गुरुवार, 20 मई 2010

विश्व की सबसे कडवी और मीठी वस्तु एक ही है .....क्या ...??





लगभग दो हज़ार वर्ष पूर्व की बात है । यूनान का एक सम्राट रोम की यात्रा पर था। अपने मित्र राजा के घर उसका संध्या का भोजन निश्चित चुका था । यूनानी सम्राट ने ने अपने मित्र से दुनिया की सबसे मीठी चीज़ परोसने का अनुरोध किया था ।

शाम को जब राजा में महल में भोजन परोसा जा रहा था तो यूनानी मेहमान को जिज्ञासा थी यह जानने की आखिर दुनिया की सबसे मीठी कौन सी चीज़ परोसी गयी है । भोजन की मेज विविध पकवानों से सजी थी। मेज के बीचो बीच एक लाल मखमली कपडे से ढकी एक प्लेट थी ।

राजा ने यूनानी मित्र से मखमली कपडे को हटाने का अनुरोध करते हुए कहा " देख लो मित्र , यह है दुनिया की सबसे मीठी चीज । प्लेट में रखी चीज को देखकर राजा हतप्रभ रह गया । वह एक जुबान थी
राजा
ने कहा ," माना कि यह पशु की कटी जुबान है , मगर प्रतीक एक रूप में इसने अपना उपयोग सिद्ध कर दिया है । मित्र , जबान की मिठास ह्रदय व मस्तिष्क को छू जाती है था इससे अधिक मीठा कुछ नहीं हो सकता ।"

यूनानी सम्राट राजा की बात से सहमत होता हुआ मानव वाणी की महता एवं अभूतपूर्व शक्ति के बारे में सोचता रहा।

भोजन समाप्त होने के बाद यूनानी सम्राट ने अपने मित्र और मेजबान रोमान राजा से अनुरोध किया । " मित्र, मैं कल पुनः भोजन का आमंत्रण चाहता हूँ और आपसे विश्व की सबसे कडवी वस्तु परोसने का आग्रह करता हूँ "

रोमन राजा ने उसके यह बात मान ली । दूसरे दिन शाम को फिर वही दृश्य था । अनगिनत सुस्वादु पकवानों से सजी मेज पर बीचोबीच नीले रंग के मखमल से ढकी वस्तु रखी थी । राजा ने यूनानी मित्र से प्लेट से मखमली कपडा हटाने का अनुरोध करते हुए कहा ," यह लो मित्र , दुनिया की सबसे कडवी चीज " यूनानी सम्राट ने कपडा हटाया तो फिर प्लेट में फिर से कटी जबान को देखकर आश्चर्यचकित रह गया । उसने राजा से पूछा ," यह दुनिया की सबसे कडवी चीज भी कैसे हुई "??

राजा का जवाब था , " हाँ मित्र , यही सच है । विश्व की सबसे मीठी चीज भी जबान थी और सबसे कडवी चीज भी जबान ही है मीठी जबान ह्रदय और मस्तिष्क को तृप्त करती है तो यही जबान कडवी होकर हृदय और मस्तिष्क को जबरदस्त आघात भी पहुंचा सकती है . अतः इसका उपयोग करने में सावधानी बरतनी चाहिए "

यूनानी सम्राट अपने रोमन राजा मित्र की समझदारी और व्यवहारकुशलता से मुग्ध हुआ




हमारे जीवन में अपने दृष्टिकोण और चिंतन को सुन्दर व सकारात्मक बनाने की सबसे अधिक आवश्यकता है । वाणी तो मन व मस्तिष्क के अधीन है ।
हम
दूसरों के गुण देखें , कमियां नहींस्थितियों और पैर्स्थितियों में अच्छाई देखें , बुराई नहींआशावादी बने , निराशावादी नहींधैर्य रखे और अनावश्यक क्रोध ना करे तो जीवन सहज और सरल हो सकेगा

अच्छा सोचें , अच्छा बोले , सुन्दर कल्पनाएँ करें , उठें , उडान भरें , चहकें , गुनगुनाएं , मुस्कुराएँ और आनद का विस्तार करें......जीवन की यही सार्थकता है



संकलित
चित्र गूगल से साभार ....

