शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

ये बेचारे (??) पति

ये बेचारे पति ....

इनको समझने के लिए खुशदीप जी के दस commandents की कोई आवश्यकता नहीं ...दरअसल इन्हें समझने की ही जरुरत कहाँ पड़ती है ...फिर भी शिखा वार्ष्णेय ने अपनी पोस्ट में परिभाषित करने की कोशिश की थी ...मगर हरी अनंत... हरी कथा अनंता की तरह पतियों की अपार महिमा को महज दस पॉइंट्स में प्रस्तुत करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ...इसलिए जो रह गए मैं यहाँ लिखने की कोशिश कर रही हूँ ....

बात पति की हो और खाने से शुरुआत ना हो ....

पत्नी के हाथ का बना भारतीय, चायनीज , कांटिनेंटल ...हर तरह का खाना अपनी अंगुलिया चाट कर खाने के बाद पेट पर हाथ फेरते पतियों के मुंह से यही सुनने को मिलेगा ...खाना तो हमारी मां बनाती थी ...(वो चाहे जिंदगी भर पुए पकौड़ी बना कर ही खिलाती रही हों )......

2 किलोमीटर जोगिंग कर के आये पत्नी और बच्चों के साथ बैडमिन्टन खेलते हुए अगर पिताजी का फ़ोन आ जाये तो फिर देखिये ....दुनिया जहां की दुःख तकलीफ एक साथ उनकी आवाज में समां जायेगी ....बरसों पहले पाँव की टूटी हड्डी का दर्द उभर कर सामने आ जाता है ....

और इन पतियों के टेनिस प्रेम का तो कहना ही क्या ...विशेषकर जब विलियम्स बहने खेल रही हों ...शर्त लगा ले ...अगर ज्यादातर पतियों को टेबल टेनिस और लोन टेनिस का अंतर भी मालूम हो तो... टकटकी लगाये इन टेनिस प्रेमियों से कोई पूछे तो कि इनके सात पुश्त में भी किसी ने टेनिस खेली थी ....और तो और जिन दिनों विम्बल्डन (महिला ) मैच आ रहे हो ...अपने सर्वाधिक प्रिय खेल क्रिकेट का त्याग भी बड़ी ख़ुशी ख़ुशी कर देते हैं ...

टीवी पर उद्घोषिकाओं के ओजस्वी बोल्ड वचनों और वादविवाद से प्रभावित इन पतियों को अक्सर पत्नियों से ये कहते सुना जा सकता है..." मुंह बंद नहीं रख सकती हो ...जरुरी है हर बात का जवाब देना "

टीवी चैनल पर कार्यक्रम को खोजते हुए रिमोट पर इनकी अंगुलिया किस कदर दौड़ती हैं कि मजाल है कोई भी कार्यक्रम ढंग से और पूरा देखा जा सके और जिन चैनल्स पर जा कर रूकती हैं ...ये नाक मुंह भौं सब सिकोड़ते हुए मिल जायेंगे ..." कैसे कैसे कार्यक्रम दिखाते हैं ये लोग भी " ....मगर मजाल है जो कम से कम दस मिनट से पहले रिमोट पर इनकी अंगुली आगे बढ़ सके ...

घर से बाहर घूमने , खाना खाने , मूवी देखने जाने पर दूसरे नव विवाहित जोड़ो (या बिना विवाहित भी ) को देखकर भीतर ही भीतर ठंडी आंहे भरते उन जोड़ो को कोसते नजर आ जायेंगे ...." क्या जमाना आ गया है " ...अब ऐसे में कोई उनके बीते ज़माने याद दिला दे तो ...

फिल्मे बकवास होती है ..क्या कहानी होती है ...फालतू समय की बर्बादी ....मगर माशूका या पत्नी के गम में इन पतियों को पास बैठी पत्नियों को बिसराते शाहरुख के साथ आंसू बहते अक्सर देखा जा सकता है ...कोई गम सालता है इन्हें भी ...कि जुदाई का गम कैसे महसूस करे... ये कही जाती ही नहीं ...

पत्नी की लाई अच्छी से अच्छी शर्ट भी इन्हें तभी पसंद आती है जब बाहर से उनकी तारीफ सुन कर आयें ...

