शनिवार, 18 सितंबर 2010

भागवत में कृष्ण ....

अभी पिछले दिनों एक परिचित का घर आना हुआ ...सेवानिवृति के बाद उनका ज्यादा समय धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन , तीर्थस्थान भ्रमण , भागवत -रामायण सुनते पढ़ते ही बीतता है ...भागवत श्रवण में कई रोचक जानकारियों और प्रेरक प्रसंगों से प्रभावित होकर उन्होंने इन्हें कलमबद्ध किया है ...मेरे पढने के शौक को देखते हुए एक प्रति मुझे भी थमा गए .....हालाँकि यह सबकुछ विद्वान् लेखकों की पुस्तकों में पढने को मिल सकता है , मगर मुझे सरल सहज शब्दावली के कारण कई अबूझे से प्रसंगों का ज्ञान इस पुस्तिका से प्राप्त हुआ ... अभी उनसे अनुमति नहीं ले पायी हूँ इसलिए उनका नाम नहीं लिख रही हूँ ...

उनका कहना है ....." मेरा इन प्रसंगों को लिखने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि भागवत की कथाओं का सार तथा उनके ज्ञान का प्रसार प्रचार घर बैठे काम समय में हो सके ....

कृष्ण के मथुरा जाने के बाद पुनः राधा से उनका मिलना कब हुआ ...विभिन्न पुस्तकों में कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी या फिर उनकी गूढ़ भाषा में उलझ कर रह गयी ...इस छोटी से पुस्तिका में उन्होंने इसका वर्णन इस प्रकार किया है ....

भागवत वेद रूपी वृक्ष का पका फल है तो तोते की ज्ञान रूपी चोंच से मीठा है ....जगत का आधार कृष्ण है और कृष्ण का आधार राधा है परन्तु भागवत में राधा का नाम भी नहीं आया है .....इसके चार कारण बताये गए हैं ...
1. शुकदेव की गुरु राधा थी "
. राधा गुरु मंत्र है
3.राधा कृष्ण का आधार है
4. कृष्ण ही राधा है राधा ही कृष्ण है अर्थात राधा एक महाशक्ति है

इनका जन्म नहीं हुआ है । राधा अयोनिज है । वह कमल से पैदा हुई । इसी प्रकार सीता पृथ्वी से तथा रुक्मिणी कमल के पत्तों से । कृष्ण की एक ज्योति को भी राधा माना गया है । कृष्ण 11वर्ष की उम्र तक ही वृन्दावन में रहे इसी कारण इस लीला को वात्सल्य लीला कहते हैं ...
कृष्ण का राधा के प्रति प्रेम देख कर कहा गया है कि ---
राधा तुम बड़भागिनी , कौन तपस्या कीं
तीन लोक तारण तरन , इसमें मेक मीन

वृन्दावन सो वन नहीं , नन्द गाँव सो गाँव
राधा जैसी भक्ति नहीं , मित्र सुदामा जान ॥

11वर्ष की बाल्यावस्था में राधा व कृष्ण बिछड़ते हैं , कृष्ण ने राधा को केवल बांसुरी दी थी जिसे उसने जीवन पर्यंत यादगार के रूप में अपने पास रखी । वापिस कब मिलना होगा , ऐसा पूछने पर कृष्ण भी बता नहीं पाए ...इसलिए कहा है :-
" बंशी दिए जात हूँ , राधा मेरे समान
अबके बिछड़े कब मिले , कह सके भगवान्

राधा -कृष्ण का बचपन का अमर वात्सल्य प्रेम था । राधा व कृष्ण का विवाह नहीं हुआ था ... आचार्य चतुर सेन शास्त्री के अनुसार राधा व कृष्ण दोनों ही 11वर्ष की अवस्था में बिछड़ते हैं और जीवन के लम्बे थपेड़े खाते हुए 80 वर्ष की अवस्था में जब प्रेम रूपिणी वियोगिनी राधा वृद्धा ,अंधी और जर्जर हो जाती है तथा कृष्ण शोक , दग्ध , भग्न और अभिशप्त हैं तो दोनों का मिलन महा -शमशान में होता है । दोनों अपने पुत्र - पुत्रों को ढूँढने कुरुक्षेत्र में आये थे । प्रेम के प्रभाव से जीवन कहाँ कैसा बीता , वे जानते नहीं थे । वास्तव में उनका मिलन कारण रूप है , कार्य रूप नही ....

