एक प्रेम कथा ऐसी भी ....
मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ . मेरे चेहरे पर झुर्रियां हैं. काले धब्बे हैं. उम्र भी बहुत हो गयी है.
फिर भी !!
हाँ . तू मुझे बहुत बहुत अच्छी लगती है .मुझे तेरी उपरी सुन्दरता से क्या मतलब. खूबसूरत तो मन होना चाहिए . मेरी नजरों में तू सबसे अधिक कीमती है.
आँखें बंद कर इत्मिनान से कंधे पर सर टिकाते दुर्लभ रक्त ग्रुप की वह स्वस्थ स्त्री उस कुटिल मुस्कान को नहीं देख पायी .
प्रेमी मानव अंगों का व्यापारी था ....!
मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ . मेरे चेहरे पर झुर्रियां हैं. काले धब्बे हैं. उम्र भी बहुत हो गयी है.
फिर भी !!
हाँ . तू मुझे बहुत बहुत अच्छी लगती है .मुझे तेरी उपरी सुन्दरता से क्या मतलब. खूबसूरत तो मन होना चाहिए . मेरी नजरों में तू सबसे अधिक कीमती है.
आँखें बंद कर इत्मिनान से कंधे पर सर टिकाते दुर्लभ रक्त ग्रुप की वह स्वस्थ स्त्री उस कुटिल मुस्कान को नहीं देख पायी .
प्रेमी मानव अंगों का व्यापारी था ....!
आह, बस यही निकला मुँह से।
जवाब देंहटाएंदिल को छू गयी
जवाब देंहटाएंकमाल कर गईं आप।
जवाब देंहटाएंओह ....गज़ब का लिखा है ...हर चीज़ जैसे व्यापार बन गयी है .
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब लिखा है आपने ! दिल को छू गयी!
जवाब देंहटाएंउफ़्………………ये क्या कह दिया………………हृदयविहीनता की पराकाष्ठा।
जवाब देंहटाएंआपकी पिछली तीन पोस्टों पर तो चोर जैसा ही बर्ताव किया हूँ , यानी नहीं टीपा पर पढ़ा ! , किन्तु यहाँ प्रेम-प्रविष्टि-चोर नहीं बनूंगा ! :)
जवाब देंहटाएंईश्वर करे की ऐसी प्रेम-दुर्घटनाएं न ही हों ताकि इश्क की पाकीजगी व्यापार-वृत्ति से खुद को बचाती रहे ! आभार !
उफ्फ्फ्फ़...बात का ऐसा अंत नहीं सोचा था...
जवाब देंहटाएंनीरज
ओह्ह!! इतनी छोटी सी रचना और इतनी मारक...मन द्रवित हो गया...इसे पढ़
जवाब देंहटाएंओह!
जवाब देंहटाएंबहुत मार्मिक और धारदार रचना है!
बहुत ही काम शब्दों में आपने इतनी अर्थपूर्ण बात कह दी ...... अच्छा लगा आपका ये छोटा सा लेख
जवाब देंहटाएंकुछ लिखा है, शायद आपको पसंद आये --
(क्या आप को पता है की आपका अगला जन्म कहा होगा ?)
http://oshotheone.blogspot.com
अब क्या कहूँ......
जवाब देंहटाएंyahi matlab rah gaya hai ab pyaar ka is duniya mein ..
जवाब देंहटाएंमार्मिक सत्य ।
जवाब देंहटाएंमार्मिक लेकिन एक सच..... मैने देखे हे इस से भी बडे कमीने.धन्यवाद
जवाब देंहटाएंदी.... बहुत ही अच्छी लगी यह रचना..
जवाब देंहटाएंमुख़्तसर किन्तु गज़ब !
जवाब देंहटाएंaah ! bs itna hi kah skti hoo ...
जवाब देंहटाएंओह, मानव मन को चुभती रचना...
जवाब देंहटाएंओह्…………………………॥
खोली नम्बर 36......!
शातिर! शिकारी! शैतान!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
आज तो यहाँ आकर निःशब्द हो गई ....
जवाब देंहटाएंoh............
जवाब देंहटाएंओह !
जवाब देंहटाएंकितनी छोटी पर कितनी बडी रचना !