उम्र बढ़ने के साथ इनकी खूबसूरती बढती जाती है...और पत्नी की कम (खुद इन पतियों की नजरों में )

और बार बार टूटा दिल तो ये अपनी जेब में लेकर चलते हैं...चेहरे की रंगत बताती है जितनी बार टूटा उतना अधिक फायदा ...अलग- अलग टुकड़े अलग- अलग सुन्दरियों को एक साथ देने के काम आ जाते हैं

कितना क्या लिखूं ...अनगिनत पुराण लिखे जा सकते हैं ....मगर कही जाकर तो रुकना होता है ...एक साथ इतने झटके झेल नहीं सकते ....बाकि फिर कभी ...और पतियों के कुछ गुण कमेन्ट के लिए भी तो बचने चाहिए ....




नोट ...यह एक निर्मल हास्य भर है ...दिल से ना लगाये .....पतियों से हमारी पूरी सहानुभूति है...:):)...और भुक्तभोगी होने कयास तो बिलकुल भी ना लगाये ...

*************************************************************************************
एक ख़ास सूचना ... http://www.shails.com/manjusha/index.html.....
स्वप्ना मञ्जूषा अदाजी का यह ब्लॉग 1995 में बना होने के कारण हिंदी का पहला ब्लॉग होने का गौरव प्राप्त करता है ....महफूज़ से मेरी बात हुई थी ...वह स्वयं इस पर लिखने वाला था इस सन्दर्भ में उसकी पोस्ट का इन्तजार है ....यदि इसमें कुछ सुधार है तो महफूज़ और अदाजी से निवेदन है कि अपना रुख स्पष्ट करें ...




61 टिप्‍पणियां:

  1. सफल और सुन्दर पति पुराण
    मजेदार कटाक्ष

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अगर आप पीड़ित पतियों कि एक झलक देखना चाहते है तो कृपया एक नजर और अपने कीमती समय से थोडा टाइम निकाल कर कमल हिन्दुस्तानी के इस ब्लॉग पर नजर डाले www.becharepati.blogspot.in और इस ब्लॉग को अपनी राय और आशीर्वाद जरुर प्रदान करें | आपकी अति कृपया होगी धन्यबाद |
      kamalsharma440@gmail.com mobile :- 09034048772 ,09045783454

      हटाएं
  2. वाणी जी,
    क्या खाया था कल, अब बस इतना बता दीजिए मैं कौन से बिल में जाकर छिपूं...

    अब पता चला कि महिलाएं दुनिया में पुरुषों की तुलना में अधिक खुश क्यों दिखाई देती हैं...

    क्योंकि महिलाओं की कोई पत्नी नहीं होती...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  3. पत्नी-प्रदेश की कुछ मान्यताएँ पति-प्रदेश में अतिक्रमण कर गई हैं।
    लेख गुदगुदा गया।
    टेनिस की विलियम्स बहनों से बहुत से पुरुष खौफ खाते हैं। माबदौलत भी उनमें से एक हैं। मरिया शरापोवा जैसियाँ खेल रही हों तो बात और हो जाती है। जाने कितने देख देख कर ही टेनिस ज्ञानी हो गए।
    उपदेशों की तुलना में बोध कथाएँ अधिक सफल होती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस आईने में हम खुद को भी देखते हैं
    कभी उनका कभी अपना सा मुंह देखते हैं
    ब्लॉग इन १९९५ ?

    जवाब देंहटाएं
  5. खूबसूरती बढ़ने वाली बात तो आपने एकदम सही कह डाली... :) हा हा!!

    जवाब देंहटाएं
  6. अदा जी को भी बधाई...इसमें विवाद क्या करना. :)

    जवाब देंहटाएं
  7. हम खुद १९९४ के ब्लॉगर हैं.... स्वयंभू प्रथमाचार्य!! हमरी भी जय हो!!

    जवाब देंहटाएं
  8. पतियों से हमारी पूरी सहानुभूति........................... ये बढ़िया है मम्मी । बाप रे आपने डरा दिया है कितनी कुवारीं लड़कियों को, ये तो बहुत नाइंसाफी आपको सब पता है तो इसका मतलब ये तो नही सब राज खोल दिये जायें , भाई कोई है यहाँ जो धर्मपत्नियों के बारे में कुछ बता पायें ।

    जवाब देंहटाएं
  9. are ye kya...jhaadu lekar pad gayi hai patiyon ke peeche ??
    aati hun teri khabar lene...ruk zara..:)

    जवाब देंहटाएं
  10. हमको ये पति पुराण लिखने पर कोई आपत्ति नही है. सब स्वतंत्र हैं. पर विरोध अवश्य है. काहे से कि पहले से ही सताये हुये बेचारे पतियों के घावों को खोलकर उन पर काला नमक छिडकने की ये कोशीश है. हां अगर सफ़ेद नमक छिडक देती तो कोई बात नही थी. काहे से कि बेचारे दीन हीन पतियों को घावों पर सफ़ेद नमक सहन करने की आदत हो चली है पर आजकल जैसे इंकमटेक्स वाले काली कमाई खोज रहे हैं वैसे ही आपने भी उपवास वाला काला नमक डालना शुरु कर दिया है. यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नही किया जायेगा. बस अब एक "दीन हीन पति परमेश्वर संघ" का गठन करने की घोषणा अगली ही पोस्ट में करके रहुंगा.

