कल एक शोक सभा से लौटते हरियाणा के एक कथित बाबा (जो फिलहाल जेल में हैं) की शिष्या टकरा गईं. अपनी सखी को बाय/विदा/खुदा हाफिज़/राम राम/राधे राधे की बजाये सत् और जाने क्या बुदबुदाई.
इसी ने मुझे चौंकाया. मैंने पूछा अभी तुमने अभी क्या कहा .
वह फिर बुदबुदाई . मुझे फिर भी समझ नहीं आया तो विस्तार से बताने लगी.
हम फलाने गुरू की शिष्या हैं तो यही कहते हैं. हमारे गुरू की बातें सुनो आप. हम किसी भी भगवान को नहीं मानते, पूजा पाठ नहीं करते. अभी वहाँ पंडित जी जब श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी का नाम स्मरण करा रहे थे तब मैं अपनी माला जप रही थी. वो अपने परीचित हैं वरना ऐसे स्थान पर हमको इजाजत ही नहीं है बैठने की.
वो कह रहे थे व्रत करने को मगर शास्त्रों में गीता, बाईबिल, कुरान किसी में किसी में भी व्रत करने की, पूजा पाठ के लिए मना किया है. ये सब तो पंडितों का किया धरा है.
मैंने पूछा- अच्छा!!! चलो हिंदुओं का तो मान लिया तुम्हारे अनुसार पंडितों ने बेड़ा गर्क किया है. मगर बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम समुदाय तक भी थी पंडितों की पहुँच??
हमारे लिए हिंदू, मुस्लिम, ईसाई कुछ नहीं. सब एक प्रभु की संतान हैं. (बस पंडित ही उस प्रभु की संतान नहीं है, मैंने सोचा ).
ब्रह्मा/विष्णु/महेश सबका जन्म हुआ है. ईश्वर थो अजन्मा होता है.
हें... उनका जन्म हुआ था. यह तो मैंने पहली बार सुना किसी से. फिर भी चलो यह बताओ कि फिर तुम्हारी पूजा विधि क्या है, कैसे स्मरण करती हो ईश्वर को.
हम बस माला फेरते हैं गुरु का नाम लेते हैं. बीच में कबीर का भी नाम लिया .
मैंने पूछा- अच्छा!!! चलो हिंदुओं का तो मान लिया तुम्हारे अनुसार पंडितों ने बेड़ा गर्क किया है. मगर बौद्ध, ईसाई, मुस्लिम समुदाय तक भी थी पंडितों की पहुँच??
हमारे लिए हिंदू, मुस्लिम, ईसाई कुछ नहीं. सब एक प्रभु की संतान हैं. (बस पंडित ही उस प्रभु की संतान नहीं है, मैंने सोचा ).
ब्रह्मा/विष्णु/महेश सबका जन्म हुआ है. ईश्वर थो अजन्मा होता है.
हें... उनका जन्म हुआ था. यह तो मैंने पहली बार सुना किसी से. फिर भी चलो यह बताओ कि फिर तुम्हारी पूजा विधि क्या है, कैसे स्मरण करती हो ईश्वर को.
हम बस माला फेरते हैं गुरु का नाम लेते हैं. बीच में कबीर का भी नाम लिया .
मगर कबीर ने तो जन्म लिया था न...!
नहीं. वे सशरीर प्रकट हुए थे. आप अपना वाट्स नंबर दो. मैं सब भेजूँगी आपको .
देखो...मुझे यह सब जानने में रूचि नहीं है. हम लोग ऐसे किसी बाबा को नहींं मानते.
मैं भी नहींं मानती थी . मैंने सबको सुना . मुरारी बापू, आशाराम, राम रहीम मगर जब इनको सुना तो बस इनकी बातें सच्ची लगी. ये गुरू ही सच्चे हैं. सत् हैं. कोई बात नहीं. सब उस परमात्मा की संतान हैं.
(कितने रहस्य की परतें खुलनी बाकी हैंअभी , मैं मन में सोच रही थी 😂. हमसे तो जो हमारा ज्ञान है वही सँभल नहीं रहा . अतिरिक्त ज्ञान का क्या करेंगे. हमें माफ करो देवी)
जब प्रश्नकर्ता के किसी प्रश्न का जवाब तुम्हें नहीं पता तो उसे (कंफ्यूज) भ्रमित कर दो और फिर भी नहीं उलझे तो नंबर माँग लो, जबरदस्त प्रशिक्षण ( ट्रेनिंग ) हैं.
प्रकट में मैंने कहा - तुम्हारा आध्यात्मिक ज्ञान देखकर लग रहा शायद तुम प्रवचन करने भी जाती हो.
नहीं, हम क्यों जायेंगे प्रवचन करने. हम गृहस्थ हैं. मैं मैरिड हूँ पर हमको लिपस्टिक , नेलपेंट लगाना अलाउड नहीं है.
मैंने उसके चेहरे की ओर देखा. अच्छा! बिंदी लगाना भी नहीं होगा!
नहीं! उसकी मनाही नहीं है. अपनी मर्जी पर है.
अच्छा! क्यों मना है लिपस्टिक /नेलपेंट आदि.
छोड़िये. बहुत डिटेल में बताना पड़ेगा. आप अपना वाट्सएप नंबर दीजिए सब बता दूँगी.
वैसे सुना है उन बाबा के बारे में अभी जेल में हैं.
वे सब आरोपों से बरी होंगे.
एक अच्छी खासी पढ़ी लिखी, अपना व्यवसाय करने वाली कन्या की यह भक्ति अचंभित से ज्यादा भयभीत कर रही थी मुझे.
सबसे ज्यादा परेशान करनी वाली बात थी किसी भी प्रश्न
पर जवाब देते समय और उसकी बातों से असहमति जताने पर उसकी बॉडी लैंग्वेज, उसका उत्तेजित होना .
जाने ये तथाकथित बाबा लोग क्या विद्या जानते हैं!!!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (24-09-2018) को "गजल हो गयी पास" (चर्चा अंक-3104) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
आभार!🙏
हटाएंआभार!🙏
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