चेतावनी ....एक बहुत ही साधारण- सी पोस्ट
आपके द्वारा किये गए अच्छे /बुरे कार्य एक दिन लौट कर आपके पास अवश्य आते हैं ...ईश्वर छोटी -छोटी साधारण घटनाओ से संकेतों द्वारा हमें यह सबक सिखाते हैं ...बस , हम समझते नहीं या समझना नहीं चाहते ...(जो लोंग ईश्वर को नहीं मानते , प्रकृति को ही मान लें ...)...जो इन संकेतों को समझ लेते हैं और अपने आचरण में सुधार लाते हैं ,वे एक आनंदमय जीवन जीते हैं , विपरीत परिस्थितियों में भी ....
ना ना ...मैं कोई प्रवचन के मूड में नहीं हूँ ...बस एक साधारण सी बात ही लिख रही हूँ ...
मेरे पड़ोस में एक वृद्ध दम्पति रहते हैं ...वृद्ध सिर्फ उम्र के लिहाज़ से ही हैं वरना उनकी (आंटी जी ही कहती हूँ मैं ) कार्यकुशलता/फुर्ती , गृह सञ्चालन देखकर अक्सर काम्प्लेक्स होता है मुझे ...पतिदेव जब तब उनसे सीखने की सलाह दे किया करते हैं ...सचमुच सीखना तो चाहती हूँ मैं भी मगर थोड़ी आलसी हूँ और रूचि भिन्नता भी है ...
आंटी जी को सांस की तकलीफ है इसलिए सर्दी में जल्दी उठना डेयरी दूध लेकर आना उनके स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है ...फिर एक दिन हमने तय किया कि उनका दूध हम ही (मैं या पतिदेव ) ला दिया करेंगे ...थोड़ी ना- नुकुर के बाद वे हमसे सहमत हो गए ...पिछले पांच वर्षों से यही क्रम चला आ रहा है ...अभी पिछले महीने से उनके बेटे , बहू भी उनके पास आकर रहने लगे हैं ...कुछ दिनों तक हमें दूध लाता देखने के बाद आखिरकार उनके बेटे ने यह जिम्मेदारी खुद अपने ऊपर ले ली ..अब हमारा यह काम उनके जिम्मे है ...
सुबह बेटी को बस स्टॉप तक छोड़ना होता है ...सुबह सभी को जल्दी होती है ...जब सुबह पतिदेव नहीं जा पाते हैं स्टॉप तक ,ऐसे में एक बच्ची के दादाजी (रिटायर्ड फौजी ) जो अपनी पोती को छोड़ने आते हैं कह उठते हैं " अब आपकी ड्यूटी खत्म , मैं हूँ यहाँ पर " और मैं निश्चिन्त होकर बस का इन्तजार किये बिना ही घर लौट आती हूँ ...
मगर सुबह यह जो समय बचता है , मेरी ब्लॉगिंग के काम आ जाता है ..अब तक जो समय मैंने इनपर खर्च किया वह लौट कर मेरे पास आ गया ...इस बचे हुए समय की अहमियत उन गृहिणियों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता जो समय सीमा में बंधे होने कारण सुबह किये जाने वाले कार्यों और ब्लॉगिंग के बीच सामंजस्य बैठाती हैं ...
बहुत छोटी -सी साधारण सी ही बात है यह ...मगर मैं इन छोटी -छोटी बातों से ही सीख लेती हूँ ...बड़ी बातें , बड़े अनुभव तो बड़ों के लिए छोड़ रखे हैं हमने ...
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बहुत अच्छी सीख दी आपने . ....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा किये गए अच्छे /बुरे कार्य एक दिन लौट कर आपके पास अवश्य आते हैं ...ईश्वर छोटी -छोटी साधारण घटनाओ सेसंकेतों द्वारा हमें यह सबक सिखाते हैं ...बस , हम समझते नहीं या समझना नहीं चाहते ... दी... यह पंक्ति बहुत ही अच्छी लगी.... सच कह रही हैं आप ...हम समझना ही नहीं चाहते.... आपने आज एक बहुत अच्छी सीख दी....
जवाब देंहटाएंचेतावनी के बावज़ूद ...एक अच्छी और सार्थक पोस्ट ...मैं भी यह मानती हूँ कि स्वयं के द्वारा किये गए कर्मों का सारा हिसाब - किताब होता है ..
जवाब देंहटाएं"अच्छे बुरे कार्य एक दिन आपके पास लौट कर अवश्य आते हैं।"
जवाब देंहटाएंध्रुव सत्य है।
सुन्दर उदाहरण! (इसे शीर्षक से मेरी सहमति न समझा जाय।)
जवाब देंहटाएंसच है छोटी छोटी बातों से शिक्षा ली जाएं तो जीवन कि कठिनाईया कम हो जाती है ...या कम लगाने जगती है .....बहुत अच्छे उदहारण के साथ बहुत भड़िया शिक्षा .....धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंटूटे तारों ने तो किस्मतों को सवाँरा है
सही कहा वाणी बस दो बात और जोड़ लो
जवाब देंहटाएंसम्बन्ध हमारी निज कि थाती होते हैं उनका प्रदर्शन करके हम आभासी दुनिया मे उनका अपमान करते हैं
पाप का घडा फूटता ही हैं
और
पाप से और पापी से अपने को दूर रखो , उसको सुधारने कि जगह खुद को सुधारो और हर किसी भी पाप को और पापी को छुपा कर मत रखो
वाणी जी,
जवाब देंहटाएंप्रवचन शब्द से ग्लानी क्यों? जबकी प्रवचन लोकहीतार्थ किया जाय। आपका पुरा आलेख शिक्षाप्रद व अनुकरणीय है।
रिश्तों को खण्ड खण्ड करने को उतारू लोगों के लिये बोध!!
