ब्लॉग जगत की सबसे बड़ी लाफ्टर मशीन ताऊ नजर नहीं आ रहे बहुत दिनों से . हंसोड़ों को हंसी कि तलब हो रही थी. क्या करेंअ ब ...जा पहुंचे रामप्यारी के पास ...
कुछ तो करके ताऊ को मना . उनके बिना सब दुखी- उदास हैं. हँसने के लिए अजीब वाहियात तरीके अपनाकर ब्लॉगजगत की हवा ख़राब कर रहे हैं . अब तू ही कुछ समझा सकती है !
रामप्यारी ने भी अब चिंता सताने लगी -- बहुत दिन हो गये वाकई . ताऊ ने समझाना पड़ेगा . जो इतनी लम्बी छुट्टी पर रहे तो कोई नाम तक याद रखने वाला नहीं मिलेगा !
रामप्यारी गई ताऊ के पास . ताऊ बड़ा- सा पैग बनाये उदास सूरत लिए बैठे थे .
क्या हुआ ताऊ . ऐसी रोनी सूरत क्यूँ बना रखी है . जे आप ही ऐसे रहोगे तो क्या होगा . बाकी तो वैसे ही रोना- धोना मचाये रखते हैं .
के करूँ रामप्यारी . लोगां ना हँसाने के फेर में तेरी ताई ने बहुत कुटाई की लट्ठों से ...कि इब तो दिमाग में कुछ आ ही नहीं रहा. के लिखूं , के ना लिखूं ! तू पढ़ी लिखी तो ना है वरना तेरे को समझाता कि इसे राईटर्स ब्लॉक कहते हैं ....
रामप्यारी को एक बार तो बहुत गुस्सा आया . जे ताऊ बड़ा विद्वान् बना फिरता है जैसे कि अब तक जो लिखा है , वह रामायण - गीता से भी बढ़ कर है . थोड़े बहुत संगी- साथियों ने तारीफ़ करके चने के झाड पर चढ़ा दिया है वरना तो लिखता क्या है , घास काटता है ...
मगर फेर थोड़ी सहानुभूति उपजी . ताऊ का इतने दिनों का साथ था आखिर . उनके साथ के कारण ही रामप्यारी की भी इतनी पूछ थी .
प्रकट में बोली ...चिंता ना कर ताऊ . मैं पता करती हूँ कि तेरी इस समस्या का हल क्या है ...
ओहो . जे मेरी समस्या हल करेगी. ये मुंह और मसूर की दाल...के जमाना आ गया है . अब चेले गुरु को समझायेंगे ...
मन ही मन भड़क रहे थे ताऊ मगर वक़्त की नजाकत देखते प्रकट में प्यार से बोले ...
रे रामप्यारी . तू मेरी इतनी चिंता करती है . मने बहुत अच्छा लगा , पन तेरी चिंता मेरे से कुछ लिखवा नहीं सकती ...
कोई नहीं ताऊ . मैं तेरे लिखने का प्रबंध करने की सोचती हूँ ....
इब रामप्यारी जुट गई समस्या सुलझाने में ...अब उसने तो लिखना आता नहीं कि शिक्षा देगी ताऊ को पर कुछ करना तो होगा ...
चश्मा लगाये घूम आई बहुत सारे ब्लॉग्स पर ....पढ़ते -पढ़ते उसकी मुस्कराहट चौड़ी होती गई ...
क्या -क्या लिखते हैं लोग . जे ताऊ फ़ालतू ही परेशान हो रिया है ...लिखना कौन बड़ी बात है !
घूम फिर कर पहुंची ताऊ के पास ...
फालतू ही परेशान हो रहे थे ताऊ . जे लिखना कोई बड़ी बात नहीं है . जे वाणी लिख सकती है तो आपके लिखने में कोई दिक्कत ना है . आप लिखने में आओ तो बड़े -बड़ों की छुट्टी कर सकते हो ...
सच रामप्यारी , ऐसा हो सकता है ! मगर परेशानी तो यही है कि समझ नहीं आ रहा क्या लिखूं ...
कौन मुश्किल है ताऊ ...देख सबसे पहले एक पोस्ट अपने जन्मदिन की लिख . दूसरी ताई से मिला था उस दिन के हुआ था जे लिख . तीसरी शादी की सालगिरह . चौथी पुरानी प्रेमिका . पांचवी नई प्रेमिका . छठी आभासी प्रेमिका और कुछ ना सूझे तो एक राउंड लगा आ दिल्ली का . तेरे गाँव से दिल्ली कौन दूर है ...तीन -चार पोस्ट बस में बैठने से लेकर दिल्ली पहुचंने तक के के हुआ वो सब लिख डाल ...