    और हां मकरंद को ढूंढ कर आपके ब्लाग पर आंदोलन करने और नारे लगाने के लिये अभी भिजवाता हूं>:)

    नोट : बालक मकरंद को जानने के लिये उपरोक्त लिण्क की टिप्पणीयां पढे या समीरलाल जी से पता करें.:)

    रामराम

    जवाब देंहटाएं
  11. कोई किसी से कम नही..वैसे अभी तो हम इन सब बातों से बहुत दूर है आगे देखते है की क्या होता है...बढ़िया और मजेदार चर्चा...बधाई

    जवाब देंहटाएं
  12. आज गुरु मुकेश बहुत याद आ रहे हैं। ऊ कहते थे
    १. जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
    तुम दिन को अगर रात कहो रात कहेंगे
    २. चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था
    हां तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था।

    ई दुन्नु भार्या भजन लगा दिये हैं। दिन भर बजता रहेगा ... (अगर ऊ चुप रहीं तो)!!!

    जवाब देंहटाएं
  13. @ताऊ जी,
    ये 'दीन हीन पति परमेश्वर संघ' की सदस्यता कब से खुल रही है...मेरा अग्रिम आवेदन स्वीकार करें...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  14. @ताऊ जी,

    हमारा भी सदस्यता के लिये अग्रिम आवेदन स्वीकार करें, क्योंकि बताये गये बहुत सारे पतिगत कीटाणु हमारे अंदर भी मौजूद हैं, रक्षा करें ।

    जवाब देंहटाएं
  15. जय हो पति पुराण की लगता है अभी भी बहुत कुछ रह गया शायद मुझे पूरा करना पडे ये पुराण तो अन्तहीन है। बहुत मजेदार पोस्ट है खुश रहो। शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  16. vani ji
    bahut hi mazedar post lagayi hai aur patiyon ki achchi vaat lagayi hai.......are aise na jaane kitne aur gun hain becharon mein bas dheere dheere ye sutli bob fodte jaiye .........atom bomb nhi hona chahiye varna bachare kahan moonh chupayenge............hahahahaha.
    bas ek kaam aur kijiyega iske baad ab yahan par pidit patni sangh ki ghoshna aur kar dijiyega phir dhamaal dekhiyega...........hahahaha

    जवाब देंहटाएं
  17. हाँ, धर्मपत्नी इसे ही कहते हैं जो पतियों की सभी बुराइयों-अच्छाइयों से भलीभांति परिचित होती हैं....निर्मल हास्य है अन्यथा न लें.
    गुदगुदा देने वाले इस पोस्ट को पढ़कर बहुत आनंद आया. कहीं आप महिला संगठन की अध्यक्षा तो नहीं जो सभी पतियों का हाल जानती हैं!
    ....आभार.

    जवाब देंहटाएं
  18. हाँ, इसे होली-पोस्ट कह कर मन से पढ़ सकता हूँ !
    पन्द्रह बरस पहले ही नेट पर हिन्दी कवितायें ! अदा जी को बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  19. हे ईश्वर ये क्या दिन दिखा रहा है? ऊठाले मुझे तो इस दीन दुनियां से. अब ये दुनियां मेरे काम की नही. चला मैं तो दुनियां से.:)

    सबको अपनी रामराम भाईयो.

    जवाब देंहटाएं
  20. आपका पति पुराण बहुत ही भाया ... अच्छा ल=किया आपने किक दिया ... कम से कम अब मर्दों पर ये ब्लेम तो नही लगेगा की वो पत्नियों का मज़ाक उड़ाते हैं ...

