दोस्त दुश्मन में फर्क न कर सकें
ऐसे नादाँ भी हम नहीं
दोस्त छुप कर वार किया करते हैं
दुश्मन कलेजा चाक कर देगा ...ग़म नहीं
उस दिन मुंह फेर कर गया जब वो उदास लम्हा
मैं देर तक सोचती रही तन्हा...
लोग हंस कर मिलते हैं कलेजा छिल कर रख देते हैं
वोह तंज़ भी करता था तो मुस्कुराहटें भर देता था ...
वाह क्या लाजवाब बात कही है. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
राम राम !!
जवाब देंहटाएंdhanyawaad
natmastaka
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!! क्या बात है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंदोस्त दुश्मन के बारे में तुलसीदास जी कह गए हैं कि-
मिलत एक दारुण दुख देई बिछुरत एक प्राण हर लेई।