राजस्थान के घाघरा /लहंगा ओढ़नी के बारे में कौन नहीं जानता . प्रदेश ही नहीं बल्कि देश भर में वधू के लिए चुने जाने वाले परिधान में लहंगा ओढ़नी ही सर्वाधिक लोकप्रिय है . अन्य प्रदेशों के मुकाबले में राजस्थान में महिलाओं के लिए मुख्य परिधान घाघरा ओढ़नी ही रहा है . दैनिक जीवन ,मांगलिक अवसर या प्रमुख त्योहारों पर ग्रामीणों और शहरी से लेकर शाही परिवारों में यह परिधान समान रूप से लोकप्रिय है . बस प्रदेश की विभिन्न जातियों , धर्म कार्य और इलाकों के अनुसार इसके रंग-रूप में कुछ बदलाव हो जाता है .
राजस्थानी राजपूत महिलाओं का ऐसा ही एक प्रमुख परिधान है ...कुर्ती -कांचली . सिर्फ राजस्थानी विवाहित महिलाओं द्वारा ही पहने जाने वाला यह परिधान राजपूत बहुल इलाकों में लगभग सभी जातियों में लोकप्रिय है .
इस परिधान के चार हिस्से होते हैं - लहंगा , कांचली , कुर्ती और ओढ़नी . कुर्ती के भीतर पहने जाने वाली कांचली अंगिया के समान मगर पूरी बाँहों(full sleeve ) का पीछे से खुला हुआ वस्त्र होता है जो डोरियों से बंधा होता है. कुर्ती आम कुर्तियों जैसी मगर स्लीवलेस होती है , और इसके साथ ही होती है सिर ढकने के लिए गोटे की किनारियों से सजी ओढ़नी .
कुर्ती -कांचली के दूसरे प्रकार में लहंगा , कुर्ती और ओढ़नी होती है , इसमें कांचली नहीं होती और कुर्ती (इसे जम्फर/अंगरखा भी कहते हैं ) पूरी बाँहों की होती है . पर्व त्यौहार या मांगलिक अवसरों के अनुसार इसके फैब्रिक और रंग में भी परिवर्तन हो जाता है .
चित्र गूगल से साभार ! |
जनजाति की स्त्रियों का विशेष परिधान भी कुर्ती कांचली ही है , मगर उनके कार्य व्यवहार के अनुसार इसका रूप राजपूती कुर्ती कांचली से भिन्न है . इनका लहंगा काले रंगका खूब घेरदार होता है जिसे कसीदाकारी और विभिन्न प्रकार के कांच से सजाया जाता है . कांचली , कुर्ती तथा ओढ़नी पर भी इसी प्रकार की कसीदाकारी और सजावट होती है . इनकी कांचली में बाहें आम राजपूती कुर्ती कांचली की तुलना में बड़ी होती है . अपनी अलग कसीदाकारी के साथ ही इसके साथ पहने जाने वाली आभूषण भी इसे सामान्य कुर्ती कांचली से अलग बनाते हैं . अपने घेरदार लहंगे के साथ बला की लय और गति से जब इस जनजाति की स्त्रियाँ संपेरा नृत्य करती हैं तो देखते बनता है. इसी कालबेलिया जनजाति की मशहूर लोक कलाकार गुलाबो अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त हैं .
इस राजस्थानी पारंपरिक वेशभूषा की जानकारी अच्छी रही.राजस्थान से बाहर शहरों में यह थोड़ा बदले हुए रूप में दिखती है !
जवाब देंहटाएंभारतीय परिधानों की अभिव्यक्ति सहज सौन्दर्य का प्रतीक है..
जवाब देंहटाएंमरुधरा के रंग परिधानों में खूब छलकते हैं.....
जवाब देंहटाएंअब कुर्ती कांचली पर रंजन और ज्ञानार्जन हुआ ....
जवाब देंहटाएंआभार ..इन दिनों परिधानों पर विशेष नेह है !कोई ख़ास कारण ?? :)
गिफ्ट लिया या दिया
राजस्थानी संस्कृति को और अधिक जानने की कोशिश .
हटाएंसही जबाब ! पूरे दस में दस नम्बर !