    जवाब देंहटाएं
  21. बेचारे पति.... है भगवान तु दो दिन के लिये इन सब पत्नियो को पति बना !! फ़िर इन से पुछे कोन ज्यादा ऎश करता है.कोन ज्यादा टी वी देखता है, कोन ज्यादा लडता है....:)
    बहुत सुंदर लेख, लेकिन आप का लेख पढ कर अब ताऊ के पीछे ही चलना होगा

    जवाब देंहटाएं
  22. एकदम सही लिखा है आपने!

    पर हम तो भई गोपाल प्रसाद व्यास जी के चेले हैं जिन्होंने लिखा हैः

    यदि ईश्वर में विश्वास न हो,
    उससे कुछ फल की आस न हो,
    तो अरे नास्तिको ! घर बैठे,
    साकार ब्रह्‌म को पहचानो !
    पत्नी को परमेश्वर मानो!

    जवाब देंहटाएं
  23. Pati purana sunkar bahut achha laga....
    Yah to anant gaatha hai......
    bahut achhi post....
    Badhai

    जवाब देंहटाएं
  24. मेरे हाथ में न रिमीट है, न टेलीवीजन। टीवी उद्घोषिकाओं का होठ चबा कर/बिचका कर बोलना कभी न भाया था।

    लिहाजा सान्नू फर्क नहीं पैंदा इस व्यंग से!

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत सधी हुई शैली में लिखा है...सुन्दर निर्मल हास्य..

    जवाब देंहटाएं
  26. क्या शादी के बाद मुझे भी यही सब झेलना पड़ेगा दी.....?

    जवाब देंहटाएं
  27. ye patipuraan to badi mazedaar rahi ji...Aabhaar!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  28. बालक मकरंद से जरा संभल कर...उसकी बदमाशी तो आपको मालूम ही है. नाच नाच कर आंदोलन करता है जैसे जलूस में आया हो!!

    जवाब देंहटाएं
  29. kitna jhooth bolti hai tu ...
    sab jhooth..gyan ji jaise seedhe insaan...poornroopen vani ke prati samrpit...TV tak aankh band karke dekhte hain wo ...kisi udghoshika ki taraf nazar bhi nahi daali hai ...
    aur tu !! jo naak par makkhi na baithne de wo Channel change hota dekh sakti hai bhala ....
    aaj tera saath nahi dungi main bas...
    aur kaun si jeb ??? bechare gyan ji ki to jeb kab ki kat chuki hai...
    jhoothi....ha ha ha ha
    Still I Love You..

    जवाब देंहटाएं
  30. @ अदाजी
    पोस्ट ढंग से पढ़ी नहीं शायद ....:)...पहले ही लिख दिया है कि भुक्तभोगी होने का कयास ना लगायें ..तूने देखा नहीं ...कितने धड़ल्ले से कई पुरुषों ने इन गुणों को स्वीकार कर लिए है ...एक दो तो खोह में जा छिपे हैं ...:):)

    जवाब देंहटाएं
  31. @ ताऊ
    आपके संगठन की सफलता के लिए अग्रिम शुभकामनायें ...कितने आवेदन तो हाथोहाथ आ चुके ...

    @ निर्मला जी ,
    इन पतियों की पोल खोलने वाली आपकी पोस्ट का इन्तजार रहेगा ...कई और भेद खुलेंगे ...:):)

    जवाब देंहटाएं
  32. @ समीरजी ,
    बालक मकरंद को ताऊ की पहेली में उलझाये रखें ...वरन नारे लगाने वालियां हमारे पास भी कम नहीं हैं ....!!......:):):)

    @ महफूज़ ...
    तुझे सूली पर लटकता तो बहुत लोग देखना चाहते हैं ..... मगर तू डर मत ...तेरी इतनी सारी दीदियाँ है ना हिफाज़त करने के लिए ...

    @ राज भाटिया जी ,
    बेशक टीवी सबसे ज्यादा पत्नियाँ देखती होंगी ...मगर कम समय में टकटकी लगा कर पतियों से बेहतर नहीं ...:):)

