कल मिथिलेश से बातचीत में जब उसे अपनी उम्र बताई (हालाँकि मैंने कभी कोशिश नहीं कि है अपनी वास्तविक उम्र छिपाने की ...मेरे ऑरकुट और फेसबुक अकाउंट में बाकायदा जन्मतिथि अंकित है ) तब से ही मस्तिष्क लगातार चिंतन मनन कर रहा है ...वास्तव में उम्र तो काफी हो गयी है ... मानो या मत मानो ...उम्र तेजी से रेत की तरह हाथ से फिसलती जाती है ...खतरा होने पर बिल्ली की तरह आँख मूँद कर बैठने से तो खतरा टलता नहीं ...इसलिए हम भी बढती उम्र के इस सच को साहस से स्वीकार कर लेते हैं ...
वृद्धजन पर छाई लरिकाई है ...को तो जैसे तैसे अनदेखा कर भी दिया मगर जब अदाजी ने भी " बूढ़ भाई हैं हम बेचारी " कहकर स्वीकार कर ही लिया है तो इस सच्चाई को स्वीकार कर लेने में ही भलाई नजर आ रही है ...उम्र के पड़ावों को गिनते हुए अफ़सोस गहराता जा रहा है ....उफ़...इतनी उम्र हो गयी ...कोई तमगा हासिल नहीं किया ....पहुँच गयी श्रीमानजी के पास ...जो रात का खाना खाने के बाद चश्मा लगाये कल्याण का जीवनचर्या अंक पढ़ रहे थे (ज्यादातर मैं ही पढ़ती हूँ )...इसमें विभिन्न ऋषियों और ऋषिपत्नियों (महर्षि अगत्स्य और महादेवी लोपामुद्रा,महर्षि गौतम और महादेवी अहिल्य आदि )की जीवनचर्या का उल्लेख करते हुए गृहस्थों को अपने जीवन को सदाचार के साथ बीतने के दिशा निर्देश दिए गए हैं ...
मैंने बात बढ़ाते हुए कहा ... " ओ जी ...कई दिनों से मन में आ रहा है कि कभी कोई मेडल नहीं मिला जिंदगी में ...और ये जिंदगी तो भागी जा रही है ...क्यों नहीं आप ही दे देते हैं सद गृहस्थन का मेडल ..."
चश्मे से घूरते हुए श्रीमान बोल उठे ...." ठीक है ...इस अंक में महादेवी लोपामुद्रा के सद्गुणों का वर्णन है ...तुलना कर के देख लेता हूँ ... "
अँधा क्या चाहे दो ऑंखें ...हम भी साथ साथ पढना शुरू कर दिए...
बृहस्पति महाराज ने महादेवी लोपामुद्रा की प्रशंसा करते हुए ऋषि अगत्स्य से कहा ...
" आपके भोजन का लेने पर ये अन्न ग्रहण करती हैं , जब आप खड़े होते हैं ये बैठी नहीं रहती , आपके सो जाने पर सोती हैं और आपके जागने से पहले जाग जाती हैं , आपके आयु बढे इसलिए आपका नाम अपने जिव्हा पर नहीं लाती , ये कभी घर के द्वार पर देर तक खड़े नहीं रहती , स्वामी के भोजन से बचे हए अन्न और फल आदि को वे स्वयं ग्रहण करती हैं , गृहकार्य में कुशल हैं , सदा उत्साहयुक्त और प्रसन्न रहती हैं , अधिक खर्च नहीं करती , आपकी आज्ञा के बिना कोई व्रत-उपवास नहीं करती , जहाँ अधिक जान समुदाय जुटा हो , ऐसे उत्सव को देखने से दूर रहती हैं , पति की आज्ञा के बिना तीर्थों में भी नहीं जाती , विवोहोत्सव देखने की इच्छा नहीं करती , जब पतिदेवता सुखपूर्वक सोये , बैठे अथवा आराम करते रहते हैं , उस समय अत्यंत आवश्यक कार्य होने पर भी ये पति को नहीं उठाती , ओखली, मूसल , झाड़ू , सिल और देहली आदि पर कभी नहीं बैठती , घर में घी , नमक , तेल आदि समाप्त हो जाने पर पतिव्रता स्त्री सहसा यह न कहती कि ये वस्तुएं नहीं हैं ....