राम 12 कला के अवतार थे तो कृष्ण 16 कला के अवतार थे । कृष्ण ने सान्दीपन गुरु से उजैन में शिक्षा ली तथा गुरु के मारे हुए पुत्र को पुनः जीवित किया । कृष्ण ने सिर्फ 64 दिन तक की शिक्षा प्राप्त कर 64 विद्याएँ सीखी । कृष्ण योगीराज थे , मोर भी योगी होता है । उसके आंसुओं को पीकर ही मोरनी गर्भवती होती है । इसी कारण योगी मोर की पंखुड़ी योगिराज कृष्ण धारण करते थे । कृष्ण 4वर्ष गोकुल में व 11 वर्ष 55 दिन वृन्दावन में रहे ।
कृष्ण ने वृन्दावन में चार वस्तुओं का त्याग किया था ...
1 कृष्ण ने कभी मुंडन नहीं कराया
2. चरण पादुकाएं नहीं पहनी अर्थात नंगे पाँव घूमे
3. कभी शास्त्र नहीं लिया
4. कभी सिले वस्त्र नहीं पहने

कृष्ण के वृन्दावन में पैदल घूमने के कारण ही आज उस धाम की मिट्टी को सर पर लगाते हैं , पवित्र मानते हैं । वृन्दावन की सेवा कुंज में आज भी सूर्यास्त के बाद नर , वानर , पशु व पक्षी नहीं जाते हैं ...इस सेवा कुंज की विशेषता है कि इसमें न तो फल लगते हैं , न ही फूल ...इसमें पतझड़ का असर भी नहीं होता ...

भागवत में सतयुग में विष्णु का ध्यान , त्रेता में यज्ञ का , द्वापर में कृष्ण- सेवा का तथा कलयुग में नाम- जप का महत्व बताया गया है । कलयुग में मानसिक पुण्य का फल मिलता है तथा मानसिक पाप का फल नहीं मिलता । राजा परीक्षित को सर्प डसने का शाप जब श्रृंग ऋषि के पुत्र ने दिया तो श्रृंग ऋषि ने नाराज होकर अपने पुत्र को श्राप दिया कि कलयुग में ब्राह्मण का श्राप नहीं लगेगा । कृष्ण स्वयं भी शापित थे ....


भागवत के कुछ चुने हुए प्रसंग अगली कड़ी में ...


अभी मेरी पसंद से सुनिए वाणी जयराम की आवाज़ में मीरा का एक गीत ....



24 टिप्‍पणियां:

  1. वाणी जयराम की वाणी और पण्डित रविशंकर का संगीत - जादू तो होना ही था।

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  2. राधा रानी की जय,
    महारानी की जय,
    बोले बरसाने वाले की,
    जय, जय, जय।

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  3. आपने बाजी मार ली ...मुझे कृष्ण पर लिखना था ,मायावी छलिया मन बसिया नटवरलाल पर ..अप पूरा कर लें ...
    राधा का चरित्र भक्तों के लिए सहज है मगर बुद्धिजीवियों के लिए विस्मयकारी ...हाँ बिना राधे श्याम सुन्दर आधे हैं
    किन्तु इतना होने पर भी राधा का उल्लेख भागवत ,महाभारत व् कई प्रामाणिक पुराणों में नहीं मिलता ..
    राधा का मतलब है विशेष रूप से आराधना करने वाली नारी ...
    लौकिक पक्ष से राधा श्रीकृष्ण की प्रिया ,अर्धांगिनी तक मानी गयी है
    आखिर बाल्य प्रेम पर ही जोर क्यों ? :)