    जवाब देंहटाएं
  33. वाणी,
    थैंक्स ..तुमने मेरी साईट का ज़िक्र किया ...ये सही है की मैंने इन्टरनेट पर अपनी चीज़ें डालनी शिरू की शुरू की १९९५ से ..जब हम कनाडा आये...
    कनाडा आते साथ सबसे पहला काम मैंने किया था कंप्यूटर खरीदना और ..इन्टनेट कनेक्शन लेना...मैं उन्दिनो carleton univeristy जाती थी ...आप लोगों को हैरानी होगी जान कर कि यहाँ भी अधिकतर लोग इन्टरनेट, scanner , laser printer से उतने वाकिफ नहीं थे...सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब कितने लोग ऐसे मिले जो कभी हवाई जहाज में भी नहीं बैठे थे....इसलिए इस धारणा को बिलकुल हटा दीजिये दिमाग से कि यहाँ सभी technology से वाकिफ है...
    खैर, यहाँ की libraries को कुछ ख़ास सुविधाएं प्राप्त थी और कुछ साईट की जैसे ही चीज़ होती थी...जिसे freenet कहा जाता था ... जो बहुत ही साधारण सा होता था...मैं भी library की मेम्बर थी इसलिए यह सुविधा मुझे भी उपलब्ध थी...बहुत ही कम स्पेस मिलता था और सब कुछ रोमन लिपि में होता था...मैं अपनी कविताओं को उसमें डालती....रोमन लिपि में...जिसे library के साईट में होने कि वजह से बहुत लोग पढ़ लेते थे.....यह intranet के द्वारा पूरे कनाडा में कोन्नेक्टेद होता था...मेरी कवितायें लोग पढ़ते और मुझे ईमेल से शाबाशी मिल जाती थी...आपको ये भी बता दूँ कि ईमेल भी बहुत बड़ी चीज़. थी उस समय.... १९९६ में मैंने डोमेन बुक किया www .shail.com दो साल के लिए पैसे भी दे दिए....अगली पेमेंट के लिए थोड़ी देर हो गयी तो साईट बंद हो गयी....और क्योंकि मैं सिर्फ अपनी कवितायें ही लिखती थी इसलिए उतना ज़रूरी भी नहीं समझा था.....फिर मैं बिना लिखे नहीं रह पायी दुबारा बुक करने कि कोशिश कि तो ...shail.com कोई और ले चूका था ...किसी इंडियन ने ही लिया था ...मैंने बहुत कहा कि ये मेरे पास था....बस एक महीने की वजह से आपके पास चला गया...वो मुझसे ज्यादा पैसे मांग रहा था...मैंने कहा रखो अपने पास....इसलिए मुझे १९९८ में डोमेन http://www.shails.com/ लेना पड़ा.....तब तक भी हिंदी फॉण्ट की वैसी सुविधा नहीं थी ....साईट पर डालने के लिए ...मैं अपनी कवितायें..scan करके पिक्चर फाइल बनाती थी और उसे अपलोड करती थी...पहली बार देवनागरी की लिपि, में अपनी कवितायें बेशक पिक्चर ही सही मैंने डालना शुरू किया ...मुझे बहुत सारे एमैल्स मिलने लगे....इसी बीच हमेशा उसमें बदलाव लाने कि कोशिश करती रही....पहले यहाँ मेरी पुरानी तस्वीर थी...ब्लाग बनाने के बाद भी इसमें कुछ बदलाव किया....क्यूंकि ये है तो है... काव्य मंजूषा के नाम से इसी साईट को लोग जानते हैं...मेरी पुस्तक भी इसी नाम से छपी है....
    library की सारी information तो मेरे पास नहीं है ...क्योंकि कभी सोचा भी नहीं था कि उसकी ज़रुरत भी होगी...
    मुझे इतना पता है कि...देवनागरी लिपि में मेरी साईट लोगों को बहुत पसंद थी और यही मेरे साईट का highlight भी था...
    हो सकता है कोई और भी हो...लेकिन अच्छा हुआ ये बात आपलोगों ने उठाई है....कमसे कम लोग अपने बारे में बता तो पा रहे हैं...
    धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  34. वाणी जी, बहुत सुन्दर और प्रभावी व्यन्ग्य है आपका। पढ़कर आनन्द आ गया। आज दिन भर अपने पति की टांग खिंचाई करूंगी। शुभकामनायें। पूनम

    जवाब देंहटाएं
  35. यह बहुत गम्भीर आलेख है । मुझे डर है कि इसे पढ़कर बहुत सारे पति अपराध बोध से ग्रसित हो जायेंगे ।

    जहाँ तक "माँ के हाथों से बने खाने का स्वाद " याद आने का सवाल है ..इसका मैने विश्लेषण किया है । हम बचपन की जिन चीज़ों को याद रखते है यह भी उनमें से एक है । बेटियाँ खाना बनाना सीख जाती हैं इसलिये वे अपनी माँ जैसा या उनसे भी बेहतर खाना बनाती हैं , बेटे सीखते नहीं सो माँ के हाथों बने खाने का स्वाद याद करते हैं । अगर सीख जायें तो खुद बनाने लगें ।
    कुछ पति जानते हैं पर बताते नहीं । हमने बता दिया तो जवाब मिला " तो खुद बनालो "
    सो कभी कभी बनाना पड़ता है ( आप कहें तो तस्वीर भेज दें खाना बनाते हुए दृश्य की )
    अब आप ही बताइये हम क्या करें ?