दिल ख़ुशी से बल्लियों उछला जा रहा था कि आज तो मेडल मिल कर रहेगा ...कोई पानी हाथ में देकर कसम खिला ले हमारे पतिदेव से ...खड़े खड़े ही प्राण त्याग दे यदि ये गुण हम में ना हो तो ....
कि तभी पतिदेव अचानक पढ़ते पढ़ते रुक गए और मंद मंद मुस्कुराने लगे ....गर्दन हिलाते हुए बोले ..." भूल जाओ मेडल , होपलेस केस है तुम्हारा " ....
इस तरह अचानक ब्रेक लगते देख भी हम निराश नहीं ये ..." क्या कहते हो जी , ये सब गुण तो हममे है , आप इंकार कैसे कर सकते हो "
" हाँ ...बस यहीं तक के गुण मिलते हैं ...आगे ...?" उनके प्रश्नवाचक निगाहे तीर की तरह जा गडी ...
" क्या है जरा मैं भी तो देखूं ...." मैंने आगे पढना शुरू किया " स्त्रियों के लिए श्रेष्ठ नियम बताया गया है कि वह स्वामी के चरणों की पूजा करके भोजन करे " ...हम अटकने लगे ..." साल में 4-5 बार(चौथ व्रत और दिवाली )हमारे चरण छू लेती हैं आप वो भी इस तरह जैसे चिकोटी काट रही हो ...पूजन तो खैर संभव ही नहीं है "
आगे पढना शुरू किया ..." यदि पति कोई कड़ी बात कह दे तो भी ये उसका उत्तर नहीं देती , उनके दंड देने पर ये प्रसन्न ही होती हैं , रंज अथवा बुरा नहीं मानती ... बस ..." अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ ...दिमाग खिसकने लगा ...
..." अभी तो महर्षि गौतम और देवी अहिल्या की जीवन चर्या पढनी बाकी है ...शायद आपको कुछ आशा वहां से मिल जाए ..." भाव भंगिमा बदलते देख आग उगलती हमारी नजरों से बचने के लिए चश्मा चढाते हुए पतिदेव बोल उठे ...
दिमाग भन्ना गया हमारा तो ..." उनके दंड देने पर प्रसन्न हो ले ...ये क्या बात हुई ...रहने दीजिये ...हमको नहीं चाहिए कोई मेडल आपसे ..." कहते हुए पुस्तक उनके हाथ में थमा दी ...
अभी भी हिम्मत हारने जैसी बात कहा थी ...टीवी पर मिसेज इंडिया प्रतियोगिता का ऐलान किया जा रहा था ... अदिति गोवित्रिकर का हवाला देते हम भी इस प्रतियोगिता पर गौर करते ही कि पहले कदम पर ही कद के मामले में सूई अटक गयी ....चलो जाने दो ...ख़ूबसूरती ना सही ...अभिनय का पुरस्कार तो मिलेगा ही ... जिसमे हर भारतीय मध्यमवर्गीय गृहिणी निपुण होती है ...वे सारी जिंदगी इसके अलावा और करती क्या हैं ...
घर में अचानक मेहमान आ जाये , चाय बनाने का मन नहीं हो तो झट " दूध फट गया ...पता नहीं आजकल कैसा दूध आ रहा है "
बढ़ते हुए बजट को काबू में करने के लिए कई जरुरी चीजों पर कटौती करते हुए इन्हें यह कहते हुए अक्सर सुना जा सकता है ..." इनको और बच्चों को तो ये सब बिलकुल पसंद ही नहीं है (मसलन महंगे होटल में खाना खाना , माल में मूवी देखने जाना आदि आदि ) ...
ननद या बहन का बेटा क्रिकेट का जौहर दिखाते हुए खिडकियों के शीशे तोड़ जाए तो अन्दर ही अन्दर जलते भुनते (कर दिया इतना नुकसान ..अपने खुद के घर में तो खरोंच भी नहीं आने दे )ऊपर से मुस्कुराते " अरे .. बच्चे तो ऐसे ही करते हैं शरारतें ..कोई बात नहीं " कितने नमूने गिनों उनके अभिनय के ....अनगिन ...
