गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009
अब जो आओ बापू ..!!
देश में जो हाहाकार मची है
मारकाट चीखपुकार मची है
टुकड़े टुकड़े हो जाए ना
आर्यावर्त कहीं खो जाए ना
जाति पांति की हाट सजी है
मजहब की दीवार चुनी है
स्वतंत्रता कहीं बिक जाए ना
देश मेरा खो जाए ना
जाति धर्म प्रान्त भाषा कुर्सी की यह जंग देश को अनगिनत सूबों में बदल जायेगी
फिर कोई ईस्ट इंडिया कंपनी व्यापार के बहाने हम पर हुकूमत चलाएगी
नींद से जागेंगे जब हम भारतवासी फिर बापू तुम याद आओगे
इस देश में बापू तब ही तुम फिर से पूजे जाओगे
आर्त्र पुकार सुनकर तुम कही घबराओगे
पुनर्जन्म पाकर जो फिर से लौट आओगे
स्वदेश की अलख फिर से जगाओगे
फिर से राष्ट्रपिता की पदवी पा जाओगे
सच कहती हूँ बापू तुम फिर से पूजे जाओगे
पर अब जो आओ बापू
मत आना इनके झांसे में
ना शामिल होना इनके तमाशे में
सलाह मेरी पर ध्यान धरना
तीन बन्दर जरुर साथ रखना
पर पहले की तरह ये मत कहना
बुरा मत देखो बुरा मत कहो बुरा मत सहो
इस बार अपना संदेश बदलना
आँख कान मुंह हमेशा बंद ही रखना
स्वदेश मंत्र को हाशिये पर रखना
सत्ता जंतर का पूरा स्वाद चखना
भावुकता के पचडे में मत पड़ना
हाथ जोड़ कर विनम्रता से कहना
राष्ट्रपिता के पद का मुझे क्या है करना
मेरी झोली तो तुम छोटे से मंत्री पद से भरना
पाँच वर्षों में ही झोली इतनी भर जायेगी
सात न सही चार पीढियां तो तर ही जायेंगी
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Vaani ji,
जवाब देंहटाएंis baar Babu ji ki vishesh salahkaar aapko hi niyukt kiya jaayega...
hahahaha
Jokes aprat.... aaj jo khasta halat hain uske madde nazar aapki kavita ke tewar dekhte hi banta hai..
bahut hi dhaardaar hai yah kataksh..
sach kahti hun padh kar hriday dravit bhi hua hai aur vidrup si hansi bhi aayi hain..
bahut bahut dhanyawaad aisi teekhee rachna padhwaane ke liye..
सुन्दर रचना -मगर क्या बापू भी संभाल पायेगे आज का खटराग ?
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर -- एक प्रश्न मेरा भी बापू से
जवाब देंहटाएंपर बापू जब तुम आओगे
अपनी कुटिया कहाँ बनाओगे
सोच के आना क्या तुम
चौराहे पर बस पाओगे?
बेहद प्रासंगिक रचना । जयंती पर बापू का पुण्य स्मरण ।
जवाब देंहटाएंपर क्या बापू वर्तमान भ्रमित सत्य का ये नवप्रयोग कर इसके भ्रम से भ्रमित हो पायेंगें, त्यागी को मोह माया, पद-पदवी कुछ नहीं बांध सकता, वह जो देखता और सही समझता है वही करता है और यदि दुनिया न करने दे तो प्रकृति की गोद में असंख्य शांति-प्रिय जगह है, जहाँ पर भज प्यारे तू राजा राम किया जा सकता है.......
जवाब देंहटाएंगाँधी जी की जयंती पर हमारी शुभकामनाएं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
आज का युग धर्म और गांधी जी
जवाब देंहटाएंशायद मेल न खाये
क्योंकि
अब तो एक बात के अनेकों विमर्श हैं ।
रचना बेहतर रही ।
आभार ।
देश के दो लाल...एक सत्य का सिपाही...दूसरा ईमानदारी का पुतला...लेकिन अगर आज गांधी जी होते तो देश की हालत देखकर बस यही कहते...हे राम...दूसरी ओर जय जवान, जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी भी आज होते तो उन्हें अपना नारा इस रूप मे नज़र आता...सौ मे से 95 बेईमान, फिर भी मेरा भारत महान...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंआज बापू जी हमारे बीच में नही हैं।
बापू को याद करना बहुत अच्छा लगा. आज के खटराग पर क्या कहें ? हम भी दुखित हैं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
vaani
जवाब देंहटाएंnamaskar
2oct ke din aapka ye geeet mahatma per samsamyik v sahaj laga ....aapka ye kehna ki ab jo aaoo bapu to enke jaashe mein ab mat padna ...wah ....asha hai ki hum sabhi bapu ke aadarsho per chal ker ahimsa ke sahare ek behtreen duniya bana paayenge....
bapu ji puje to jayenge..magar unki sunega koun sirf apni demand rakhi jati hai...suni nahi jati....ik achhi rachna...
जवाब देंहटाएंबापू को समर्पित इस कविता में जो व्यंग्य की धार आपने रखी है, प्रशंसनीय है. कविता पर आपने काफी मेहनत की है, यह कविता पढ़ने से ही ज्ञात हो जाता है. ईस्ट इंडिया कंपनी रो अकेले आई थी, अब तो जाने कितनी कम्पनियां मिलकर इस देश को गुलामी की तरफ ले जाने की कोशिश में हैं और हमारे जनसेवक कहे जाने वाले शासक उनके इस कृत्य में सहायता प्रदान कर रहे है.
जवाब देंहटाएंएक सशक्त रचना के लिए बधाई.
bahut sundar racha likhi hai aapne ......
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna..................
जवाब देंहटाएं@ टुकड़े टुकड़े हो जाए ना।
जवाब देंहटाएंगान्धी के रहते ही देश टुकड़े टुकड़े हुआ था - सिपहसालारों की सत्ता लिप्सा और मज़हबी गुण्डागर्दी के आगे आत्मसमर्पण के कारण।
आवश्यकता है कि उस समय की भूलों से सबक लिया जाय और उन्हें न दुहराया जाय।
कविता बहुत सुंदर कही, लेकिन आज के शेतान गांधी बाबा के बस के नही, इन्हे सुधारने के लिये नेता जी सुभाष चंन्दर, भगत सिंह, ओर सरदार पटेल वा लाला लाज पतराय ओर लाल बहादुर जेसे बहादुर चाहिये, जिन के हाथ मे डंडा हो, दिखाने वाला नही मारने वाला, बापू को तो नेहरु के संग ही आराम करने दो, कहां बुढापे मै आयेगे.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
महात्मा सिर्फ एक बार आते हैं ।
जवाब देंहटाएंek bharpoor aur saarthak rachnaa
जवाब देंहटाएंitihaas ke pannoN ko chhooti hui
jan-jaagran ka parcham lehraati hui
badhaaee svikaareiN
aur....
Shard Kokaas ji ke vichaar
mn-neey haiN.....
---MUFLIS---
बापू बहुत प्रासंगिक हैं। जब अंधेरा हो घना, तभी दिये की उपयोगिता है!
जवाब देंहटाएंbhaavsampanna rachanaa ke liye badhaaee
जवाब देंहटाएंDi...aapne bahut hi praasangik llikha hai......
जवाब देंहटाएंna aana ab tum inke jhaanse mein...... wah!kya khoob kahi aapne......
haan! peedhiyan to tar hi hi jayengi......
vvvएक जागरूक नागरिक की अभिव्यक्ति है यह रचना प्रशंसनीय है ।
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