    जवाब देंहटाएं
  36. अंकलों संघर्ष करो, मैं तुम्हारे साथ हूं..सब आजावो आंदोलन के लिये...चलो सब धरना आंदोलन की तैयारी करने गांधी मैदान पर.:)

    जवाब देंहटाएं
  37. एक तरफ़ा बात नही चलेगी ..नही चलेगी...नही चलेगी...:)

    जवाब देंहटाएं
  38. अंकलों के साथ न्याय हो....न्याय हो..न्याय हो...

    जवाब देंहटाएं
  39. अभी दिन मे १ बजे विशेष सभा रखी गई है...उसमें अगली कारर्वाई पर विचार होगा.:)

    जवाब देंहटाएं
  40. अब हम का कहे. विलियम्स बहनो के लिये तो टेनिस देखने से रहे. देखने की कोशिश तो तब करे जब कुछ छिपाने की कोशिश हो रही हो.
    हमारे ति गुरू आत्म प्रकाश शुक्ला जी ने कहा -

    देखने के बाद मे जो अनदिखा वो रूप है
    दिख रहा वो द्रष्टि का विस्तार है दर्शन नही है

    जवाब देंहटाएं
  41. रश्मि रविजा की मेल से प्राप्त टिप्पणी ....

    दो दिन नेट से दूर रहने का ये फायदा हुआ कि इतनी मजेदार पोस्ट के साथ टिप्पणियों का तड़का भी मिल गया पढने को....सच कहा..'हरि अनंत हरि कथा अनंता...' हर पत्नी इसमें दो लाइन और जोड़ सकती है..
    अदा को बहुत बहुत बधाई.....

    जवाब देंहटाएं
  42. आपकी पूरी पोस्ट से सहमत हूं पर एक बात से असहमत हूँ। देखिये किसी से कहियेगा नहीं पर हमें तो डरते हुए आज भी पत्नी के खाने को बेहतर मानना ही पड़ता है। नहीं कहियेगा तो खुद के लिए नहीं पूरे घर के लिए होटल का खाना लकर खिलाने से तो उनके खाने को बढ़िया कहना ज्यादा सस्ता रहेगा।
    बढ़िया पोस्ट, गुदगुदा गई। निधीजी ने भी इस तरह की कई पोस्ट्स एक जमाने में लिखी थी। उनकी एक पोस्ट का लिंक यह भी है।
    ऐं वैं ही पुरुष बेचारे– मेरा शादी का विश्लेषण

    जवाब देंहटाएं
  43. इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
    ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
    लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
    कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
    के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
    ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
    इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
    (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

    होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

    जवाब देंहटाएं
  44. बड़ी जनतांत्रिक किस्‍म की पोस्‍ट है। इस पर शर्मा जी की टिप्‍पणी हो तो क्‍या बात है।

    जवाब देंहटाएं
  45. @ प्रेमचंद गाँधी
    शर्माजी मेरी पोस्ट पढ़ते जरुर हैं मगर टिपियाने में उनकी कोई रूचि नहीं है ....साहित्य ,कला की बजाय उनकी रूचि तकनीक aur फोटोग्राफी ज्ञान में अधिक है ....उनकी खिंची गयी तस्वीरों पर जल्दी ही ब्लॉग प्रारंभ करने की योजना है....!!

    जवाब देंहटाएं
  46. bahut sundar kataksh,fir bhi purusho ke prati purvaagrah jhalakta hai. yadi aisa hi haasya ourato ke bare me likhi jaay to saayed aap sahan nahee kar paayengi./

    जवाब देंहटाएं
  47. अगर आप पीड़ित पतियों कि एक झलक देखना चाहते है तो कृपया एक नजर और अपने कीमती समय से थोडा टाइम निकाल कर कमल हिन्दुस्तानी के इस ब्लॉग पर नजर डाले www.becharepati.blogspot.in और इस ब्लॉग को अपनी राय और आशीर्वाद जरुर प्रदान करें | आपकी अति कृपया होगी धन्यबाद |
    kamalsharma440@gmail.com mobile :- 09034048772 ,09045783454

    जवाब देंहटाएं