मगर कहाँ ....अभिनय के पुरस्कार की लाइन में भी हम मात ही खा गए ...देखे अपने आस पास नजर घुमा कर तो एक से एक अभिनेत्रियाँ भरी पड़ी है ...कई तो बाकायदा अभिनय कक्षा से प्रशिक्षित हो कर आई हैं ....
तभी कही पता चला कि ब्लॉग लेखन में भी मेडल मिलता है ....अब यहाँ बौद्धिक लोगों की आभासी दुनिया में पर रंग रूप कद कोई मायने नहीं रखता इसलिए अपने लिए अपार सम्भावना देख कूद पड़े मैदान में .....मगर ये क्या ...मुंड मुंडाते ही ओले पड़े ....सब एक से एक ज्ञानी ...फिर भी हम कौन इतना आसानी से मैदान छोड़ने वालों में से थे ..." कुछ बात हम ही में है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ..
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा "
बिना विदुषी हुए जो भी उल्टा पुल्टा आता था ...कहानी , कविता , संस्मरण , लेख सब लिख दिए ....मगर अभी मेडल प्राप्त करने के लिए बहुत मुकाम तय करने हैं ...पहले तो तस्वीर होनी चाहिए पर ( यहाँ भी मुंह देख कर तिलक निकाला जाएगा ...पता नहीं था )...और सबसे जरुरी रूग्ण स्त्रैणता / स्त्रियोचित मानसिक रुग्णता (?)नहीं होनी चाहिए ...मतलब रामचरितमानस के पाठ के साथ यहाँ वहां दिए गए लिंक में झाँकने की हिम्मत भी होनी चाहिए ...हाँ ...ये मध्यमवर्गीय रुग्णता तो हो सकती है ...और होगी क्यों नही ...हैं ही मध्यमवर्गीय ....क्यों नाहक भ्रम पाले ....यह रुग्णता सिर्फ और सिर्फ स्वयं की खिंची हुई लक्ष्मण रेखा को स्वीकार करती है ...दूसरों की बनाई हुए रेखाओं को नहीं ... इसलिए यहाँ भी कोई मेडल मिलने की संभावना दूर दूर तक नजर नहीं आ रही ....
एक अदाजी से थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि देर सबेर कोई मेडल दे ही देंगी मगर उनके साहित्य पुरस्कारों की आवश्यक शर्तें देखकर आखिरी उम्मीद भी समाप्त हो गयी ....
चलिए... मत दीजिये कोई मेडल ...
बधाई तो दे ही दीजिये ....खिंच खांच कर 100 पोस्ट लिख दिए हैं ....
अग्रिम आभार ....
......................................................................................................................................................
वृद्धजन पर छाई लरिकाई है ...को तो जैसे तैसे अनदेखा कर भी दिया मगर जब अदाजी ने भी " बूढ़ भाई हैं हम बेचारी " कहकर स्वीकार कर ही लिया है तो इस सच्चाई को स्वीकार कर लेने में ही भलाई नजर आ रही है ...उम्र के पड़ावों को गिनते हुए अफ़सोस गहराता जा रहा है ....उफ़...इतनी उम्र हो गयी ...कोई तमगा हासिल नहीं किया ....पहुँच गयी श्रीमानजी के पास ...जो रात का खाना खाने के बाद चश्मा लगाये कल्याण का जीवनचर्या अंक पढ़ रहे थे (ज्यादातर मैं ही पढ़ती हूँ )...इसमें विभिन्न ऋषियों और ऋषिपत्नियों (महर्षि अगत्स्य और महादेवी लोपामुद्रा,महर्षि गौतम और महादेवी अहिल्य आदि )की जीवनचर्या का उल्लेख करते हुए गृहस्थों को अपने जीवन को सदाचार के साथ बीतने के दिशा निर्देश दिए गए हैं ...
मैंने बात बढ़ाते हुए कहा ... " ओ जी ...कई दिनों से मन में आ रहा है कि कभी कोई मेडल नहीं मिला जिंदगी में ...और ये जिंदगी तो भागी जा रही है ...क्यों नहीं आप ही दे देते हैं सद गृहस्थन का मेडल ..."
चश्मे से घूरते हुए श्रीमान बोल उठे ...." ठीक है ...इस अंक में महादेवी लोपामुद्रा के सद्गुणों का वर्णन है ...तुलना कर के देख लेता हूँ ... "
अँधा क्या चाहे दो ऑंखें ...हम भी साथ साथ पढना शुरू कर दिए...
