शुक्रवार, 25 मार्च 2011

शीतलाष्टमी ....राजस्थान का प्रमुख लोक -पर्व




शीतलाष्टमी राजस्थान में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है ...इस दिन शीतला माता की पूजा करने के साथ ही एक दिन बासी ठंडा खाना ही माता को भोग लगता है और खाया भी वही जाता है...इस पर्व पर खास तौर पर मक्के अथवा बाजरे की राबड़ी के अतिरिक्त उत्तर भारत में होली पर बनाये जाने वाले पकवान गुझिया,नमकीन , दही /कांजी बड़े आदि भी बनाये जाते हैं ...

होली के दूसरे दिन से प्रारंभ होने वाली गणगौर पूजा में भी इस दिन का बहुत महत्व है ...होलिका दहन के पश्चात दूसरे दिन (धुलंडी ) होलिका दहन वाले स्थान से राख लाकर उसकी आठ या सोलह पिंडियाँ बनाई जाती है तथा दूब , कनेर के पत्ते , पुष्प आदि से 16 दिन तक इनकी पूजा की जाती है ...
मिट्टी के ईसर- गणगौर आदि

शीतलाष्टमी के दिन प्रायः हर घर में बासी खाना ही खाया जाता है , इसलिए पूरा दिन महिलाएं घर के काम से मुक्त होती है , इस समय का उपयोग वे सखियों के साथ हंसी ठिठोली करते हुए बिताती हैं ...शीतलाष्टमी के दिन काली मिट्टी लाकर उससे ईसर- गणगौर , मालन माली , आदि बनाये जाते हैं , उन्हें वस्त्र आदि पहनाते हैं , रेत अथवा काली मिट्टी की मेड़ बनाकर जंवारे ( जौ) उगाये जाते हैं ...सरकंडों पर गोटा लपेटकर झूला भी बनाया जाता है ...
वस्त्रादि से सुशोभित ईसर गणगौर , झूला भी सज गया तथा मिट्टी की मेड पर जंवारे ...

गणगौर पूजन करने वाली सभी स्त्रियाँ इकठ्ठा होकर ये सभी कार्य बड़े हर्षोल्लास से गीत गाते हुए करती है ...तत्पश्चात छोटे बच्चों (सिर्फ लड़कियों )को ईसर और गणगौर के प्रतीक रूप में दूल्हा -दुल्हन बनाकर उन्हें बगीचे में में ले जाकर खेल- खेल में गुड्डे गुड़ियों जैसी ही शादी रचाई जाती है ...
नन्हे दूल्हा- दुल्हन

पूजन करने वाली तथा दर्शक महिलाओं में से ही घराती और बाराती बनती है तथा आपस में ठिठोली करती हुई नृत्य गान आदि करती है ...आम लोकगीतों मे सुहागन महिलायें अपने अखंड सुहाग के लिए ईश्वर से प्रार्थना तो करती ही हैं , लगे हाथों विभिन्न आभूषणों और आकर्षक वस्त्रों की मांग भी कर लेती हैं...

हमारा शहर अभी महानगर बनने की दौड़ में हैं , परन्तु पारंपरिक लोक उत्सवों का उल्लास अभी भी बरकरार है ...अपने वाहन खुद हांकने वाली उच्च शिक्षित कामकाजी महिलाएं भी समय का तालमेल बैठते हुए इनमे बड़े उत्साह से भाग लेती हैं ...इन पर्वों और उत्सवों का हिस्सा बनते हुए दिल और दिमाग की रस्साकसी कहाँ शांत बैठती हैं ... कई बार ख्याल आता है की ज्यादा सुखी और खुश रहने वाली महिलाएं कौन -सी हैं ...