सोमवार, 17 मई 2010

ईस्ट इंडिया कंपनी जी , आओ नी सा ....पधारो म्हारा और म्हारा पड़ोसिया का देस

परदेसी थारी ओल्यु घणी आव , पागल मन न कुण समझाव

(परदेसी तुम्हारी बहुत याद आती है , पागल मान को कौन समझाए )

ईस्ट इंडिया कंपनी जी , आओ नी सा ....पधारो म्हारा और म्हारा पाड़ोसिया का देस

क्यूंकि म्हाका माजना अस्या ही है ...
(
क्योंकि हम इसी लायक हैं )

जो विष बीज थे बार गया अब फल फूलां से लद गा । आर देखो तो सही थांकी बोयोडी फसल कसी लहलहा गयी है थानको बोयोड़ो आर थे ही काट ले जाओ.... ...थे तो दो टुकड़ा करना की ही सोच्या , अब तो इत्ता टुकड़ा होण लग्या है कि थांकी तो पौ बारह हो जायेगी ...सौ सालं री गुलामी करार थे म्हाँकी असी आदत बिगाड दी कि अब तो म्हें स्वतंत्र रह ही कोणी सका ...

(जो विषबीज आप बोकर गए थे , अब फल और फुल्लों से लड़े पेड बन चुके हैं ...आकर देखो तो सही , आपकी बोई हुई फसल कैसी लहलहा गयी है ।, आपका बोया आप ही काट कर ले जाएँआपने तो दो टुकड़े करने की ही सोची थी अब तो इतने टुकड़े होने लगे हैं कि आपकी तो पौ बारह हो जाएगीसौ साल की गुलामी देकर हमारी आदत इतनी बिगड़ दी कि अब हम स्वतंत्र रहने के काबिल ही नहीं रहे )

म्हाका माथा कोई परेशानी ना पड़ा तो म्हें एकजुट हो ही कोणी सकां ...थे आओगा ....थान्को लगायोड़ो बोर्ड जगामगाव्गो " इंडियंस एंड डॉग्स र नोट अलावुड" थोडा हंटर चालोग , नीलां की खेती करोगा , जद तो जार थोड़ी हलचल होवागी , पण अबकी थान अत्ति परेशानी कोणी उठानी पडसी ....क्यूंकि एक होर लड़ने मरण जस्सी अबो हवा तो अब म्हांका रही कोणी ...तो फेर अत्तो कईं सोच्नो लाग्यो हा ....आर थांकी सत्ता संभालो ....

(जब तक हमारे सर पर मुसीबत नहीं हो , हम हिन्दुस्तानी एक जुट नहीं हो सकते , आप आयेंगे , पके लिखे बोर्ड जगमगायेंगे " इंडियंस एंड डॉग्स नोट अलावुड" , नील की खेती होगी , हंटर चलेंगे , तब जाकर थोड़ी हलचल मचेगी , मगर अब आपको इतनी परेशानी नहीं होगी हमें तोड़ने में , क्यूंकि एक होकर लड़ने मरने जैसे आबो हवा अब हमारे देश में नहीं रही , तो अब इतना क्या सोचना है , आकर अपनी सत्ता संभालें )

हाँ ...पहलि का जियां हीरा जवाहरात का लालच में मत आजो ...अब अठा कोणी लाधगो , कचरों घनो ही मिल जावगो , भाषा , बोली , जात , धरम का झगडा सा उपज्यो कचरों , भर भर थाल ले जाओ थांका देस.....

(हाँ , पहले की तरह हीरे जवाहरात के लालच में यहाँ मत आना , यहाँ नहीं मिलेगा , भाषा जाति, धर्म बोली के झगडे से उपजा कचरा ही मिलेगा , जिसे बेशक आप थाली भर कर ले जाएँ अपने देश )

ओर अबका आण म तो अब तो थाना रास्ता ढूंढना की जरुरत भी कोणी पडसी ....देस क हर कोना पर थांका आण की जगह बना राखी ह ... जो रास्तो थानों आसान लाग आपकी मर्जी स चुन र आ सको हो ...म्हांका सिपाही खुद थान इज्ज़त स्यूं लेर सिंहासन तक पहुंचा देसी ..बस अब ज्यादा मत सोचो , आ ही जाओ , पण म्हास पेली म्हांका पाड़ोसियाँ का आजो ....