बृहस्पति महाराज ने महादेवी लोपामुद्रा की प्रशंसा करते हुए ऋषि अगत्स्य से कहा ...
" आपके भोजन का लेने पर ये अन्न ग्रहण करती हैं , जब आप खड़े होते हैं ये बैठी नहीं रहती , आपके सो जाने पर सोती हैं और आपके जागने से पहले जाग जाती हैं , आपके आयु बढे इसलिए आपका नाम अपने जिव्हा पर नहीं लाती , ये कभी घर के द्वार पर देर तक खड़े नहीं रहती , स्वामी के भोजन से बचे हए अन्न और फल आदि को वे स्वयं ग्रहण करती हैं , गृहकार्य में कुशल हैं , सदा उत्साहयुक्त और प्रसन्न रहती हैं , अधिक खर्च नहीं करती , आपकी आज्ञा के बिना कोई व्रत-उपवास नहीं करती , जहाँ अधिक जान समुदाय जुटा हो , ऐसे उत्सव को देखने से दूर रहती हैं , पति की आज्ञा के बिना तीर्थों में भी नहीं जाती , विवोहोत्सव देखने की इच्छा नहीं करती , जब पतिदेवता सुखपूर्वक सोये , बैठे अथवा आराम करते रहते हैं , उस समय अत्यंत आवश्यक कार्य होने पर भी ये पति को नहीं उठाती , ओखली, मूसल , झाड़ू , सिल और देहली आदि पर कभी नहीं बैठती , घर में घी , नमक , तेल आदि समाप्त हो जाने पर पतिव्रता स्त्री सहसा यह न कहती कि ये वस्तुएं नहीं हैं ....
दिल ख़ुशी से बल्लियों उछला जा रहा था कि आज तो मेडल मिल कर रहेगा ...कोई पानी हाथ में देकर कसम खिला ले हमारे पतिदेव से ...खड़े खड़े ही प्राण त्याग दे यदि ये गुण हम में ना हो तो ....
कि तभी पतिदेव अचानक पढ़ते पढ़ते रुक गए और मंद मंद मुस्कुराने लगे ....गर्दन हिलाते हुए बोले ..." भूल जाओ मेडल , होपलेस केस है तुम्हारा " ....
इस तरह अचानक ब्रेक लगते देख भी हम निराश नहीं ये ..." क्या कहते हो जी , ये सब गुण तो हममे है , आप इंकार कैसे कर सकते हो "
" हाँ ...बस यहीं तक के गुण मिलते हैं ...आगे ...?" उनके प्रश्नवाचक निगाहे तीर की तरह जा गडी ...
" क्या है जरा मैं भी तो देखूं ...." मैंने आगे पढना शुरू किया " स्त्रियों के लिए श्रेष्ठ नियम बताया गया है कि वह स्वामी के चरणों की पूजा करके भोजन करे " ...हम अटकने लगे ..." साल में 4-5 बार(चौथ व्रत और दिवाली )हमारे चरण छू लेती हैं आप वो भी इस तरह जैसे चिकोटी काट रही हो ...पूजन तो खैर संभव ही नहीं है "
आगे पढना शुरू किया ..." यदि पति कोई कड़ी बात कह दे तो भी ये उसका उत्तर नहीं देती , उनके दंड देने पर ये प्रसन्न ही होती हैं , रंज अथवा बुरा नहीं मानती ... बस ..." अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ ...दिमाग खिसकने लगा ...
..." अभी तो महर्षि गौतम और देवी अहिल्या की जीवन चर्या पढनी बाकी है ...शायद आपको कुछ आशा वहां से मिल जाए ..." भाव भंगिमा बदलते देख आग उगलती हमारी नजरों से बचने के लिए चश्मा चढाते हुए पतिदेव बोल उठे ...
दिमाग भन्ना गया हमारा तो ..." उनके दंड देने पर प्रसन्न हो ले ...ये क्या बात हुई ...रहने दीजिये ...हमको नहीं चाहिए कोई मेडल आपसे ..." कहते हुए पुस्तक उनके हाथ में थमा दी ...
