समाज में बुजुर्गों की दुर्दशा पर हम अकसर बात करते हैं, चिंता जताते हैं. सही भी है . बुढ़ापे में जब व्यक्ति अर्थ और शरीर से लाचार होता है ,सहानुभूति स्वाभाविक है ही....और कई बार परिवार वाले उनका सब धन हथिया कर उनको बदहाल कर रखते हैं .....
हमारी संस्कृति में माता पिता के उच्चतम स्थान को ध्यान में रखते हुए अपनाते हुए हम इस दूसरे पहलू पर बात करने से आँख चुराते हैं ....अपने कमाने खाने के समय बेरोजगार बच्चों के प्रति , पढ़ने में फिसड्डी रहे, पुराने दकियानूसी विचारों से अलग हट कर जीवन जीने वाले , प्रेम विवाह करने वाले या उसमें असफल हो जाने वाली संतानों के प्रति उनका रवैया बहुत कठोर होता है जो उनकी मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा असर डालता है.
हाँ ...कई बार हद से अधिक प्रेम करते उनकी जायज /नाजायज सभी माँगों को पूरा करते हर हालत में अपनी ही सुविधा चाहने वाला बना देने में भी माता पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है.
एक सत्य यह भी है कि कभी बुजुर्ग भी बहुत हठी होते हैं. तीन चार बेटे होने पर सिर्फ एक के प्रति झुकाव उन्हें दूसरों के प्रति अधिक कठोर बना देता है.
हर समय माता पिता के कदमों के नीचे जन्नत नहीं होती, कभी मर्मान्तक पीड़ा देते काँटे भी होते हैं जिससे लहुलुहान तन मन किसी अन्य को दिखा भी नहीं पाता और यह दर्द उनके माता पिता के बुजुर्ग होने पर उनके प्रति बच्चों के व्यवहार की नींंव रखता है.
हम लोग श्री राम को वनवास दिये जाने पर भी राम के व्यवहार का संदर्भ और उदाहरण पेश करते हैं मगर यह नहीं देखते किउस पिता के मन में अपनी संतान के प्रति कितना प्रेम रहा होगा जिसने अपने द्वारा किये अन्याय की ग्लानि में अपने प्राण ही त्याग दिये थे...
पूरे विश्व में ही कम उम्र या उम्रदराज उन अपराधियों की संख्या भी बढ़ रही है जिन्होंने अपने बुजुर्गों के ही नृशंस हमलावर हुए हैं.
एक चेतावनी है सभी माता पिता के लिए अपने व्यवहार के आकलन की......
हमारी संस्कृति में माता पिता के उच्चतम स्थान को ध्यान में रखते हुए अपनाते हुए हम इस दूसरे पहलू पर बात करने से आँख चुराते हैं ....अपने कमाने खाने के समय बेरोजगार बच्चों के प्रति , पढ़ने में फिसड्डी रहे, पुराने दकियानूसी विचारों से अलग हट कर जीवन जीने वाले , प्रेम विवाह करने वाले या उसमें असफल हो जाने वाली संतानों के प्रति उनका रवैया बहुत कठोर होता है जो उनकी मानसिक स्थिति पर बहुत बुरा असर डालता है.
हाँ ...कई बार हद से अधिक प्रेम करते उनकी जायज /नाजायज सभी माँगों को पूरा करते हर हालत में अपनी ही सुविधा चाहने वाला बना देने में भी माता पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है.
एक सत्य यह भी है कि कभी बुजुर्ग भी बहुत हठी होते हैं. तीन चार बेटे होने पर सिर्फ एक के प्रति झुकाव उन्हें दूसरों के प्रति अधिक कठोर बना देता है.
हर समय माता पिता के कदमों के नीचे जन्नत नहीं होती, कभी मर्मान्तक पीड़ा देते काँटे भी होते हैं जिससे लहुलुहान तन मन किसी अन्य को दिखा भी नहीं पाता और यह दर्द उनके माता पिता के बुजुर्ग होने पर उनके प्रति बच्चों के व्यवहार की नींंव रखता है.
हम लोग श्री राम को वनवास दिये जाने पर भी राम के व्यवहार का संदर्भ और उदाहरण पेश करते हैं मगर यह नहीं देखते किउस पिता के मन में अपनी संतान के प्रति कितना प्रेम रहा होगा जिसने अपने द्वारा किये अन्याय की ग्लानि में अपने प्राण ही त्याग दिये थे...
पूरे विश्व में ही कम उम्र या उम्रदराज उन अपराधियों की संख्या भी बढ़ रही है जिन्होंने अपने बुजुर्गों के ही नृशंस हमलावर हुए हैं.
एक चेतावनी है सभी माता पिता के लिए अपने व्यवहार के आकलन की......
बढ़िया पोस्ट और सुझाव ...
जवाब देंहटाएंसारा जीवन कटा भागते
तुमको नर्म बिछौना लाते
नींद तुम्हारी ना खुल जाए
पंखा झलते थे , सिरहाने
आज तुम्हारे कटु वचनों से,
मन कुछ डांवाडोल हुआ है !
अब लगता तेरे बिन मुझको, चलने का अभ्यास चाहिए !
आज लगभग ऐसे ही भाव लिये एक घटना मैंने भी पोस्ट की है अपने ब्लॉग पर!!
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 12जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआभार!
हटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंएक उपेक्षित बिषय को सारगर्भित बनाकर प्रस्तुत किया गया है। सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकवि ओम प्रकाश "आदित्य" के शब्दों में -
बचपन में खिलौने ,
जवानी में जोश ,
बुढ़ापे में धन ..... साथ देते हैं।
एक उपेक्षित बिषय को सारगर्भित बनाकर प्रस्तुत किया गया है। सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंकवि ओम प्रकाश "आदित्य" के शब्दों में -
बचपन में खिलौने ,
जवानी में जोश ,
बुढ़ापे में धन ..... साथ देते हैं।
बहुत चिंतन का विषय है -- आज जो वो हैं कल हम वही होंगे ये ना भूले ----------
जवाब देंहटाएंसच्चाई है यह भी,बुजुर्ग पीढ़ी को अपने व्यवहार को भी आँकना चाहिए । हर बार सिर्फ बच्चों की गलती नहीं होती।
जवाब देंहटाएंबहुत चिन्तनशील विशय. इससे कोई नहीं भाग सकता.
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