क्या आप जानते हैं ...अंग्रेज मासूम भारतीयों (पाकिस्तानी और बंगलादेशी भी गिन लीजिये ) पर पूरे 100 वर्षों तक निरंकुश शासन किस प्रकार कर पाए ...इस दौरान उनकी रणनीति क्या थी ...
भारत के इतने बड़े भू- भाग और जनता को गुलाम बनाये रखने के लिए अंग्रेजों ने एक ख़ास मूल मंत्र अपनाया था ...उनका मानना था ... " इनको भूखा रखो ...नंगा रखो ...बस इन्हे सम्मान दो ..." । उनकी शासन व्यवस्था को चलाने के लिए भेजे गए अफसरों को खास तौर पर इस रणनीति को अपनाने की ताकीद की जाती थी ....बाद के वर्षों में इसमे "फूट डालो राज्य करो" का मंत्र भी जुड़ गया था ...अब इतने लंबे अरसे तक गुलामी की बेड़ियों में जकडे रहे ....अंग्रेजों का नमक खाया ...तो कुछ न कुछ उनके गुणों (!!) का अवशेष तो हम भारतीयों में रहना स्वाभाविक ही है ...अब इसके पीछे किस वैज्ञानिक का कौन सा फार्मूला लगेगा ...ये बताने जितनी अपने शैक्षणिक योग्यता नही है ...ये आप स्वयं सोचें ...हो सके तो हमें भी बताएं ...
अंग्रेज चले गए ...अपनी अंग्रेजियत और निरंकुश शासन चलाने के ....निरीह जनता को वर्षों गुलाम बनाये रखने के अपने मूल मंत्र उपहार में हमें दे गए ...कालांतर में इनका उन्नयन होता गया और मंत्र जुड़ते गए ...कुछ मंत्रो की बानगी यहाँ है ....
बेशक घंटो बिजली कटौती करें दरें बढायें
कूलर एसी पर दाम घटाए
शिक्षा चिकित्सा गाँव गाँव उपलब्ध न हो
घर घर मोबाइल इन्टरनेट पहुंचाए
भले ही डीजल पेट्रोल के दाम बढायें
कारें मोटरसाईकिल सस्ती कराएँ
किसानों को देसी सस्ते बीज खाद पानी बिजली उपलब्ध ना हो
विदेशी कीटाणुनाशक बोरी भर सस्ती पहुंचाएं
कन्या भ्रूण हत्या पर रोक न लगा पायें
मिस इंडिया प्रतियोगिता जरुर कराएँ
आटा चीनी दाल राशन महंगा हो भले
सस्ती शराब जरुर उपलब्ध कराएँ
पंचायत नगरपालिका में अशिक्षित महिलाओं का प्रतिशत बढाये
प्रशिक्षित किरण बेदी को जबरन सेवानिवृति दिलाएं
भले लोकल बस मेट्रो के पास मंहगे कर दे
धार्मिक यात्रायें मुफ्त कराएँ
सैनिक रक्षा खर्चों में कटौती कर दे
सांसद विधायकों के भत्ते बढायें
पुलिस के लिए टूटी जिप्सी घटिया बाईक काफी हैं
जनता के नुमायिन्दों को लिमोजिन दिलवाएं
जनता की नब्ज दबाने को दिए हैं ये थोड़े से उपाय
कुछ अपना दिमाग दौडाएं
राजनैतिक दलों को और भी नए गुर सिखाएं
कुछ अपने भी विचार बताएं
आपके अनमोल विचारों और सुझावों का स्वागत और इंतज़ार है ....इनाम विनाम दिलाने जैसा हमारा आर्थिक स्तर नही है ...हम तो बस ये दुआ कर सकते हैं कि ....आपके उपायों और सुझावों पर राजनैतिक दलों की दृष्टि पड़ जाए ...शायद किसी दल के थिंक टैंक में आपका नाम जुड़ जाए...!!
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वाह वाह !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया रहा ...
बिलकुल सही बात कही है..
ये सब पढ़ कर तो अब पक्का हो गया है कि अंग्रेज अपनी कुछ औलादें यहाँ ज़रूर छोड़ गए हैं..और उनकी जड़ें राजनीति में खासी मज़बूत है..क्यूंकि सारे पैतारें तो वहीँ से चल रहे हैं...बहुत ही ज़बरदस्त लिखा है..
बहुत बहुत बधाई..
क्या कहें ,ये विडम्बनाएं ही हमारी दैनन्दिनी बन गयी हैं !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही सुझाव है।
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति बहुत बढ़िया है।
बधाई!
आपने सही कहा. परंतु आपको किसने कहा कि अब अंग्रेजों का शाशन नही है? पहले गोरी चमडी वाले अंग्रेज थे अब काली चमडी वाले अंग्रेज हैं जिनके चमचे अफ़सर राजकाज चलाते हैं एसी दफ़्तरों से, और गरीब किसान को बिजली नही है.