अभी भी हिम्मत हारने जैसी बात कहा थी ...टीवी पर मिसेज इंडिया प्रतियोगिता का ऐलान किया जा रहा था ... अदिति गोवित्रिकर का हवाला देते हम भी इस प्रतियोगिता पर गौर करते ही कि पहले कदम पर ही कद के मामले में सूई अटक गयी ....चलो जाने दो ...ख़ूबसूरती ना सही ...अभिनय का पुरस्कार तो मिलेगा ही ... जिसमे हर भारतीय मध्यमवर्गीय गृहिणी निपुण होती है ...वे सारी जिंदगी इसके अलावा और करती क्या हैं ...
घर में अचानक मेहमान आ जाये , चाय बनाने का मन नहीं हो तो झट " दूध फट गया ...पता नहीं आजकल कैसा दूध आ रहा है "
बढ़ते हुए बजट को काबू में करने के लिए कई जरुरी चीजों पर कटौती करते हुए इन्हें यह कहते हुए अक्सर सुना जा सकता है ..." इनको और बच्चों को तो ये सब बिलकुल पसंद ही नहीं है (मसलन महंगे होटल में खाना खाना , माल में मूवी देखने जाना आदि आदि ) ...
ननद या बहन का बेटा क्रिकेट का जौहर दिखाते हुए खिडकियों के शीशे तोड़ जाए तो अन्दर ही अन्दर जलते भुनते (कर दिया इतना नुकसान ..अपने खुद के घर में तो खरोंच भी नहीं आने दे )ऊपर से मुस्कुराते " अरे .. बच्चे तो ऐसे ही करते हैं शरारतें ..कोई बात नहीं " कितने नमूने गिनों उनके अभिनय के ....अनगिन ...
मगर कहाँ ....अभिनय के पुरस्कार की लाइन में भी हम मात ही खा गए ...देखे अपने आस पास नजर घुमा कर तो एक से एक अभिनेत्रियाँ भरी पड़ी है ...कई तो बाकायदा अभिनय कक्षा से प्रशिक्षित हो कर आई हैं ....
तभी कही पता चला कि ब्लॉग लेखन में भी मेडल मिलता है ....अब यहाँ बौद्धिक लोगों की आभासी दुनिया में पर रंग रूप कद कोई मायने नहीं रखता इसलिए अपने लिए अपार सम्भावना देख कूद पड़े मैदान में .....मगर ये क्या ...मुंड मुंडाते ही ओले पड़े ....सब एक से एक ज्ञानी ...फिर भी हम कौन इतना आसानी से मैदान छोड़ने वालों में से थे ..." कुछ बात हम ही में है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ..
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जहाँ हमारा "
बिना विदुषी हुए जो भी उल्टा पुल्टा आता था ...कहानी , कविता , संस्मरण , लेख सब लिख दिए ....मगर अभी मेडल प्राप्त करने के लिए बहुत मुकाम तय करने हैं ...पहले तो तस्वीर होनी चाहिए पर ( यहाँ भी मुंह देख कर तिलक निकाला जाएगा ...पता नहीं था )...और सबसे जरुरी रूग्ण स्त्रैणता / स्त्रियोचित मानसिक रुग्णता (?)नहीं होनी चाहिए ...मतलब रामचरितमानस के पाठ के साथ यहाँ वहां दिए गए लिंक में झाँकने की हिम्मत भी होनी चाहिए ...हाँ ...ये मध्यमवर्गीय रुग्णता तो हो सकती है ...और होगी क्यों नही ...हैं ही मध्यमवर्गीय ....क्यों नाहक भ्रम पाले ....यह रुग्णता सिर्फ और सिर्फ स्वयं की खिंची हुई लक्ष्मण रेखा को स्वीकार करती है ...दूसरों की बनाई हुए रेखाओं को नहीं ... इसलिए यहाँ भी कोई मेडल मिलने की संभावना दूर दूर तक नजर नहीं आ रही ....
एक अदाजी से थोड़ी बहुत उम्मीद थी कि देर सबेर कोई मेडल दे ही देंगी मगर उनके साहित्य पुरस्कारों की आवश्यक शर्तें देखकर आखिरी उम्मीद भी समाप्त हो गयी ....
चलिए... मत दीजिये कोई मेडल ...
बधाई तो दे ही दीजिये ....खिंच खांच कर 100 पोस्ट लिख दिए हैं ....
