाजिब कीमत दी हो ..काम पूरा करवाने के बाद थोड़े बहुत पैसे बहुत एहसान के साथ पकड़ा देती इन लोगों को और यदि किसी ने साहस कर लिया पूरी कीमत मांग लेने का तो फिर उसकी खैर नहीं ....ऐसी महिला यदि किसी कुत्ते से खुश है , टिके रहने देती है गली में तो उसमे कुछ न कुछ ख़ास तो पक्का ही है ...

मगर घाव खाया टौमी ( नाम कांता ने ही दिया था ) जब से बीमार पड़ा है , उसके घाव में कीड़े पड़ गए हैं , वही महिला हाय तौबा मचाये रखती है ....जब भी कांता नजर आ जाती है उसे तो तीखा बोले बिना नहीं रहती ..." रोटी दे दे र हिला लियो ...कत्तो बास मार है ...लोगां ना कियां क्यां काम सूझ ...आपक घर में क्यूँ ना राख लेव " (रोटी खिला कर मुंह लगा लिया इसे ...कितनी बदबू मार रहा है ...लोगों को भी क्या क्या काम सूझते हैं , अपने घर में क्यूँ नहीं रख लेते )....

टौमी


आखिर कांता ने नगरनिगम के पशु विभाग में फ़ोन कर बीमार कुत्ते की इत्तला कर दी ...और वही गाडी आ पहुंची थी उसे लेने ....इस हालत में टौमी भाग नहीं सकता था इस लिए आसानी से गिरफ्त में आ गया ....उसे ले जाते देख कांता को थोडा दुःख तो हुआ मगर उसे संतोष था कि पशु चिकित्सालय में उसका ठीक से इलाज़ हो सकेगा ...कम से कम उम्मीद तो यही थी ...

सुनो , रामलीला मैदान में सहकार मेला लगा है , तिब्बती मार्केट भी लगा हुआ है ...आज फ्री हूँ ...जो लाना है चल कर ले आओ ...फिर मुझे समय नही होगा तो जान खाओगी ...गाड़ी की धुलाई करते हुए कांता के पति ने पत्नी और बच्चों को कहा ...
दोनों बच्चे बड़े खुश हो गए ...हाँ हाँ, पापा चलिए , मुझे नयी डिजाईन की जैकेट लानी है ...शायद तिब्बती मार्केट में मिल जाए ...
व्यस्ततम बाजार में गाडी पार्क करते एक बड़ी सी गाडी पर कांता की नजर ठहर गयी ...उसकी खिड़की से एक सफ़ेद झक पामेरियन कुतिया झाँक रही थी ..."बेबी , मुंह अन्दर करो , डोंट क्राई"...उसकी मोटी -सी मालकिन गोदी में लेकर लाड़ दुलार कर रही थी ....बेबी के लिए एक अच्छा सा ब्लैंकेट देखना है , बहुत ठण्ड हो गयी है ..अपने पास बैठे व्यक्ति से कहा उसने ....
कांता को एकदम से टौमी याद आ गया ....देशी कुत्तों को कहाँ यह सब नसीब है ...बेचारे गली -गली भटकते रहते हैं , अक्सर दुत्कारे जाते हैं ...कोई तरस खाकर कुछ खिला दे तो ठीक वरना ....

तभी देखा उसने एक गन्दा सा लड़का , मिट्टी में सना कपड़े से उस महिला की गाडी साफ़ करता रिरिया रहा था.....दो रूपये दे दीजिये ...अपने पप्पी के मुंह में महंगे बिस्किट ठूंसती महिला ने मुंह फेर कर अपने ड्राईवर से कहा ," अरे , हटाओ इसे ...गाड़ी साफ़ कर रहा है या और गन्दी कर देगा ...हटाओ इसे यहाँ से "

कांता की उदासी बढती गयी ....नर्म बिस्तर , ममतामयी गोद , गरम कपड़े ,महंगा खाना .... देशी कुत्ते ही क्यों , बिना घर बार वाले अनाथ बच्चों , या घर -बार होकर भी मांगने को विवश बच्चों से भी अच्छे हैं ...विदेशी कुत्तों के नसीब.......एक गहरी सांस लेकर खुद को सामान्य रखने की कोशिश करती मेले की ओर बढ़ चले कांता के कदम ...






चित्र गूगल से साभार ....