जवाब देंहटाएंऔर अब ग्लोबलाईजेशन के युग मे अंगरेजों ने दूसरे तरीके से राजकाज हथिया लिया है. अत: ये मत कहिये कि अंगरेजों का राज चला गया वर्ना ताऊ ओबामा नाराज हो जायेंगे.
रामराम.
बनाने के लिए इनको फिर से गुलाम
जवाब देंहटाएंज़श्ने आज़ादी में इनको भी बुलाते रहिए .
देखिये ये लोग तो नीद से जागने लगे हैं
रह-रह कर इन्हें सब्जबाग दिखाते रहिए
मानसिकता का सही न होना
जवाब देंहटाएंयह समझना कि जनता को क्या पता है
कैसी विडम्बना है
बस नजदीकी लाभ मिले खुद को
दूरदर्शिता से कोई सरोकार नहीं
क्यों कि खुद पर भरोसा ही नहीं ।
जबरदस्त तेवर ! आभार ।
sahi baat angrej chale gye par ghulami ka manter yahi chhodh gye...aap ki ye rachna bahut hi shandar hai...
जवाब देंहटाएंवाणी जी आप को इतनी अच्छी पोस्ट लिखने हेतू .......................अच्छी ही नहीं अपितु निहायत ज़रूरी ......................और ज़रूरी मुझ जैसे अदने से इंसान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक ................बधाई ................अभी प्रधानमंत्री ऑफिस को मेल कर रहा हूँ आपकी पोस्ट आपके नाम से ...................और बता रहा हूँ नव रात्र में बहुत गुस्से में हैं नारी ................ज़ल्दी से कर लो पीटने कि तैयारी .............
जवाब देंहटाएंवाणी जी आप को इतनी अच्छी पोस्ट लिखने हेतू .......................अच्छी ही नहीं अपितु निहायत ज़रूरी ......................और ज़रूरी मुझ जैसे अदने से इंसान से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक ................बधाई ................अभी प्रधानमंत्री ऑफिस को मेल कर रहा हूँ आपकी पोस्ट आपके नाम से ...................और बता रहा हूँ नव रात्र में बहुत गुस्से में हैं नारी ................ज़ल्दी से कर लो पीटने कि तैयारी .............
जवाब देंहटाएंसोचने के लिये अहम मुद्दा देती पोस्ट!
जवाब देंहटाएंइस समय समाज में जितनी कॉण्ट्रेरियन सोच का दबदबा है, उतना शायद पहले न रहा हो। और तथाकथित शिक्षा से आदमी साक्षर हुआ है। बुद्धिमान नहीं।
बिलकुल सही लिखा, होना इस से उलटा चहिये, खाने की चीजे सस्ती हो, शिक्षा मुफ़त हो. चिकित्सा मुफ़त हो बाकी ऎश का समान मंहगा हो जनता खुश रहेगी, हमारे यहं ऎसा ही है.
जवाब देंहटाएंआप ने लोगो की आंखे खोलने वाला लेख लिखा है.
धन्यवाद
di .......... yeh to bahut hi badhiya likha hai aapne.......... is rachna ki jitni taareef ki jaye kam hai..........
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक लिखा है जी एक एक मुद्दा सही बैठता है
जवाब देंहटाएंशायद कुछ इसी तरह करीब एक साल पहले मैंने भी लिखा था
एक राहगीर अमराई में, आम ढूंड रहा था
एक शिक्षक कक्षा में, खास ढूंड रहा था
आम तो दलालों ने पकने रख दिए ,
और खास तो मोबाइल में व्यस्त हो गए|
एक मचुअरा तालाब में मछली ढूंड रहा था
एक पंडित मन्दिर में मूर्ति ढूंड रहा था,
तालाब की मछली ठेकेदार ले गए
और मन्दिर की मूर्ति विढेशी ले गए |
एक धार्मिक सत्संग में धर्म खोज रहा था
एक भूखा लंगर में रोटी खोज रहा था,
धर्म तो प्रवचन और कथाओं में घूम हो गया
रोटी तो चलते चलते दिल्ली पहुँच गई |
एक साधू जंगल में में शान्ति ढूंढ़ रहा था
और में टीवी समाचार में , समाचार खोज रही थी,
साधू की शान्ति तोह पर्यटक ले गए
और मैं समाचार सुनकर मुर्छित हो गई||
शोभना
भाव और भावना से ही उपजते हैं न ये विचार ?
जवाब देंहटाएंप्रविष्टि ने दृष्टि भी दी और दिशा भी । आभार ।
बहूत ही अच्छा लिखा है ..... सामयिक है आपकी रचना ....
जवाब देंहटाएंआज के हालत पर सटीक टिप्पणी है आपकी कविता ..
Lajwaab likhti hain ....!!
जवाब देंहटाएंइष्टमित्रों और परिवार सहित आपको, दशहरे की घणी रामराम.
जवाब देंहटाएंरामराम.