अग्रिम आभार ....
......................................................................................................................................................
बधाई !!
जवाब देंहटाएंये नारी के गुण बताये या किसी कातिल की सजा..
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
सबसे पहले तो 'अदा दुस्साहसी साहित्य पुरस्कार' आपके ही नाम हुआ...बहिन जी गोड़ लागू, चिकोटी काटू प्रसंग के बाद किस में हिम्मत कि आपको पुरस्कृत न करे....
जवाब देंहटाएंपूरा वृतांत पढ़ कर बस मज़ा आ गया...मेरे पास शब्द ही नहीं है कि कैसे इस आलेख की तारीफ करूँ...क्या साहसी प्रवाह है...यह तो किसी वीरांगना का ही हृदय होगा जिसने खुले तौर पर स्वीकार कर लिया कि हम दोनों बुड्ढे हो गए हैं...हा हा हा....
सच इस आलेख ने बस मन्त्र मुग्ध कर दिया ...हर दृष्टि से...चहके विषय कहें, भाषा कहें, या भाव कहें....यह एक सम्पूर्ण आलेख है...
और इसके लिए तो
बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई !!!!
दिल से बहुत सारी बधाईयाँ.....और एक बात एक्टिंग में न तुझे कोई हरा सकता न मुझे....सारे ऑस्कर कम पड़ेंगे हमारे लिए ...हा हा हा हा
100 post poori karne ke liye ek truck badhai aur bhej rahi hun...utarwaa lena.. apne sahab se...:):)
जवाब देंहटाएंपहले तो इस शतकीय पोस्ट पर बहुत बहुत बधाईयाँ
जवाब देंहटाएंमगर यहाँ कोई तार्किक बात तो की ही नहीं जा सकती न
वो क्या है कि संस्कार तार्किकता के सर चढ़ बोलते हैं
और हर व्यक्ति अपनी जिन्दगी जीने को स्वतंत्र है -
मानवाधिकार भी यही दिन रात चिल्लाता है /
अगर किसी की शख्सियत को यूं तुलना कर पुरस्कार देने लगें तो पुरूषों को तो लेने के देने पड जाएंगे। पुरूषों को आखेट करना होगा। , जंगल से लकडी ला घर में जलावन के लिये देना होगा। विरोधी को परास्त करने के लिये अस्त्र शस्त्र उठाना होगा।
जवाब देंहटाएंअब यह सब करने लगें कि आखेट करेंगे तो ही उत्तम पुरूष होंगे तो सबसे पहले तो वन विभाग वाले ही केस कर देंगे। सलमान जैसे को चरा रहे हैं, हर चौमासे जयपुर केस में बुलवा रहे हैं वह देख आखेटन से डर लगता है।
जलावन के लिये लकडी लेने जांय तो फिर वही वन विभाग वाले पीछे पड जांय। पेड काटने के जुर्म मे अंदर हो जांय। ईधर पत्नी इंतजार ही करती रह जाय।
और जब अस्त्र शस्त्र उठा कर पुरूषोचित गुण निभाने जांय तो पता चले कि बगैर लाईसेंस धर लिये गये।
अब आप ही बताईये, ऐसे में कैसे पुरस्कृत हो कोई पुरूष :)
पोस्ट शतक छूने की बधाई।
वाणी जी,
जवाब देंहटाएंढूंढो तो अच्छी पत्नियां दुनिया के हर कॉर्नर में मिल जाएंगी...
अफ़सोस हमारी धऱती गोल है, यानि इस पर कोई कॉर्नर ही नहीं है...
जय हिंद...
शतकीय पारी पर बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंक्या डूब कर लिखा है,इसकी भी बधाई.
शतक लगाने के लिये हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई. आपका शतक भी वाकई शानदार शतक है. लाजवाब लिखा है आपने इन सौ रचनाओं में. अब नाट आऊट डबल सेंच्युरी लगाने की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंपुन: बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.
रामराम.
शतकीय पोस्ट की बधाई तो ले ही लिजिये और शुभकामनाएँ भी. :)
जवाब देंहटाएंशतक लगाने पर बधाई। बड़े ही आनन्ददायक अंदाज से लिखी गयी पोस्ट। लेकिन ऐसी पोस्ट पढ़कर हमें भी लगा कि हम भी किसी पुरस्कार के काबिल नहीं हैं। एक भी तो गुण नहीं मिलता।
जवाब देंहटाएंशतक के लिए बधाई...
