अभी अभी बेटी को बस स्टाप तक छोड़ कर आयी हूँ। सुबह के समय चहुँ ओर विद्यालय की और दौड़ती बसें , ऑटो रिक्शा और गणवेश में सुसज्जित विद्यार्थिओं और उनके अभिभावकों की आवाजाही ही नजर आती है। बेटी के बस स्टाप पर ही कई विद्यालयों के बच्चे बस का इंतिजार करते हए आपस में चुहलबाजी करते नजर आ जाते हैं । आज जब वहां पहुंचे तो देखा दो बच्चे आपस में धींगा मस्ती कर रहे थे। देखते ही देखते उनकी मस्ती झगडे में बदल गयी।
दोनों बच्चों में से एक तो अच्छा खासा सेहतमंद गोल मटोल सा था उसका नाम था रोहित , वही दूसरा बच्चा थोड़ा हल्का फुल्का सा रमेश । दोनों में किस बात पर झगडा हुआ ये तो ज्यादा पता नही चला ..मगर शायद कोई पुराना मसला था . रमेश ने रोहित की शिकायत कर दी थे अपने अध्यापक से इसीलिए वह बहुत नाराज़ था। उसने छुटके को धमकाते हुए कहा "देख..अगर अगली बार तुने मेरी शिकायत की तो समझ लेना ..."
रमेश दुबला पतला था तो क्या हुआ ...तैश में आते हुए बोला ..." करूँगा ..बोल क्या कर लेगा."
"देख मेरे भाई ..तुझे इतने प्यार से कह रहा हूँ...तू नही करेगा शिकायत ...समझा।"
"हाँ.. हाँ... समझ गया ...नही...बोल ..तू क्या कर लेगा।"
अब तक तो रोहित को गुस्सा आ गया ..." तू ऐसे नही मानेगा" बोलते हुए दो थप्पड़ जड़ दिए।
रमेश ने उसका हाथ पकड़कर रोकना चाह मगर कामयाब नही हो पाया। गाल सहलाते हुए फिर से बोला ..." देख... अभी तो तुने मुझ पर हाथ उठा दिया ...मैं कुछ नही कह रहा...मगर अबकी तुने ऐसा किया तो अच्छा नही होगा।"
रोहित का गुस्सा और भड़क उठा...''क्या कहा ..क्या अच्छा नही होगा..."कहते हुए उसने एक चांटा और जड़ दिया।
बेबस सा रमेश थप्पड़ से तो नही बच सका मगर फिर भी बोला " देख मैं तुझे कह रहा हूँ.. मान जा ...अब मत उठाना मुझ पर हाथ..."अब और झगडा बर्दाश्त करने की हिम्मत नही थी। उनका बीच बचाव करते हुए दिमाग में क्या कुछ गूंजने लगा।
क्या हमारे देश की ... नागरिकों की यही हालत नही है... हर आतंकवादी घटना के बाद देश के कर्णधारों का यह बयान ..." आतंकवाद बर्दाश्त नही किया जाएगा ..." वे फिर-फिर कर आते हैं ...चोट पह्नुचाते हैं ...जान माल का नुक्सान होता है....अपने घावों को सहलाते हम फिर से यही नारा सुनते है ..."आतंकवाद बर्दाश्त नही किया जाएगा ...हम मुँहतोड़ जवाब देंगे..." वे फिर आते हैं ...कभी संसद भवन पर ....कभी ताज होटल ...कभी कोई रेल ...कभी कोई बस ....कभी किसी शहर में ....कभी किसी शहर में ....."
बहुत कुछ ऐसा ही चुनाव के दौरान होता है ...बढती महंगाई ...अव्यवस्था ....सामरिक सुरक्षा आदि मसलों पर किसी एक सरकार को संसद के बाहर का रास्ता दिखाने वाले हम ... शिकायत करते हैं उनसे...जो अब हमारी समस्यों पर ध्यान नही दिया तो ....!! जनता जनार्दन को भगवान मानने वाले चुनाव से कुछ वक़्त पहले ही पेट्रोल- डीजल, रसोई गैस , रोजमर्रा की जरुरी चीजों के दाम कर दिए जाते हैं और एक बार बहुमत हासिल करने के बाद ....कौन सी जनता...कहाँ की जनता...और हम फिर से अपने घावों को सहलाते अगले चुनाव के इत्निज़ार में लग जाते है ..."अब चुनाव में जीत कर दिखाना..." .