बुधवार, 23 मई 2012

जुग- जुग जिए मेरा पिया ...



आज करवा चौथ है ...इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में हड़कंप मचा हुआ है ...तरकीबें और तकनीकें बताई जा रही है ...अपनी पत्नी या बहू को इस व्रत के करने पर क्या तोहफा दिया जाए ...कैसे मदद की जाए ...
हद है ...!!

एक साधारण से व्रत का क्या बाजारीकरण किया गया है ...!!

हिंदू महिलाएं ज्यादातर व्रत अपने पति की लम्बी आयु और परिवार वालों की सुख समृद्धि  के लिए ही करती है फिर इस एक व्रत को लेकर इतना हंगामा क्यों ...जिसमे सबसे कम समय भूखा प्यासा रहना पड़ता है ...
राजस्थान में ज्यादातर महिलाएं वर्ष में चार चतुर्थियों पर व्रत रखती हैं ...
वैशाख , भाद्रप्रद , कार्तिक , माघ की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है ...सभी चौथ व्रत में पूजन विधि एक समान ही होती है ...बस उस व्रत में बनाये जाने वाले प्रसाद और व्रत कथा में अन्तर होता है ...इन चारों चतुर्थियों पर चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत खोला जाता है .... कार्तिक चतुर्थी को अन्य चतुर्थियों के मुकाबले चाँद पृथ्वी के सबसे करीब होता है ...इसलिए चंद्र दर्शन इस दिन सबसे जल्दी होता है ...जबकि भाद्रप्रद चतुर्थी को चंद्र दर्शन बहुत देर से होता है ...वही मुश्किल से भी ...क्योंकि बरसात का मौसम होने से बादल छाए रहते हैं आकाश में ...कभी कभी तो पूरी रात चाँद के दर्शन नही होते ...महिलाएं दूसरे दिन सूर्य का दर्शन कर अपना व्रत खोलती हैं ...तो फिर इस करवा चौथ को ही इतना हो हल्ला क्यों ...!!

करवा चतुर्थी के व्रत को लेकर और भी बहुत भ्रांतियां है ...बहुधा टेलीविजन धारावाहिकों में करवा चौथ की रस्म में चलनी से चाँद देख कर पूजा करना दिखाया जाता है ...और फिर पति की आरती भी ...क्यों भाई ...कोई रणक्षेत्र में जा रहे हैं वे ...हमारी संस्कृति में तो पति की आरती बस रणक्षेत्र में जाने पर ही होती है ...शेष अवसरों पर बहने ही आरती किया करती हैं पत्निया नही ...

करवा चतुर्थी की व्रत कथा में स्पष्ट उल्लेख है " सात भाइयों की एक ही बहन थी और उसे पहली बार व्रत करते देख भाई भाभी बहुत परेशान थे ...भूख प्यास से व्याकुल बहन को बहलाने के लिए कृत्रिम रौशनी को चलनी से दिखा कर चाँद का भ्रम दिया गया ...और इस कारण ही उसका व्रत भंग हुआ ..." जब कथा में इस प्रकार व्रत भंग हुआ तो फिर इसे प्रथा के रूप में कैसे स्वीकार किया गया ...समझ से परे हैं ...हम राजस्थानी स्त्रियाँ चाँद को चलनी में नही देखती ...ना ही पति की आरती करती हैं ...जैसा राजस्थान की संस्कृति दिखाते धारावाहिकों में दिखाया जाता है ....हाँ ...पति को चरण स्पर्श जरुर करती हैं ...!!

रही बात पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलने की तो ...जहाँ बहुएं घर की बुजुर्ग महिलाओं तक से परदा करती रही हैं ...उनके सामने पति से बात तक नही करती थी ...घूँघट में रहती रही हैं ...वहां पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलने जैसी रस्म किस तरह सम्भव है ...यह भी मेरी तुच्छ बुद्धि से समझ से बाहर की बात है.... राजस्थान में करवा चतुर्थी के अवसर पर घर की बड़ी महिलाएं सास , जिठाणी , ननद आदि ही पानी पिला कर व्रत खुलवाती हैं....एकल परिवार होने के कारण कई बार आस पास की बुजुर्ग महिलाएं भी यह कार्य कर देती हैं ...हाँ ...अब धारावाहिकों और फिल्मों के चलते कई घरों में पति इस प्रकार व्रत खुलवाने लगे हैं ...

