बुधवार, 11 जनवरी 2017

कुछ तो करें हम भी.....

आज फिर से दरवाजे पर दस्तक थी खाना माँगने वाले की...एक बच्चा गोद में एक अँगुली पकड़ा हुआ....कानों में , गले में,  पैरों में आभूषण पहने हुए युवती को माँँगते देख दिमाग गरम होना ही था और मेरी किस्मत भी अच्छी थी कि वह मेरी बात सुनने को तैयार भी हो गई....
तुम्हें शर्म नहीं आती ....तुम्हें अपने बच्चों पर दया नहीं आती ....इन मासूम बच्चों से भीख मँगवा रही हो....
कुछ काम नहीं कर सकती...
क्या काम करें आँटीजी कोई काम नहीं देता....नोट बंद हो गये....
और जो चौराहे पर औरतें बच्चे गुब्बारे , अखबार और अन्य छोटी चीजें बेचते हैं...औरतें घरों में , दुकानों पर झाड़ू पोंछा करती हैं, खाना बनाती हैं....क्या वो पागल हैं....वे भीख नहीं माँग सकती थीं मगर उन लोगों ने इज्जत से रोटी  खाने का रास्ता चुना...तुम भी ऐसा कोई काम कर लो....
वह बिना कुछ बोले चली गई मगर मेरी आँखों के सामने ट्रैफिक लाइट पर अपनी गाड़ी के शीशे चढ़ाते लोग गुजर गये....
इन चौराहों पर छोटी -छोटी चीजें बेचने वालों की अनदेखी करते हम लोग ही इन्हें भीख माँगने पर मजबूर करते हैं...यदि हम रोज इनसे दस रुपये का सामान भी खरीद लें तब हमारे ज्यादा से ज्यादा 300 ही खर्च होते हैं मगर  इस तरह हम देश में भिखारियों की संख्या पर अंकुश लगाते हैं.....सड़क किनारे खाली कागज या कपड़ा बिछाकर सामान बेचते लोगों से वस्तु खरीद कर काम में लेना नागवार गुजरे तो इन्हें उन लोगों में भी बाँटा जा सकता है जिनके लिए यही बहुत बड़ी या दुर्लभ चीजें हैं....
इस तरह दोतरफा सहायता होगी ...पहले सामान बेचने वाले को और दूसरा जिन्हें वे चीजें प्राप्त होंगी....भीख माँगने वालों से घर के छोटे मोटे काम जैसे साफ सफाई , गेहूँ साफ करना, लॉन साफ करना, गमले में पौधे लगवाने आदि कार्य करने पर ही पैसे, खाना , कपड़े आदि दें ताकि वे स्वावलंबन का पाठ भी पढ़ें.... वृद्ध  अथवा लाचार की सहायता उनके सामर्थ्य को देखकर करें....

8 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थकता लिये सशक्त पोस्ट

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (15-01-2017) को "कुछ तो करें हम भी" (चर्चा अंक-2580) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    मकर संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. आपको उनकी भीख की कमाई का अंदाज़ा नहीं है इसीलिए ...कोशिश कर देखिये कोई काम करने को तैयार नहीं होगी

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    1. यही तो कहा मैंने भी कि भीख मत दें, काम दें 😊

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  4. काम का जिक्र करते ही भागने लगते हैं ये लोग.

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  5. सार्थक और अच्छा सुझाव ... पर कहाँ तक मुमकिन है ...

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