शहर में है दावानल.... पूछा
लपटों का बवाल भी पूछा
वाशिंदों का मिजाज़ भी पूछा
इत्लाफ़ का हिसाब भी पूछा
धुंधलाया था क्या चाँद भी पूछा
धुआं धुआं था आसमां भी पूछा
ज़हर था फिजाओ में पूछा
पशेमां था खतावार पूछा
सब पूछा
बस ...
मुझसे मेरा हाल ही ना पूछा ...!!
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जी वाणी जी..
जवाब देंहटाएंकोई बता रहा था के बड़ी भयानक आग लगी है...
सच में ये दिवाली काफी कुछ ख़ाक में मिला गयी...
होली... दिवाली
जवाब देंहटाएंदोनों ही त्यौहार कम खतरनाक नहीं होते वाणी जी..
खता माफ़ ,बताईये न कैसी हैं आप ?
जवाब देंहटाएंkamaal ki nazm hai Vaani ji..
जवाब देंहटाएंJai Hind
वाणी जी क्या हाल है आपके कविता सुंदर है पर बडी मायूसी भरी । जल्द ही दावानल ठंडे हों, आसमान साफ हो चांद अपने निखार पर हो आदि शुभकामनाओं के साथ ।
जवाब देंहटाएंवाणी,
जवाब देंहटाएंझूठ क्यों बोलती है री....!
मैंने पूछा है..सबकुछ....!!
ये बहुत ही दुखद घटना घटित हुई है.....बहुत बड़ी क्षति हुई है ...जिसका घाव धीरे-धीरे ही भरेगा ....
लेकिन हम आपसे हर दिन आपका हाल पूछते रहेंगे...वादा करते हैं.....
काव्यात्मक प्रस्तुति अतिसुन्दर...भावपूर्ण है..
@मनु जी...
जहाँ दीवाली सौभाग्य लेकर आती है वही कभी-कभी दुर्भाग्य भी लाती है....हर साल न जाने कितने घर जाल कर राख हो जाते हैं...
बहुत दुखद होता है यह...लेकिन शायद नियति को यही मंजूर हो....
बस परम पिता परमेश्वर से इसे झेल जाने के लए प्रार्थना करते हैं...
अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंdi........ bahut hi achchi kavita...samvednapoorn....
जवाब देंहटाएंdi........... itlaaf ka matlab kya hota hai?
बहुत सामयिक।
जवाब देंहटाएंsab puchha par mujhse mera haal na puchha...kaise kat rahi hai ik baar na puchha.....
जवाब देंहटाएंजान की अमान हो तो आपकी खैरियत पूछ लूं।
जवाब देंहटाएं--------
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।
@ महफूज अली
जवाब देंहटाएंशायद अत्लाफ का मतलब नुक्सान होता है ...अगर गलत हो तो बता देना ..सही कर दूंगी ..dhanywaad
बहुत ही दुखद है. एक सामयिक और सटीक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत अफ़सो्सजनक
जवाब देंहटाएंबहुत ही नजाकत से शिकायत भी आप करती है ..........बहुत ही खुबसूरत रचना!
जवाब देंहटाएंयह कविता आज के सम्बंधों की एक जीवंत दास्तान की तरह है। बधाई।
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।
दावानल हर तरफ पुरजोर है.......हाल पूछने को कोई हमनवां ना रहा
जवाब देंहटाएंrachna ne ek achoote lamhon ko chuaa hai .... aksar roshni mein doob kar log daavanal ko nahi yaad karte ..... bhaavok rachna hai ....
जवाब देंहटाएंvani ji, excellent poet
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने
जवाब देंहटाएंसच ही है हाल बताने वाले का हाल अक्सर लोग भूल जाते है.
महाभारत का संजय भी व्यथित हुआ होगा कभी न कभी किसी न किसी घटना या प्रसंग पर
कैसी हैं आप?
हमने जो पूछा उनका हाल
जवाब देंहटाएंदेखा किए वे कहर का सामान।
गुम थे सुम थे
लौट आए हम
फिर सुलगते रह गए अरमान।
bahut sundar :) :)
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachna hai
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