प्रथाओं में समय के साथ परिवर्तन होता है ...इसमे कोई शक नही ...मगर तकलीफ तब होती है जब इसे हमारी संस्कृति के प्रचार के तौर पर दिखाया जाता है ....पति -पत्नी के स्वाभाविक प्रेम को बाजारीकरण में बदलते संस्कृति के नाम पर कूड़ा परोसते इन धारावाहिकों और फिल्मों पर मुझे तो सख्त ऐतराज़ है .....!!

करवा चतुर्थी सबके लिए शुभ हो ...मंगलकारी हो ....!!


और ...अब पति -पत्नी के संसार ,घर- बार , प्यार पर एक बहुत ही खूबसूरत गीत ..

तेरे लिए पलकों की झालर बुनूं
कलियों सा गजरे में बांधे फिरूं
धूप लगे जहाँ तुझे छाया बनूँ
आजा साजना ...तेरे लिए पलकों की ........

महकी महकी ये रात है ,बहकी बहकी हर बात है
लाजों मरूं झूमे जिया , कैसे ये मैं कहूँ
आजा साजना ...तेरे लिए पलकों की ...

नया नया संसार है , तू ही मेरा घर बार है
जैसे रखे ख़ुशी खुशी वैसे ही मैं रहूँ ,
आजा साजना .....तेरे लिए पलकों की ...

प्यार मेरा तेरी जीत हैं , सबसे अच्छा मेरा मीत है
तेरे लिए रूप लिया , तेरे लिए ही हसूँ
आजा साजना ...तेरे लिए पलकों की ...

सुने और देखे यहाँ यू टयूब के सौजन्य से 
 http://www.youtube.com/watch?v=dOeyU0tF0Cg
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49 टिप्‍पणियां:

  1. पति -पत्नी के स्वाभाविक प्रेम को बाजारीकरण में बदलते संस्कृति के नाम पर कूड़ा परोसते इन धारावाहिकों और फिल्मों पर मुझे तो सख्त ऐतराज़ है .....!!
    सहमत हूं आपसे .. आपके साथ मेरी भी सबों को शुभकामनाएं ..
    करवा चतुर्थी सबके लिए शुभ हो ...मंगलकारी हो ....!!

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  2. करवा चतुर्थी सबके लिए शुभ हो ...मंगलकारी हो|

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  3. करवा चतुर्थी सबके लिए शुभ हो ...मंगलकारी हो ....!!

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  4. हमारी संवेदनाओं से खेलने का कोई भी अवसर बाज़ार नहीं छोड़ता...करवा चौथ भी कोई अपवाद नहीं...हर पर्व को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाता है और उसके साथ बाज़ार आपने पाँव फैलाता है...हम क्यूँ किसी त्योंहार को मनाते वक्त अपनी बुद्धि का उपयोग नहीं करते क्यूँ पुरानी सड़ी गली मान्यतों को अभी भी सीने से लगाये हुए हैं...समझ नहीं आता...पुरुष श्रेष्ठ हैं ये साबित करने को ही शायद इस तरह के त्योंहार सदियों से प्रचलन में हैं...

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  5. geet achchha lagaa aur lekh bhi ..karvachauth mubarak ho ....
    kahte hain khushi manaane ka koee mauka chodna nahi chahiye ..

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  6. आपसे १००% सहमत .सच हर चीज़ का बाजारीकरण कर दिया है मीडिया ने कल एक चैनल में तो औरतों को डिस्को करते दिखाया गया :)मतलब करवा चौथ डांस पार्टी.

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  7. बहुत सही लिखा है वाणी....एकदम से सबकुछ बदल गया है...करण जौहर की फिल्मो ने भी एक बड़ा रोल निभाया है...ये पति के हाथों पानी पीना...आरती उतारना...
    मैने अपने घर ब्याह कर आई एक पंजाबी रिश्तेदार से जब ये सब पूछा था..तो हंसने लगी थी..."ऐसा कुछ नहीं होता.."

