@ यह पोस्ट भ्रान्ति फ़ैलाने के लिए नहीं , बल्कि जागरूक करने के लिए ही लिखी गयी है ताकि देहदान करने वाले इसकी उपयोगिता को सुनिश्चित कर ले , प्रशासन पर देहदान के सही उपयोग के लिए दबाव बनाये !
डॉक्टर रामेश्वर शर्मा वाला समाचार मैने भी पढा था। यहाँ अमेरिका में आप अपना ड्राइवर्स लाइसेंस (जोकि आपका समग्र परिचय पत्र भी होता है) बनवाते समय ही अपने देह/अंग दान में रुचि बताते हैं और यदि इच्छुक हैं तो उस पर स्पष्ट शब्दों में ऑर्गन डोनर लिखा रहता है। मृत्यु की स्थिति में जितने अंग प्रत्यारोपण के लिये उपयुक्त पाये जाते हैं उनका प्रत्यारोपण हो जाता है व अन्य अंग/शरीर शोध आदि के लिये प्रयुक्त होते हैं। डॉ. शर्मा के शरीर जैसे गति से बचाने के लिये अधिकांश अस्पतालों से सम्बद्ध अंग-बैंक जैसी संस्थायें हैं और अंगों की प्रतीक्षा में बैठे व्यक्तियों की एक राष्ट्रव्यापी सूची भी।
आपके दिये लिंकों पर टिप्पणी दे आये हैं!
जवाब देंहटाएंkitni sharmnaak baat hai...
जवाब देंहटाएंदुर्भाग्यपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंdeh daan
जवाब देंहटाएंiska matlab kewal deh kaa daan nahin samjhaa jaana chahiyae
aur yae kisnae kehaa ki manushya ki chamdi kisi kaam nahin aatee
dermatologist kae liyae bhi body chahiyae
deh daan karkae kayii baar ham apni body medical mae padhnae vaalae chahtro kae liyae bhi daan kartey haen
its symbolic to say dehdaan
Vishwas nahin hota..... Behad Afsosjanak
जवाब देंहटाएंदेह दान को लेकर कोई भ्रान्ति मन में ना लाये . खुद भी जागरूक हो दूसरो को भी करे
जवाब देंहटाएंhttp://mypoeticresponse.blogspot.com/2011/07/blog-post_08.html
@ यह पोस्ट भ्रान्ति फ़ैलाने के लिए नहीं , बल्कि जागरूक करने के लिए ही लिखी गयी है ताकि देहदान करने वाले इसकी उपयोगिता को सुनिश्चित कर ले , प्रशासन पर देहदान के सही उपयोग के लिए दबाव बनाये !
जवाब देंहटाएंyahii maene bhi kehaa haen apni post par jismae aap kaa blog kaa link bhi haen
जवाब देंहटाएंयह साब आंखें खोलने के लिए बहुत ज़रूरी है जानना।
जवाब देंहटाएंओह , दान तो सराहनीय था ..पर उस देह को संभालने की ज़िम्मेदारी सही रूप से नहीं निबाही गयी .. ऐसी व्यवस्था पर शर्म ही आ सकती है .
जवाब देंहटाएंतंत्र/व्यवस्था में अव्यवस्था न हो...यह हो सकता है...???
जवाब देंहटाएंदुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है यह...और क्या कहा जाय...
खैर,अपना काम मानवता के हित में सोचना और अपने भर जो कर सकते हैं, करना है...
ओह तो यह मृत्योपरांत देहदान की बात है -सिम्पली नाट इंटेरेस्टेड !
जवाब देंहटाएंबहुत दुर्भाग्यपूर्ण.
जवाब देंहटाएंडॉक्टर रामेश्वर शर्मा वाला समाचार मैने भी पढा था। यहाँ अमेरिका में आप अपना ड्राइवर्स लाइसेंस (जोकि आपका समग्र परिचय पत्र भी होता है) बनवाते समय ही अपने देह/अंग दान में रुचि बताते हैं और यदि इच्छुक हैं तो उस पर स्पष्ट शब्दों में ऑर्गन डोनर लिखा रहता है। मृत्यु की स्थिति में जितने अंग प्रत्यारोपण के लिये उपयुक्त पाये जाते हैं उनका प्रत्यारोपण हो जाता है व अन्य अंग/शरीर शोध आदि के लिये प्रयुक्त होते हैं। डॉ. शर्मा के शरीर जैसे गति से बचाने के लिये अधिकांश अस्पतालों से सम्बद्ध अंग-बैंक जैसी संस्थायें हैं और अंगों की प्रतीक्षा में बैठे व्यक्तियों की एक राष्ट्रव्यापी सूची भी।
जवाब देंहटाएंदुखद पूर्ण ..भ्रम टूटते हैं
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 14-07- 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएंनयी पुरानी हल चल में आज- दर्द जब कागज़ पर उतर आएगा -