(और इस बार आपको आने के लिए रास्ते ढूँढने की जरुरत नहीं होगी देश के हर कोने में आपके लिए रास्ते खुले हैं , अपनी मर्जी से जो आसान लगे, चुन लें , हमारे गद्दार साथी खुद आपको इज्ज़त से सिंहासन तक पहुंचा देंगे , बस अब ज्यादा मत सोचो , ही जाओ , पर हमसे पहले हमारे पड़ोसियों के आना )




(पहली बार राजस्थानी भाषा में लिखने का प्रयास किया है .... वैसे इतना मुश्किल भी नहीं है इसे पढना मगर रंजनाजी और अदाजी के सुझाव के अनुसार देवनागरी में भी लिख दिया है )

महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम ...

महिला ब्लॉगर्स का सन्देश जलजला जी के नाम


कोई मिस्टर जलजला एकाध दिन से स्वयम्भू चुनावाधिकारी बनकर.श्रेष्ठ महिला ब्लोगर के लिए, कुछ महिलाओं के नाम प्रस्तावित कर रहें हैं. (उनके द्वारा दिया गया शब्द, उच्चारित करना भी हमें स्वीकार्य नहीं है) पर ये मिस्टर जलजला एक बरसाती बुलबुला से ज्यादा कुछ नहीं हैं, पर हैं तो कोई छद्मनाम धारी ब्लोगर ही ,जिन्हें हम बताना चाहते हैं कि हम इस तरह के किसी चुनाव की सम्भावना से ही इनकार करते हैं.

ब्लॉग जगत में सबने इसलिए कदम रखा था कि न यहाँ किसी की स्वीकृति की जरूरत है और न प्रशंसा की. सब कुछ बड़े चैन से चल रहा था कि अचानक खतरे की घंटी बजी कि अब इसमें भी दीवारें खड़ी होने वाली हैं. जैसे प्रदेशों को बांटकर दो खण्ड किए जा रहें हैं, हम सबको श्रेष्ट और कमतर की श्रेणी में रखा जाने वाला है. यहाँ तो अनुभूति, संवेदनशीलता और अभिव्यक्ति से अपना घर सजाये हुए हैं . किसी का बहुत अच्छा लेकिन किसी का कम, फिर भी हमारा घर हैं न. अब तीसरा आकर कहे कि नहीं तुम नहीं वो श्रेष्ठ है तो यहाँ पूछा किसने है और निर्णय कौन मांग रहा है?
हम सब कल भी एक दूसरे के लिए सम्मान रखते थे और आज भी रखते हैं ..
अब ये गन्दी चुनाव की राजनीति ने भावों और विचारों पर भी डाका डालने की सोची है. हमसे पूछा भी नहीं और नामांकन भी हो गया. अरे प्रत्याशी के लिए हम तैयार हैं या नहीं, इस चुनाव में हमें भाग लेना भी या नहीं , इससे हम सहमत भी हैं या नहीं बस फरमान जारी हो गया. ब्लॉग अपने सम्प्रेषण का माध्यम है,इसमें कोई प्रतिस्पर्धा कैसी? अरे कहीं तो ऐसा होना चाहिए जहाँ कोई प्रतियोगिता न हो, जहाँ स्तरीय और सामान्य, बड़े और छोटों के बीच दीवार खड़ी न करें. इस लेखन और ब्लॉग को इस चुनावी राजनीति से दूर ही रहने दें तो बेहतर होगा. हम खुश हैं और हमारे जैसे बहुत से लोग अपने लेखन से खुश हैं, सभी तो महादेवी, महाश्वेता देवी, शिवानी और अमृता प्रीतम तो नहीं हो सकतीं . इसलिए सब अपने अपने जगह सम्मान के योग्य हैं. हमें किसी नेता या नेतृत्व की जरूरत नहीं है.
इस विषय पर किसी तरह की चर्चा ही निरर्थक है.फिर भी हम इन मिस्टर जलजला कुमार से जिनका असली नाम पता नहीं क्या है, निवेदन करते हैं कि हमारा अमूल्य समय नष्ट करने की कोशिश ना करें.आपकी तरह ना हमारा दिमाग खाली है जो,शैतान का घर बने,ना अथाह समय, जिसे हम इन फ़िज़ूल बातों में नष्ट करें...हमलोग रचनात्मक लेखन में संलग्न रहने के आदी हैं. अब आपकी इस तरह की टिप्पणी जहाँ भी देखी जाएगी..डिलीट कर दी जाएगी...