    सबको असली करवा चौथ (फ़िल्मी नहीं ) की अनेक शुभकामनाएं

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  8. अजी इस का बाजारी करण जो हो रहा हे,जो मिडिया मे यह सब बतती हे उन्हे खुद भी नही पता इस व्रत का असली अर्थ क्या हे, हमारी बीबी तो हर साल रखती हे यह व्रत लेकिन यह सब पंगे वो नही करती, मेरी पुजा समाने बिठा कर, मेरे हाथो से पानी, सुंदर सी साडी पहन कर कभी गीत नही गाती, मेरे आगे पीछे कभी नही मडराती, बस इस दिन हम थोडा खास ध्यन देते हे उन पर, घर की हिटिंग कम रखते हे इस दिन ताकि उन्हे प्यास कम लगे, उन्के सामने खाने की तारीफ़ नही करते, ओर कम ही खाते हे, बच्चे भी इस दिन कुछ खास ध्यान रखते हे, ओर रात को गांव की सब से ऊंची पहाडी पर जाते हे ताकि जल्द चांद दिखे, ओर रात को सब उन्ही के संग खाना खाते हे, दस साल मे एक अंगुठी ले देते हे चांदी की:) वेसे तो मै विश्वास ही नही करता इन बातो मे, इस लिये बीबी को हमेशा मना करता हुं,लेकिन वो जब अपने दिल से रखती हे तो उस की बात का सम्मान भी रखते हे,

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  9. आपको करवा-चौथ की हार्दिक शुभकामना ....भाभी जीईईईई !!
    आरती तो मैं उतारूंगी आपकी बस एक बार मिल तो लूऊऊऊऊ ...

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  10. आजकल पति भी कहाँ रह गए हैं आरती उतारने लायक ।
    गीत बहुत सुन्दर है जी ।

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  11. आपके विचार सामयिक हैं। गीत मनभावन लगा।...शुभकामनाएं।

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  12. इस अवसर पर बहुत ही सार्थक रचना!
    --
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी पोस्ट को बुधवार के
    चर्चा मंच पर लगा दिया है!
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  13. वाणी जी
    बिल्कुल सही कहा ……………आपसे सहमत हूँ।
    करवाचौथ की हार्दिक बधाई।

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  14. Aalekh to tez tarrar hai hee...geet bhee behad sundar!
    Anek shubh kamnayen!

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  15. हमारे पूर्वी यूपी में तो करवा चौथ से कहीं ज्यादा महत्त्व तीज का है. बाजारीकरण बहुत से त्यौहारों का हो गया है और इसमें टी.वी. और फिल्मों ने बड़ी भूमिका निभाई है, लेकिन इस त्यौहार का सबसे ज्यादा हुआ है.
    मैं आपकी इस बात से सर्वथा सहमत हूँ " पति -पत्नी के स्वाभाविक प्रेम को बाजारीकरण में बदलते संस्कृति के नाम पर कूड़ा परोसते इन धारावाहिकों और फिल्मों पर मुझे तो सख्त ऐतराज़ है."
    आपके तर्क खरे होते हैं और मैं उनसे सहमत हूँ. शुभकामनाएँ !

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  16. कमजोर नेट कनेक्सन की वजह से अभी गीत सुन तो नहीं पायी,पर पढ़कर इतना आनंद आया कि क्या कहूँ...

    आपके लिखे एक एक शब्द से सहमति है मेरी ...mujhe bhi यह सब अत्यंत hasyaspad लगता है....

    हमारे यहाँ तो करवा चौथ नहीं तीज होता है jisme चौबीस घंटों का निर्जला व्रत रखा जाता है..संयोग से यह फिल्म ya टी वी वालों के नज़रों से अभी बचा हुआ hai,इसलिए इसमें ताम झाम उतना नहीं आया है,पर फिर bhi यह bhi आडम्बर हीन नहीं रह गया है..


    आपका बहुत बहुत आभार इतने सार्थक ढंग से विषय को उठाने के लिए...

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  17. @ अरे नहीं रंजना जी ,
    तीज भी नहीं बच पायी है इन टीवी वालों की नजरों से ...इस बार बालिका वधू में बिलकुल चौथ की तरह ही इसका पूजन- पालन दिखाया गया था ...मैं इन धारावाहिकों की नियमित दर्शक नहीं हूँ , बस 10-15 दिनों में एक बार कहानी कहाँ तक पहुंची , जानने के लिए देख लेती हूँ , मजे की बात है फिर भी कुछ छूटता नहीं है , कहानी वहीँ अटकी मिलती है ...

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  18. @ अदा जीईईई ,
    अरे , हम कौन घबराते हैं , आपके भाई के साथ आपको भी वश में कर लेंगे ..हे हे हे हे ..
    अब वो जमाना तो रहा नहीं कि भाभिया ननदों से डरा करती थीं ...और फिर टीवी देख -देख कर दांव पेंच सीख रहे हैं हम भी ...आप तो हिंदी धारावाहिक देखती नहीं ..इसलिए आपके षड्यंत्रों में पारंगत होने का खतरा नहीं है ना जीईई ... हां नहीं तो और क्या ....:):):):)

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  19. @संगीता जी , प्रवीण पाण्डेय जी , समीर जी , के. आर . जोशी जी , कविता जी ,
    बहुत आभार ..!

