(इनकी सफाई ऐसी होती है)
एक सफाई पसंद महिला अपनी सहेली के घर उससे मिलने गयी । जब उसने देखा कि उसकी सहेली का पूरा घर अस्तव्यस्त पड़ा था , नाक भौं सिकोड़ती देर तक बस उससे यही शिकायत करती रही कि लोंग घर कितना गन्दा रखते हैं !!
दरअसल उसके घर वार्षिक सफाई का कार्य चल रहा था . सफाई करते समय एक बार पूरा घर गन्दा होता ही है . उस महिला को बुरा लगा , मगर अपने घर की व्यवस्था देखकर चुप लगा गयी .
कुछ समय बाद जब उसका घर फिर से साफ़ सुथरा चमकदार हो गया , उसने अपनी सहेली को खाने पर बुलाया . खाना खाने के बाद सहेली के चमचमाते घर को देखकर बहुत प्रभावित हुई .
" तुम आजकल घर बहुत साफ़ रखने वाली हो , कोई नयी कामवाली रख ली है क्या "
नहीं ..मेरे घर की साफ़- सफाई के लिए मैं दूसरों पर निर्भर नहीं करती ...उस दिन जब तुम आई थी , वार्षिक सफाई का काम चल रहा था इसलिए सब बिखरा हुआ था . उस महिला ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
" तो तुमने उस दिन कुछ कहा क्यों नहीं , तुमने बताया भी नहीं और मैं यूँ ही बक- बक करती रही "
उस दिन मैं चुप रही क्यूंकि तुम उस दिन सही थी ...उस दिन का सच वही था!
दोनों ने एक साथ अच्छा समय व्यतीत किया . घर लौट कर उस महिला ने अपने घर का मुआइना किया . उस महिला की तुलना में उसे अपना घर बहुत गन्दा लग रहा था । घर के कई कोने , सिंक के नीचे , फर्नीचर के पीछे कई जगह कचरा छिपा पड़ा था . . इससे पहले उसने कभी गौर ही नहीं किया था .
उस दिन से उसने प्रण लिया कि अगली बार दूसरों की त्रुटियों पर टोकने से पहले स्वयं पर अंकुश रखेगी , कम से कम उस उस कमी पर तो अवश्य ही, जो स्वयं उसमे भी है!
होता है ना कई बार ऐसा ....!
क्या यह सिर्फ घर और उसकी सफाई की ही बात है ....!
चित्र गूगल से साभार !
बहुत सही कहा आपने। दूसरों के दोष न देख, अपने अन्दर के दोष देखने पर हम निर्दोष बन जायेंगे।
जवाब देंहटाएंअरे वाह इस छोटकू ने भी झाडू उठा लिया है. सार्थक पोस्ट
जवाब देंहटाएंbahut acchi post...
जवाब देंहटाएंaabhaar..!
बहुत अच्छी पोस्ट है. दोनों चित्र भी अच्छी हैं. ऊपर वाला चित्र देखकर याद आ गया कि कभी-कभी मंत्री-सांसद अस्पताल वगैरह में झाड़ू लगाने की नौटंकी करते हैं. एक ही छोटे से कोने में पच्चीस लोग झाड़ू लगाकर फोटो खिंचवा लेते हैं.
जवाब देंहटाएं...उस दिन का सच वही था ...
जवाब देंहटाएंसमझने की बात है।
मन की सफाई हो जाये तो सब उजला ही रहेगा। सुन्दर प्रसंग है। बधाई।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख के लिए बधाई !
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सार्थक आलेख्।
जवाब देंहटाएंआप उदाहरण दे कर कहना कुछ और चाह रही हैं ...हमें अपने दोष नहीं दिखाई देते दूसरों की कमियों पर ही उंगली उठती है ....
जवाब देंहटाएंसार्थक लेख के लिए आभार ...सच है पहले अपने गिरेबान में झाँक लेना चाहिए ..
सही आईना दिखाया जी मुझे, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअब कोशिश रहेगी कि अपना घर, ब्लॉग और दिल-दिमाग साफ रखूंगा।
प्रणाम
कभी कभी सफाई प्रारम्भ करते समय घर और गन्दा लगने लगता है।
जवाब देंहटाएंएक दोहा याद आ गया ..
जवाब देंहटाएं" बुरा जो देखन मैं चला ,बुरा न मिल्यो कोई.
जो दिल खोजो आपनो मुझ सा बुरा न होई.
असल में स्वयं को देखने के लिए आईना चाहिए और दूसरे तो सामने दिख ही जाते हैं। इसलिए आती है यह सारी समस्याएं।
जवाब देंहटाएंएक सुंदर और छोते से दृष्टांत से आपने जीवन का कितना कीमती सच भी कह दिया और सीख दे दी, बहुत सुंदर लगी यह पोस्ट. प्रणाम.
जवाब देंहटाएंरामराम.
भूल सुधार"
जवाब देंहटाएंछोते = छोटे
प्रणाम.
रामराम.
प्रेरक पोस्ट!
जवाब देंहटाएंअत्म्विश्लेष्ण कर अपनी खामियों से बहुत कुछ सिखा जा सकता है ऐसा ही कुछ कहती है आपकी सार्थक पोस्ट |
जवाब देंहटाएंwow ! great post...
जवाब देंहटाएंwaise mai apna room saaf rakhti hoon, ma'am.
kabhi kabhi time nahi milta to mumma karti hain na.. :p
well, story moral samajh liya maine.. :)
बहुत सार्थक पोस्ट...
जवाब देंहटाएंsachchi
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