किसी भी मनुष्य की पहली पाठशाला उसका घर है . परिवार के विभिन्न सदस्यों के आपसी व्यवहार का असर उसके पूरे जीवन पर होता है . लेकिन जब थोडा बड़ा होने पर घर से बाहर की दुनिया में जहाँ वह प्रवेश लेता है ,जहाँ व्यक्तित्व निर्माण की महत्वपूर्ण प्रक्रिया प्रारंभ होती है , वह है उसका विद्यालय ... जो सबक विद्यालय और घर में सीखे जाते हैं , व्यस्क होने पर बाहरी दुनिया में पैर रखने पर वही आजीवन काम आते हैं ...वास्तव में सीखने की प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होती , हम जीवन भर कुछ न कुछ सीख लेते रहते हैं और दिन प्रतिदिन परिपक्व होते हैं , लेकिन हमारे सबसे पहले गुरु को हम कभी नहीं भूला सकते हैं , यदि उन्होंने हमारे जीवन को सही दिशा दी हो .
आज शिक्षक दिवस पर मैं भी अपने प्रथम गुरु श्री राजकुमार भाटिया जी को याद कर रही हूँ . गुरु या शिक्षक शब्द सुनते ही सबसे पहले मुझे उनका ही स्मरण होता है . श्री राजकुमार भाटिया सर का जन्म लाहौर में 7 जुलाई 1935 को हुआ था .वे निहायत सादी वेश भूषा में उच्चतम संस्कारों की प्रतिमूर्ति थे. हिंदी , अंग्रेजी और संस्कृत साहित्य के प्रकांड विद्वान श्री भाटिया सर अपनी उच्च शिक्षा की बदौलत किसी बड़े शहर या महानगर में रहने और अपनी प्रतिभा का दोहन कर बहुत नाम और यश हासिल कर सकते थे , मगर उन्होंने बिहार के बहुत ही छोटे से गाँव को अपनी कर्मभूमि बनाया और अपनी छोटी बहन सरोज भाटिया के साथ अपने छोटे से विद्यालय से बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया .
वे अद्भुत स्मरण शक्ति के धनी थे. मुझे आज भी याद है कि जब वे कक्षा में पढ़ाने आते तो उनके स्वयं के हाथ में किताब कम ही होती थी . बिना किताब आँखे बंद कर वे हमें बताते कि अमुक किताब का अमुक चैप्टर अमुक पेज पर है , और उसके इस पैराग्राफ की पंक्तियाँ इस प्रकार हैं .
उनकी सिखाई ही प्रार्थना की कुछ पंक्तियाँ ही याद है अब , मगर हमारे जीवन जीने का मूल मंत्र आज भी वही हैं ...
" जी रहे जहान में तो खान- पान चाहिए ,
नित्य निवास के लिए हमें मकान चाहिए
चाहिए हज़ार सुख मगर ना दान चाहिए "
आजीवन अविवाहित सर को जब हम बच्चों के जन्मदिन पर निमंत्रित किया जाता तो वे सहर्ष उपस्थित होते थे . सर के माता -पिता पूरे कस्बे में चाचाजी और चाचीजी के नाम से ही जाने जाते थे . हर विद्यार्थी की घरेलू समस्या उनकी अपनी होती थी . कोई बच्चा कुछ दिन विद्यालय नहीं आ पाया हो तो उसका हालचाल पूछने उसके घर पहुँच जाते थे और यथासंभव उसकी मदद भी करते थे . आज उनके पढाये हुए छात्रा /छात्राएं देश -विदेश में विभिन्न कम्पनियों में उच्चतम पदों पर कार्यरत हैं .
जीवन भर किसी के सामने सर नहीं झुकाने वाले आर्यसमाजी श्री भाटिया सर को अंतिम समय में काल के वशीभूत हो अपनी बीमारी से परास्त होना पड़ा और एक सप्ताह पहले 31 अगस्त को उनका देहावसान हो गया .
शांति निकेतन , पंडित जवाहर लाल नेहरु , जानकी वल्लभ शास्त्री , रामधारी सिंह दिनकर ,आदि के साथ बिताये अविस्मर्णीय पलों को लिपिबद्ध कर पुस्तक का रूप देने की इच्छा अधूरी ही रह गयी !वे जहाँ भी हो , उनके विद्यार्थियों की स्मृतियों में हमेशा जिन्दा रहेंगे ..
" गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात् परमब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवैनमः॥"
गुरू जी को विनम्र श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंअब ऐसे शिक्षक कहाँ देखने को मिलते है?
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ और सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी को नमन!
जवाब देंहटाएंसभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंएक गुरु जी हों तो केवल उन्ही को नमन किया जाय -यहाँ तो सहस्र गुरु हैं !
जवाब देंहटाएंदत्तात्रेय के २४ गुरुओं में कई तो पशु पक्षी थे ....
मुझे तो यही लुभाता है -
सीय राममय सब जग जानी करूऊँ प्रणाम जोरी जुग पानी
गुरु भाटिया जी को विनम्र श्रद्धांजलि ...
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की शुभकामनायें
बड़ी ही भावमयी श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंगुरुजी को नमन। काश प्रत्येक विद्यार्थी को ऐसे गुरु मिले। शिक्षक दिवस की बधाई।
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस के मौके पर गुरु स्वर्गीय राज कुमार भाटिया जी को विनम्र श्रद्धांजलि. हम सभी अपने को बहुत खुशनसीब मानते है की जिन्हें उनसे शिक्षा पाने का मौका मिला . उनके बारे में संस्मरण तो बहुत है जिन्हें लिखने बैठे तो शायद एक किताब ही तैयार हो जाए .
जवाब देंहटाएंकाश उनके जैसे शिक्षक हमारे हर शहर या गावों में होते तो आज हमारे देश की दशा ही अलग होती ..भगवान से यही प्राथना है की हमे हर जन्म में वे गुरु के उसी रूप में मिले ...
भाटिया जी को नमन्।
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की शुभकामनायें.
सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंऐसे गुरु को शत शत नमन है.
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस पर गुरु को सच्ची श्रधांजलि ।
जवाब देंहटाएं@" गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात् परमब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवैनमः॥"
जवाब देंहटाएंshikshak diwas ka suawasar par saarthak prastuti ke liye aabhar..
जवाब देंहटाएंshikshak diwas kee aapko bhi haardik shubhkamnayen..
गुरु जी को नमन...
जवाब देंहटाएंकाश हर शिक्षक में ऐसे गुण आ जाएँ...
... बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय॥
जवाब देंहटाएंगुरु को नमन!
गुरू जी को विनम्र श्रद्धांजलि!
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की शुभकामनायें...
गुरु जी को नमन...
जवाब देंहटाएंकाश हर शिक्षक में ऐसे गुण आ जाएँ...
guru bhatiyaji ko vinamra shrddhanjali.
जवाब देंहटाएंसभी शिक्षकों को नमन!
जवाब देंहटाएंगुरूदेव एवम समस्त गुरूओं को सादर प्रणाम.
जवाब देंहटाएंरामराम
सदगुरुओं,सद्पुरुषों को नमन !!!!
जवाब देंहटाएंयह पढ़ना अच्छा लगा जी, और अपने कई उत्कृष्ट शिक्षक मन में आते गये।
जवाब देंहटाएंगुरुजी को प्रणाम!
जवाब देंहटाएंगुरुजी को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि!!
जवाब देंहटाएंधन्य है वे जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते है। नमन!!