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  20. @ शिखा ...
    सचुमच ये तो हद है ...
    @ रश्मि ..
    सही कह रही हो ...होता तो नहीं था मगर अब फिल्मों की देखा देखी लोंग ऐसा करने लगे हैं ...

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  21. @ दराल जी ,
    अब हम तो ऐसा कह नहीं सकते ना ...वरना आजकल तो आरती उतरते पति और पत्नियाँ दोनों ही नजर आ जाते हैं ...:):)
    @ राज भाटिया जी ,
    खुद को विश्वास ना हो तो भी दूसरों की श्रद्धा को देखते हुए पर्व त्यौहार को किसी आडम्बर के बिना मना लेना चाहिए , सही कहा आपने ..
    @ हास्य फुहार ,शमा जी , वंदना जी
    धन्यवाद
    @ आराधना ,
    बिहार और उत्तरप्रदेश में तीज का ज्यादा महत्व है , मगर क्या कहें ...आजकल तो धारावाहिकों में तीज को भी चौथ की तरह पूजन करते दिखा दिया जाता है ...

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  22. पता नहीं कैसे आजतक यह गीत ध्यान पर चढ़ने से बच गया...

    कितना सुन्दर मुग्धकारी गीत है...वाह !!!

    आभार आपका...

    हमारे जीवन का कोई हिस्सा इस बाज़ार से अछूता नहीं रह गया है....हम उसकी हाथ के पांसे बन गए हैं जिन्हें वह अपने हिसाब से चलाता है...

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  23. वाणी ,
    बिलकुल सही बात कही है ...हर चीज़ का बाजारीकरण हो रहा है ...मीडिया में जो दिखाते हैं सुन कर हंसी आती है ..सब दिखावा ...और हाँ छलनी से चाँद देखने की परम्परा क्यों है नहीं मालूम ...लेकिन हमारे यहाँ छलनी से चाँद नहीं देखा जाता इसीलिए कि कोई भ्रम न रहे :) .

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  24. मैं इन सब त्योहारों के इन वीभत्स रूपों को हमेशा नापसंद करता आया हूँ -
    पति पत्नी बिना इन दिखावों के भी एक दूजे के लिए अनुरक्त रह सकते हैं !

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  25. उपभोक्तावाद बाजार पर हावी है, मार्केटिंग कंपनियां लुभावने वादों वाले विज्ञापन तैयार करवाकर लाखों करोडो रूपये लोगों की गाढी कमाई के त्योंहारों के नाम पर ढीले करवा लेते हैं. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  26. वैसे हमारे लिये तो रोज ही करवा चौथ रहती है, ताई मेड-इन-जर्मन लठ्ठ से रोज सुबह शाम हमारी आरती उतारती है.:)

    रामराम.

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  27. bilkul sahi kah rahi hai aap .yahi hal aajkal ki shadiyo ko lekar bhi hai .t. v. par dikhane vali shadiya ?kai trh ke prashn uthati hai .70 ki dashk ki filmo ki shadiya dekhe to sadgi se paripoorn hoti thi aur ajakl ki shadiya jinpar t.v. ka khasa pabhav hai au to aur jitne dino tak shadiyan hote dikhai jati hai usse km dino me talak bhi ho jata hai .

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  28. बात तो सार्थक है | आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं , इस अवसर पर |

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  29. गीत तो सच में बहुत ही प्यारा है ..... मंगलकामनायें !!!

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  30. धन्यवाद ...आप दोनों को भी बहुत शुभकामनायें !