आभार।
बेहद उम्दा और सुन्दर संदेश देती सार्थक पोस्ट्……॥
जवाब देंहटाएंwhat goes around ,comes around
जवाब देंहटाएं100%
bahut sarthak post.
बिलकुल सही कहा वाणी....मेरा भी यही सोचना है, हमें बस पता नहीं चलता..लेकिन हमारे द्वारा किए अच्छे/बुरे कार्य लौट कर आते ही हैं....इसीलिए जान समझ कर कोई गलत कार्य नहीं करना चाहिए
जवाब देंहटाएं@पाप और पापी को अपने से दूर रखो ...
जवाब देंहटाएंखुद को सुधारो ...
दोनों ही सुझाव अच्छे हैं ....
जहाँ तक मैं सोचती हूँ खुद को सुधारने का कोई मौका मैं छोडती नहीं हूँ ...
वास्तविक या आभासी दुनिया दोनों में ही जो लोंग अच्छी तरह जानते हैं , मानते भी हैं ...कि अपनी गलती महसूस होते ही मैं उसे मानने में देर नहीं लगाती ...और मुझसे बात करते समय उनकी सीमायें भी वे अच्छी तरह जानते हैं ...!
ये सच है कि मैं लोगों के बदलने की उम्मीद करती हूँ ...शायद मेरी अपेक्षा कुछ ज्यादा ही हो जाती है ..!
@ जान समझ कर कोई गलत कार्य नहीं करना चाहिए ..
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा रश्मि ...
मेरी कोशिश यही होती है ...!
@संगीता जी ,वंदना जी , शिखा जी , सुज्ञ जी , रानी विशाल जी , ललित शर्मा जी , ana जी , महफूज़ ...
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत आभार ...!
आप से सहमत है जी..... देर सवेर हमे वो ही मिलेगा जो हम ने ओरो को दिया है.
जवाब देंहटाएंसच ही तो है पाई समय जिमि सुकृति सुहाए -लगता है मूड ठीक हो गया :)
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही चाहे अच्छा या बुरा, जो भी कार्य करो, एक दिन लौट कर जरुर आते हैं..अच्छा चिन्तन.
जवाब देंहटाएंFully agreed. WHAT GOES AROUND COMES AROUND.
जवाब देंहटाएंAS YOU SOW SO SHALL YOU REAP !!!
असल मे जीवन जीने की कला ही सामंजस्य बैठाना होता है, बहुत ही सहज भाव और रोजमर्रा की जिंदगी से उदाहरण ढूंढ निकाला आपने, शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
निर्मल हास्य ???
जवाब देंहटाएंसहमत नहीं....हास्य फुहार नहीं यह...गंभीर बात है...बस आवश्यकता है इसे ध्यान में रखने की..
कर्म फल तथा जन्मजन्मान्तर में इसकी प्राप्ति में मेरा गहन व अटल विश्वास है....
सुन्दर पोस्ट....आभार !!!
जो दिया वही पा रहे हैं, यूँ जिंदगी के फर्ज़ और कर्ज़ निभा रहे हैं :) सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंजीवन समृद्ध होता है छोटी-छोटी खुशियों से और सही दिशा पाता है छोटे-छोटे सुधारों से....बड़ी ख़ुशी या बड़ा दुःख या बड़ी बातों से जीवन बदल जाता है....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रविष्ठी है जी..छोटी-छोटी बातों में भी सार्थकता ढूंढ लेतीं हैं...तभी कुशल गृहिणी कहाती हैं..
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जवाब देंहटाएं.
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अत्यन्त हॄदयस्पर्शी आलेख...
सच कह रही हैं आप...रोजाना के जीवन में दूसरे की सीमाओं का लिहाज करते हुए हम अगर यह छोटी छोटी अच्छाइयाँ करते चलें...जिन्हें करने में किसी विशेष प्रयत्न की आवश्यकता नहीं...तो कितनी बेहतर-सुंदर हो जायेगी यह दुनिया...
आभार आपका, वाकई आप सार्थक ब्लॉगिंग करती हैं।
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हमारे कृत्य हमारा स्वागत करने के लिये भविष्य में खड़े हैं।
जवाब देंहटाएंसत्य है ,सहमत हूं ।
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती एक अच्छी रचना.
जवाब देंहटाएंआभार.
वाणी जी,
जवाब देंहटाएंप्रवचन शब्द से ग्लानी क्यों? जबकी प्रवचन लोकहीतार्थ किया जाय। आपका पुरा आलेख शिक्षाप्रद व अनुकरणीय है।
रिश्तों को खण्ड खण्ड करने को उतारू लोगों के लिये बोध!!
Sugya ji ki tippani meri bhi maani jaye.
बिल्कुल सही, क्षण क्षण का मूल्य वही समझ सकता है जिसके लिये यह अमूल्य है।
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
इसे आप साधारण पोस्ट कहिए या जो कुछ भी....लेकिन अपने को तो पसंद आया।
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