जवाब देंहटाएंलेख बहुत प्रभावी है....और लेखन शैली गतिमय ....आनन्द आया पढ़ कर....बहुत बहुत बधाई
बहुत ही सुंदर पोस्ट। दिलचस्प भाषा-शैली, बेहतरीन वाक्य-विन्यास और हिंदी तो उफ़्फ़्फ़्फ़...
जवाब देंहटाएंप्रोफाइल में जाकर देख आये हैं कि ब्लौग-जगत में एको साल पूरा नहीं हुआ है। शतकीय पारी इस लिहाज से सचमुच बधाई के काबिल।
बधाई १०० शतक भी और इतने सच्चे मन से दिल की बात लिखने की भी :) इस के सामने मेडल भी क्या चीज है :)
जवाब देंहटाएंसब से पहले तो अपनी 100वीं पोस्ट के लिये बधाई स्वीकार करें और ये आपकी पोस्ट पढ कर हमारी भी एकमात्र आशा जाती रही। अब इतना साहस नही कि हम भी अपने पति से कुछ कहें वैसे आपकी पोस्ट पर सतीश जी ने नहले पर दहला भी मार दिया। हा हा हा । बधाई और ले लीजिये। आप मेरे शहर मे आयें मैडल का थोक मे आर्डर दे दूँगी। वाकायदा किसी सैलिब्रिटी से दिलवायेंगे । आपके पति भी आपसे रश्क करने लगेंगे तभी तो उन्हें पता चलेगा कि आप इस काबिल हैं वैसे सच कहूँ मन ही मन उन्हें पता होता है मगर मैडल देना नही चाहते कहीं आपको गरूर न हो जाये। शुभकामनायें इस लाजवाब पोस्ट के लिये।
जवाब देंहटाएंsabse pahle to vani ji 100 vi post ki hardik badhayi ...........aap isi tarah likhti rahiye aur humein aapki hajarvi post ka intzaar hai..........aur jahan tak medal ka sawaal hai hum de to rahe hain roj kitne hi medal milte hain aapke pathak aapko dete hain to uske baad mere khyal se to aur kisi medal ki jaroorat hi nhi hai..........vaise lekh bahut hi pasand aaya .........aapka sense of humour lajawaab hai.
जवाब देंहटाएं१०० वीं पोस्ट और वो भी इतनी धमाकेदार ... मज़ा आ गया पढ़ कर ...
जवाब देंहटाएंआप चिंता न करें इतना कमाल का लिखने पर पुरूस्कार तो मिलना लाजमी है ......
मार ली सेंचुरी एक दम धडाके से चलिए बढिया किए आप , और हां अरे मेडलवा कौन चीज़ है एतना प्रेम से दुनु जन कल्याण बांचे के दूसरे को सुना रहे हैं तो इससे बडा है का कौनो मेडल ...और ई अदा जी आ दुनु मिल के काहे नहीं एक ठो नाटक कंपंनी खोल लेते हैं ..जब देखो आप उनको आउर उ आपको नौटंकी कहते रहते हैं
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
मम्मी जी सबसे पहले तो आपको बहुत -बहुत बधाई देना चाहूंगा आपके सौवें पोस्ट के लिए । रही बात पुरस्कार की तो मुझे नहीं लगता कि आप जो भी लिखती है उसके लायक यहाँ कोई पुरस्कार है या आप कह सकती है कि उसका कोई आकलन करने वाला ही नहीं , जिससे आपको पुरस्कार मिले । और आप खुद ही एक पुरस्कार हो हिन्दी ब्लोगिंग के लिए , इसीलिए लिखती रहें बढ़िया-बढ़िया और हम पढ़ते रहें बढ़िया-बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंशतक के लिए बहुत बहुत बधाई वाणी जी ...
