इस तरह जुड़े हैं तुझसे
मेरे दिल के तार
बेतार
कि मैं ख़ुद हैरान हूँ
जख्म रिसता तेरा वहां है
दर्द होता मुझे यहाँ है
सोचती थी तन्हाई में अक्सर
कौन है जो
हर पल साया सा साथ चलता है
मेरी हँसी में मुस्कुराता है
मेरे ग़म में आंसू बहाता है
सख्त जमीन पर कड़ी धूप में
गुलशन सजाता है
मुट्ठी से फिसलती रेत के ढेर पर भी
आशिआं बनाता है
लडखडाते हैं जब चलते रुकते कदम
अपनी अंगुली बढाता है
नीम बेहोशी में अक्सर
अक्स जिसका नजर आता है.....
सोचती थी अक्सर यूँ भी
मेरा साया वो
कहीं मैं ख़ुद तो नही
या फिर कही
मेरी कोई
कल्पना तो नही .......
तुझसे जो मिले ख्वाब में जिंदगी
तो जाना
मोड़ कर हर राह
जिस तरफ़ नदी सी बही
तू है वही
कल्पना ही सही .......
मेरे दिल के तार
बेतार
कि मैं ख़ुद हैरान हूँ
जख्म रिसता तेरा वहां है
दर्द होता मुझे यहाँ है
सोचती थी तन्हाई में अक्सर
कौन है जो
हर पल साया सा साथ चलता है
मेरी हँसी में मुस्कुराता है
मेरे ग़म में आंसू बहाता है
सख्त जमीन पर कड़ी धूप में
गुलशन सजाता है
मुट्ठी से फिसलती रेत के ढेर पर भी
आशिआं बनाता है
लडखडाते हैं जब चलते रुकते कदम
अपनी अंगुली बढाता है
नीम बेहोशी में अक्सर
अक्स जिसका नजर आता है.....
सोचती थी अक्सर यूँ भी
मेरा साया वो
कहीं मैं ख़ुद तो नही
या फिर कही
मेरी कोई
कल्पना तो नही .......
तुझसे जो मिले ख्वाब में जिंदगी
तो जाना
मोड़ कर हर राह
जिस तरफ़ नदी सी बही
तू है वही
कल्पना ही सही .......
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