दोस्त दुश्मन में फर्क न कर सकें
ऐसे नादाँ भी हम नहीं
दोस्त छुप कर वार किया करते हैं
दुश्मन कलेजा चाक कर देगा ...ग़म नहीं
उस दिन मुंह फेर कर गया जब वो उदास लम्हा
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...
लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छिल कर रख देते हैं
वोह तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था ...
गुरुवार, 11 जून 2009
गुल या खार
बुधवार, 3 जून 2009
प्यार तुम्हारा
प्यार तुम्हारा मेरे भीतर है जमी बर्फ सा
पिघल जाएगा तुम्हारा एहसास पाकर ही नदी सा
सोचा था भूल जाउंगी तुम्हे
भूल रही हूँ तुम्हे
मगर नही भ्रम था सब मेरा
आज जब देखा तुम्हे
देखा वो भी ख्वाब में
सीने में भर आया उबाल सा
आँखों में उतर आया दरिया सा
प्यार तुम्हारा मेरे भीतर है जमी बर्फ सा
पिघल गया तुम्हारा एहसास पाकर ही नदी सा
पिघल जाएगा तुम्हारा एहसास पाकर ही नदी सा
सोचा था भूल जाउंगी तुम्हे
भूल रही हूँ तुम्हे
मगर नही भ्रम था सब मेरा
आज जब देखा तुम्हे
देखा वो भी ख्वाब में
सीने में भर आया उबाल सा
आँखों में उतर आया दरिया सा
प्यार तुम्हारा मेरे भीतर है जमी बर्फ सा
पिघल गया तुम्हारा एहसास पाकर ही नदी सा
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