जवाब देंहटाएंऔर इस रोचक लेख के लिए दोगुनी बधाई...वाकई अब तो यकीन हो गया कि हम बीबीयाँ किसी भी तरह के मेडल की हकदार नहीं होती...हर जगह बस हाथ पांव मारती रह जाती हैं हा हाहाह
keep writing why do you need a medal for your thoughts that you share ?? people read it that is enough as blog is merely a diary and nothing more , better still you get so many comments which in itself is more than a medal
जवाब देंहटाएंthat you have a blog space of your own is a boon use it to the best of your knowledge and purpose
last but least
i never ignore your post dear its just that my cup of tea is different then yours !!!!!!! so my absence should not be treated as ignorance
100 post soon should be 1000 all the best now and always
जवाब देंहटाएंचलिए कोई बात नहीं मैडल के लिए न सही लेकिन बेहतरीन शतकीय पारी के लिए तो आपको बधाई दे ही सकते हैं :)
जवाब देंहटाएंयह पोस्ट तो एक खूबसूरत मजाक रही । लेकिन फिर कहेंगे कि आपको किसी मेडल की जरूरत ही नहीं है , किसी पुरुस्कार को आपकी जरूरत हो तो बात अलग है :)
जवाब देंहटाएंक्या करने हैं गाजे-बाजे ...
अये हये वाणी...क्या शतक मारा है...एकदम सिक्सर पोस्ट से पूरी की है शतक ...बहुत बहुत बधाई....जल्दी ही हजारवीं पोस्ट की बधाई देने का मौका भी दो...शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमजाक में ही सही , लेकिन मेरी तरफ से बधाई स्वीकारें, वाणी जी !:)
जवाब देंहटाएंबधाई.
जवाब देंहटाएंदी.... मैं तो तीस पार कर चुका हूँ कबका... पर देखने में २५ का ही कगता हूँ.... हाँ! इस सर्दी में मोटा हो गया था तो ज्यादा का लगने लगा... पर फील तो सोलह का ही करता हूँ .... ही ही ही ही इह इही ....
जवाब देंहटाएंशतक लिये बधाई.... आपको....
100 पोस्ट?! वाह! बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंmedal bhi... badhayee bhi.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई जी, सैकडे़ पर।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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आदरणीय वाणी जी,
बहुत शानदार रहा आपका यह आलेख,
१०० वीं पोस्ट की बधाई।
आभार!
सॊंवी ओर अति सुंदर लेख के लिये बधाई, वेसे आज कल मेडल मिलता नही खरीदना पडता है,
जवाब देंहटाएंवाणी जी..
जवाब देंहटाएंआपका शतक सचिन के शतक से कोई कम ख़ुशी नहीं दे रहा है...इसलिए बधाई भी हमें तहे दिल से देंगे...और हां. मायूस न हो, मेडल के लिए आर्डर दे दिया है ज्वेलर को..हमारा नाम बोल देना बस मिल जायेगा...और आपके लेखन का जो फ्लो रहा उस में कही कोई दरार आ ही नहीं रही थी...तो हम तो फिसलते ही चले गए...
अभी बधाई से काम चलाये...
पहले शतकीय लेखन-प्रकाशन पर हार्दिक बधाई स्वीकारें। विश्वास है इस वर्ष दोहरा शतक भी हो जाएगा। शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई.. और हाँ एक मुफ्त की सलाह भी ..आप मेडल के चक्कर में कहाँ लगी हैं ..आप दूसरों को मेडल दीजिये ..इसलिये कि मेडल लेने वाले से देने वाला हमेशा बड़ा होता है ।
जवाब देंहटाएंपोस्ट पर कुछ नहीं !
जवाब देंहटाएंशतक की बधाई ।
इतने समय से सीधा -सादा जैसा -तैसा लिखा हुआ झेलने के बाद भी आप लोगों द्वारा दी गयी बधाई ने अभिभूत कर दिया है ....इस उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल से बहुत आभार ....
जवाब देंहटाएंब्लॉग पोस्टिंग में नाबाद शतक की हार्दिक बधाई.........
जवाब देंहटाएंवाणी जी आपकी लेखनी को सलाम .....अद्भुत और बेमिशाल ......!!
जवाब देंहटाएंमेरी और से तो आपको १०० में से १०० अंक .....!!
और हाँ बाद में आ पहले शतकीय पारी के लिए हार्दिक बधाई ......!!
मज़ा आ गया ,क्या अंदाज़ है --शतक पूरा करने का ,बहुत बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनायें .a
जवाब देंहटाएं