हटाएंसुन्दर परिधान का सुन्दर चित्रण ...
जवाब देंहटाएंइनमें से किसी चित्र में आप भी हैं क्या?
नहीं !
हटाएंराजस्थान के क्षेत्रीय परिधानों की जानकारी का आभार!
जवाब देंहटाएंकुर्ती -कांचली , लहंगा , कुर्ती और ओढ़नी कितनी विविधता है, और कितना प्रासंगिक है या पहरावा .....जीवन की छटा ही निराली है भारत में ...आपने बहुत प्रासंगिक विषय पर पोस्ट लिखी है ..इसलिए विशेष आभार ...!
जवाब देंहटाएंराजस्थानी लोक संस्कृति और रंग बिरंगे वस्त्र लुभाते है . कालबेलिया नृत्य i अद्भुत लोक नृत्य है . आपने याद दिला दिया .तो चोक्खी धाढी हो आते है १-२ दिनों में .
जवाब देंहटाएंचोखी जानकारी दी थ्हे कुर्ती कांचली की…………… सूचनार्थ: ब्लॉग4वार्ता के पाठकों के लिए खुशखबरी है कि वार्ता का प्रकाशन नित्य प्रिंट मीडिया में भी किया जा रहा है, जिससे चिट्ठाकारों को अधिक पाठक उपलब्ध हो सकें।
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी!!
जवाब देंहटाएंएक परम्परा की अभिव्यक्ति सम्पूर्णता में ...
जवाब देंहटाएंवाह जी वाह ! पंजाबी में -- कुर्ती मलमल की -- ही सुनते आए थे । आज कुर्ती कांचली और राजस्थानी लिबास देखकर और जानकर बहुत अच्छा लगा । सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाणी जी आपकी यह श्रृंखला एक अद्भुत तोहफ़ा है ब्लॉगजगत के लिए। इसे ज़ारी रखिए और पुस्तकाकार रूप दीजिए।
जवाब देंहटाएंसरस-सरल शब्दों में यह जानकारी बहुत रोचक है।
राजस्थानी परिधान और वहाँ की संस्कृति की बहुत अच्छी जानकारी देती अच्छी पोस्ट .... सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत लगते हैं ये परिधान ..और आपकी यह श्रृंखला तो टूरिज्म वालों को भेज दीजिए उनकी पुस्तक के लिए बहुत काम आएगी.
जवाब देंहटाएंवेशभूषा भी विशिष्ट संस्कृति का अंग होते हैं ... इस पारम्पारिक परिधान की जानकारी का बहुत बहुत शुक्रिया ...
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण जानकारी!!
जवाब देंहटाएंक्या बात है .. हम जैसों के लिए तो बिल्कुल नई-नई जानकारियों का खजाना है यह श्रृंखला ... आभार सहित शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंकुर्ती -कांचली के विषय में बड़ी अच्छी और ज्ञानवर्द्धक जानकारी मिली....ये नयनाभिराम पोशाक तो हमेशा ही दिल लुभाते हैं
जवाब देंहटाएंकुर्ती कांचली की इस पारंपरिक पोशाक के बारे में आपने बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी ! यह मनमोहक एवं चित्ताकर्षक ड्रेस सदैव मन लुभाती है ! आभार आपका सुन्दर चित्रों के लिये !
जवाब देंहटाएंrajasthani paridhan unke rang, chhapayi sada se hi ham sab ko lubhate aaye hain. aapne bahut sunder aur gyanvardhak jankari di.
जवाब देंहटाएंaabhar.
क्षेत्र विशेष के इन परिधानों को जानना बेहतर है। काफी कुछ जानने योग्य! आभार।
जवाब देंहटाएं. हम जैसों के लिए तो बिल्कुल नई-नई जानकारियों का खजाना है यह श्रृंखला ... आभार सहित शुभकामनाएं ।manaram siyag
जवाब देंहटाएंराजस्थान के क्षेत्रीय परिधानों की जानकारी का आभार!
जवाब देंहटाएंराजस्थानी परिधान और वहाँ की संस्कृति की बहुत अच्छी जानकारी देती अच्छी पोस्ट .... सुंदर
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