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  31. आपकी तर्कपूर्ण बातों से बिलकुल सहमत हूँ ! वाकई सहज सरल व्रत और उसमें निहित पावन भावना का इस तरह खर्चीले और आडंबरपूर्ण स्वरुप में रूपांतरण देख अफ़सोस होता है ! हम लोगों के यहाँ भी यह व्रत बहुत श्रद्धा भाव से किया जाता है लेकिन अपने मायके या ससुराल में किसीको भी चलनी से चाँद को देखते हुए मैंने नहीं देखा ! करवा चौथ की कहानी की नायिका ने तो भाइयों द्वारा दिखाए गये मिथ्या चाँद को देखा था जो चलनी से दिखाया गया था ! मशाल की आग चाँद की तरह गोल दिखे इसलिए चलनी भी भाइयों ने ही पकड़ी हुई थी फिर महिलायें सब कुछ जानते हुए भी स्वयं चलनी से चाँद क्यों देखती हैं ? क्या वे कहानी में दिखाए गये मिथ्या चाँद के प्रतीक को अर्घ्य देना चाहती हैं ? बहुत बढ़िया और सामयिक आलेख है ! वैसे इस तरह से ग्लैमराइज़ हो जाने की वजह से कई मुस्लिम महिलायें भी इसे करने लगी हैं ! करवा चौथ की आपको हार्दिक शुभकामनायें !

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  32. यू ट्यूब पर गीत नहीं सुन पा रही हूँ वाणी जी इसका दुःख है मुझे ! मुझे आने में देर हो गयी शायद ! कॉपीराईट नियमों के तहत उसे हटा दिया गया है शायद ! बोल बहुत ही प्यारे हैं !

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  33. सुंदर प्रस्तुती पुरुष भी रक्खने इस व्रत को

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  34. बाजारीकरण
    क्या वाकई , नहीं ऐसा कुछ नहीं हैं , मुझे नहीं लगता . स्त्री सुबह से शाम तक पुरुष के लिये व्रत रखती हैं { स्त्री और पुरुष इस लिये कहा क्युकी अविवाहित भी करती हैं } पहले स्त्री की कोई डिमांड नहीं थी अब हैं , आज की स्त्री व्रत के बदले कुछ चाहती हैं और ये चाहत मीडिया ने नहीं स्त्री की अपनी समझ ने सिखाई हैं . आज की स्त्री व्रत से लेकर लेबर रूम तक में पुरुष का साथ अनिवार्य मानती हैं क्युकी " पूरक " की परिभाषा यही हैं .
    आप को और हर सुहागिन को जो ये व्रत रखती हैं पूज्य हैं क्युकी वो अपने पति की लम्बी उम्र के लिये इतना कुछ करती हैं सो बधाई की जगह नमन

    पति की लम्बी उम्र की कामना क्यूँ , एक लम्बी ईई ईई बहस का मुद्दा हैं पर आज नहीं क्युकी आज त्यौहार हैं , सुहागिन की निष्ठां का , सुहागिन के तप का .

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  35. आस्था,प्यार ... सबको भुनाने में लोग लग गए हैं, 'दिखावे' व्रत की बाढ़ आ गई है . पूजा को पूजा की तरह ही करने दिया जाये,और मंगल कामनाओं को जिस तरह संतोष मिले-उसके मध्य तर्क,कुतर्क की ज़रूरत नहीं ... प्रेम व्रत की शुभकामनायें

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  36. @ हद है ...!!

    वाह आनंद आ गया.....
    मंगल कामनाएं आपको !

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  37. सही कह रही हैं आप वाणी जी हम लोगों मे ये दिखावे नहीं होते सादे तौर पर ही कहानी कहकर बायना निकाला जाता है और रात को चाँद को अर्घ्य देकर पति के पैर छूकर व्रत सम्पूर्ण किया जाता है ………ये सब दिखावा ज्यादातर हमने पंजाबियों में देखा है लेकिन वहाँ भी एक हद तक उसके बाद जो दिखाया जाता है टीवी आदि में तो सब दिखावा ही है।

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  38. सहमत हूँ आपसे शतप्रतिशत .... अमग्र अब उबने लगा है मन इन दिखावों से मीडिया भले मुगालते में रहे मगर अधिक लोग अब इसे पसंद नहीं करते !

    करवाचौथ की शुभकामनायें आपको !

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  39. सार्थक पोस्ट....आजकल तो हर त्योंहार पर प्यार का बाज़ार सज जाता है...... शुभकामनायें आपको भी

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  40. http://ajitvadakayil.blogspot.in/2013/10/karva-chauth-synchronising-fertility.html

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  41. आदरणीया वाणी जी


    अच्छी पोस्ट ...

    अच्छा आलेख
    प्यारा गीत
    :)
    आभार

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    सभी दम्पतियों को करवाचौथ की हार्दिक मंगलकामनाएं !
    -राजेन्द्र स्वर्णकार
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  43. अरे,आप पहले ही लिख चुकी थीं इतनी शानदार पोस्ट!! वाकई कुछ बचा नहीं अब कहने को,अब सिर्फ प्रशंसा की जा सकती है।

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