मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018

रिश्तों की पाठशाला ...(1)


आपको पता है न. उसने जीवन भर हमारे साथ कितना बुरा व्यवहार किया. कभी हमारी तो क्या बच्चों की शक्ल तक नहीं देखी. कभी होली दिवाली नमस्कार करने जैसा भी नहीं. फिर भी हम सब भुलाकर रिश्ता निभाते रहे.

हाँ. बात तो आपकी सही है. हमारे साथ भी उसका यही व्यवहार था.

पर उस दिन उसकी गलती थी. कितना भारी , सुख और दुख दोनों का ही समय था. एक दिन के लिए भी जिस बेटी को स्वयं से अलग नहीं किया, वह हमसे इतनी दूर जाने वाली थी. तब उसने पूरा माहौल खराब किया. आधी रात में सड़क पर हंगामा किया. नये बन रहे रिश्तों के सामने .

बात तो आपकी सही है. उस समय चुप रहना था उनको...

मगर फिर भी आप लोगों ने कुछ नहीं कहा उसे. हमें ही टोकते रहे.

क्या करें. इतनी मुश्किल से वर्षों बाद उसने आना  शुरू किया है. कुछ कहें तो फिर से नाराज हो जायेगा, आना जाना छोड़ देगा.

मतलब ...हम आना - जाना नहीं छोड़ते इसलिए हमें कुछ भी कहा जा सकता है!!



टेढ़ी कीलों को तो हथौड़ा भी नहीं ठोकता, सीधी पर ही चलता है दनादन...सोचते हुए मुस्कुराहट आ ही गई.
#रिश्तोंकीपाठशाला