( दिवाली मीरा की )
एक दिया धरा देहरी पर
एक धरा पीपल की छाँवएक धरा तुलसी के बिरवे
जहाँ मोरे कान्हा का ठाँवतन दीपक मन बाती बारी
सज सोलह सीण्गारखड़ी चौखट पर पंथ निहारु
कब आओगे द्वार ...!!अरज सुणो सरकार...!!
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वाह जी, बहुत बढ़िया!!
जवाब देंहटाएंदिवाली की शुभकामनाएँ.
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
जवाब देंहटाएंदीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
bahut sunder
जवाब देंहटाएंतन दीपक मन बाती बारी
जवाब देंहटाएंसज सोलह सीण्गार
खडी चौखट पर पंथ निहारूं
कब आवोगे द्वार...!!
सुंदरतम प्रार्थना. शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत सुंदर पुकार,
जवाब देंहटाएंआप का धन्यवाद
"तन दीपक मन बाती बारी ..."
जवाब देंहटाएंबेहद भावपूर्ण । धन्यवाद ।
सुन्दर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंइस रचना ने मन मोह लिया।
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंइतनी निश्छल सरलता को सरकार जरूर सुनते हैं। गीता में आश्वासन भी दिया है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है।
जवाब देंहटाएंगोवर्धन-पूजा
और भइया-दूज की शुभकामनाएँ!
एक दीया धरा देहरी पर
जवाब देंहटाएंएक धरा पीपल की छाँव
एक धरा तुलसी के बिरवे
जहां मोरे कान्हां का ठांव
वाह...वाह....मीरा की इन पंक्तिओं ने मोहित कर लिया .....!!
मीरा की दीवाली तो तभी होगी जब श्याम आयेंगे ।
जवाब देंहटाएंअजी अगर आप ऐसे बुलाएँगी तो सरकार का दीमाग ख़राब है जो नहीं आयेंगे....अरे आना ही पडेंगा ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही लुभावनी लगी आपकी कविता..
बधाई...
भावुकता से युक्त सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंविरह में जो गहराई है वह आसक्ति में नहीं ।
जवाब देंहटाएंआग्रह भाव ही सर्वस्व का मूल है ।
द्वापर में ले जाने के लिये आभार ।
भावपूर्ण शब्द रचना, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति बधाई ।
जवाब देंहटाएं"तम दीपक मन बाती बारी / सज सोलह सिण्गार"
जवाब देंहटाएं...आह!
Kitnee mithaas hai, geet aur iskee bhashame...gun gunate hue padha....apneeaa ko zaroor padhake suaungee...
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंthnaks for reminding past. Sudarshan Joshi
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं!
araj suno sarkaar:)
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