ले ,हो गया दस पोस्ट का जुगाड़ !
ताऊ का सर भन्नाट हो गया ...ताई से मिला.... उस दिन के हुआ था . सिर पर गूमड़ का निशान उसी दिन का है . जोर का लट्ठ पड़ा था सिर पर ! इब ये लिखूंगा तो मेरी गृहस्थी की के इज्ज़त रह जाएगी ...
तू भी ताऊ . के इज्ज़त की परवाह करण लगा है . लिखना बड़ी बात है ...कुछ तो अपने --- से सिखा होता . जे वे अपनी और देश की इज्ज़त की परवाह करते तो हजारपति से अरबपति ना बन पाते ...तू भी ना ताऊ !
पर के ये ठीक रहेगा और ये सब प्रेमिकाओं वाली बात . ना ...ये ठीक ना लग रहा ...क्या सोचेंगे वे सब मेरे बारे में और ताई को उनके बारे में पता लगा तो फेर तो लिखना लिखण छोड़ , पेन पकड़ने लायक भी नहीं रहूँगा ...ताई कोई घर में पाली पालतू बिल्ली थोड़ी है जो मलाई का कटोरा आगे सरकाया और सब भूल -भाल कर खाणे में जुट जाएगी ...तेरी ताई शेरनी है .कच्चा निगल जायेगी मुझे और डकार भी ना लेगी .. फाड़ खाएगी मेरी बोटी- बोटी . ये प्रेमिकाओं वाली बात रैन दे और कोई टिप्स दे !
जो भी हो , रामप्यारी ताऊ को और पिटते नहीं देख सकती थी ....
तो ताऊ . आप तो वैसे भी साहित्यकार हो . कई पत्रिकाओं में छपते रहे हो . रेडियो पर लोग सुनते रहे हैं आपको . वही सब लिख दो यहाँ ....के परेशानी है , लोग इम्प्रेस हो जायेंगे कि ताऊ कितना विद्वान् है और ताई से पिटने का डर भी नहीं रहेगा ...
बावली बूच ...अब तो ताऊ माथा ठोकने लगा ... ...वो सब मैं लिखता हूँ , पैसे मिलते हैं ....इन मुफ्तखोरों (ब्लॉग पाठकों ) के लिए अपने अमूल्य ज्ञान को बाटूंगा यहाँ . बावली हुई है के!
वह सब तो विशिष्ठ पाठकों या श्रोताओं के लिए हैं ...के करेंगे ये ब्लॉगर... पढेंगे , कुछ समझेंगे , नहीं समझेंगे . दो लाईन ठोक जायेंगे . कोई तो बहुत बढ़िया कहकर खिसक लेंगे ...कोई थोड़े -बहुत अपनी विद्वता का झंडा गाड़ते नया कन्फ्यूजन पैदा कर जायेंगे ...
मगर ताऊ . जो तुम पत्रिकाओं में लिखते हो , रेडियो पर पढ़ते हो , तो कौण से वहां लोग खड़े होकर तालियाँ बजाते हैं . तुरन्त प्रतिक्रिया भी नहीं मिलती !
पिसे मिलते हैं रामप्यारी , पीसे ...तू के समझेगी .कभी कुछ छपवाया होता तो जाणती ....
चित्त भी मेरी , पट्ट भी मेरी ...ताऊ तेरा कुछ नहीं हो सकता !
चल तू रहणे दे ...मैं देखता हूँ के किया जा सकता है ....
जैसे -जैसे सुरा ताऊ के हलक से होती जिगर तक पहुँच रही थी . ताऊ के दिमाग की बत्ती जलने लगी थी ...
रे रामप्यारी , जुगाड़ हो गया पोस्ट का ... थोड़े दिन बाद तेरी ताई जाण वाली है मायके . तब कुछ लिख मारूँगा .आएगी लौट के जब तक मामला ठंडा हो जाएगा ...
अच्छा ताऊ . बड़े होशियार ....ताई के जासूस भरे पड़े हैं तेरी फैमिली में ...एक फ़ोन घुमाण की देर है !
जे बात है ....कोई ना ...जब तक ताई यहाँ नहीं है उनके मुंह बंद करने का इंतज़ाम है मेरे पास ..अपने --- से सिखा हुआ हुनर कब काम आएगा . एक बोतल में वही बोलेंगे जो मैं कहूँगा ...
ताऊ के बार की चमाचम बोतलें रामप्यारी को मुंह चिढ़ा रही थी ! रामप्यारी समझ गयी कि ताऊ दुनियादारी के सारे ढब सीख चुका है. लिखने के लिए कुछ न कुछ जुगाड़ कर ही लेगा !
इब चिंता की कोई बात नहीं है !