रविवार, 13 फ़रवरी 2011

कैसे होते हैं ये रिश्ते ....




एक शहर में कही भाई- बहन रहते थे ...सुबह सवेरे की फुर्सत में दोनों कई बार गप लड़ाते ,लड़ते झगड़ते ...बहन अपनी घर गृहस्थी में मगन आजकल सुबह भाई से मिल नहीं पाती ...भाई की व्यस्तताएं भी बढ़ गयी थी ...दोनों अपनी ही दुनिया में बहुत व्यस्त ...नगर के बीच बने पार्क में कभी कभी एक दूसरे को नजर आ जाते ...एक दूसरे को स्वस्थ मस्त देख कर मन में तसल्ली होती मगर जल्दी में होने के कारण कतरा कर निकल जाते....इसी बीच भाई का जन्मदिन आया ...बहन उसे विश नहीं कर पाई , व्यस्तता के कारण भूल गयी थी और शायद कही कोई नाराजगी भी ...इतने दिन तक भाई ने भी तो खबर नहीं ली थी ...

जन्मदिन के दूसरे दिन भाई को सुबह- सवेरे फिर नजर आई बहन ....उसने अपनी बहन को जन्मदिन पर बधाई देने के लिए धन्यवाद कहा ....बहन असमंजस में थी कि क्योंकि वह वाकई भूल गयी थी ...

" पर मैंने तो तुम्हे विश ही नहीं किया , सॉरी ...मुझे याद नहीं था "....उसने कहा
"नहीं ...आपने किया तो था...

बहन को शंका हुई कि उसने तो विश नहीं किया , कही उसके नाम से किसी और ने तो भाई को बधाई नहीं दे दी ...उसे विश्वास दिलाने के लिए भाई ने उसके हाथ में कार्ड थमा दिया ...वाकई कार्ड बहन के नाम से ही दिया गया था ..उसने उलट पुलट कर देखा ....तारीख को गौर से पढ़ा ...वह कार्ड पिछले वर्ष का था ...

"यू इडीअट , ये कार्ड तो पिछले वर्ष का है "...बहन ने प्यार से उसके सर पर चपत लगाई .

"होगा , मैंने उसकी तारीख नहीं देखी "....भाई ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया !

निष्छल प्रेम की तारीख वर्षों तक नहीं बदलती ...या वह तारीख के साथ नहीं बदलता !

छोटे भाई ने अपनी बड़ी दीदी को समझा दिया था ....हमेशा बड़े ही समझदार नहीं होते ....!




चित्र गूगल से साभार !
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