    मेरी भव बाधा हरो राधा नागर सोय जा तन की झाईं पड़े श्याम हरित दुति होय

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  4. वृन्दावन सो वन नहीं , नन्द गाँव सो गाँव
    राधा जैसी भक्ति नहीं , मित्र सुदामा जान ॥

    सत्य वचन ।

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  5. श्री कृष्ण की विख्यात प्राणसखी और उपासिका राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थी, राधा कृष्ण शाश्वत प्रेम का प्रतीक हैं...राधा को कृष्ण की प्रेमिका और कहीं-कहीं पत्नी के रुप में माना जाता हैं..ब्रज में राधा का महत्व सर्वोपरि हैं...
    गीत सुन कर आनन्द आ गया....

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  6. भगवत में कृष्ण ....अच्छी जानकारी ...इस विषय पर बहुत कुछ नहीं जानती ..एक पुस्तक पढ़ी थी ..दिनकर जोशी की ...श्याम एक बार तुम मिल जाते ....उसके आधार पर यही जाना था कि कृष्ण जब वृन्दावन से गए उसके बाद राधा से कभी नहीं मिले ...और कृष्ण के संसार त्याग का समाचार राधा को सुदामा से मिला था ...
    तुम्हारी इस पोस्ट से कुछ नयी बातें जानने का मौका लगा ...आभार

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  7. " बंशी दिए जात हूँ , राधा मेरे समान ।
    अबके बिछड़े कब मिले , कह न सके भगवान् ॥

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति.....

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  8. वाणी जी आपने तो कमाल कर दिया इसमे कुछ जानकारियाँ मेरे लिये नई हैं। बहुत बहुत धन्यवादगली कडी का इन्तज़ार रहेगा। धन्यवाद।

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  9. aapne to kuch is tarah sunaya ki ... sach kahun , geeta se kam nahin laga ,
    aankhon mein prakash ban paith gayi aapki lekhni

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  10. वृषभानुजा और हलधर के वीर में से वृषभानुजा अपन के पल्ले नहीं पड़तीं। हाँ, हलधर के वीर की बात ही और है।

    मीरा तो बस बहा ले जाती हैं:

    हरी तुम हरो जन की भीर...

    कोइ कहियो रे प्रभु आवन की ...

    सखी मोरी नींद नसानी हो ...

    मीरा जैसी सान्द्रता अन्यत्र बहुत कम मिलती है।

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  11. योगीराज से सम्बन्धित पोस्ट और मीराबाई का भजन सुन कर मन प्रसन्न हो गया!

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  12. आपने कहा कि उन सत्पुरुष का कहना है...
    उनका कहना है ....." मेरा इन प्रसंगों को लिखने का उद्देश्य मात्र इतना ही है कि भागवत की कथाओं का सार तथा उनके ज्ञान का प्रसार व प्रचार घर बैठे काम समय में हो सके ....
    तो मेरी आपसे वनती है कि आपके पास जो संकलन है,उसकी एक प्रति मुझे भी जेरोक्स करा कर भेज दें...मैं आपका यह उपकार कभी नहीं भूलूंगी...

    बाकी पोस्ट की या गीत की क्या कहूँ...
    ह्रदय से आभार आपका...

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  13. आप कहेंगी तो अपना पता आपको मेल कर दूंगी...

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  14. आपने अपनी पोस्‍ट पर राधा का प्रकरण उठाकर बहुत अच्‍छा किया। वास्‍तव में इतिहास राधा के अस्तित्‍व पर मौन हैं लेकिन भक्ति मार्गियों ने राधा की उत्‍पत्ति की है। मन कई बार प्रश्‍न करता है कि योगीराज कृष्‍ण के चरित्र को अनावश्‍यक रासलीला से जोड़ दिया गया है। यह तो इतिहास का प्रकट सत्‍य है कि कृष्‍ण 11 वर्ष की आयु में ही वृन्‍दावन छोड चुके थे। फिर भी लोगों ने कैसे कृष्‍ण के चरित्र को रासलीला से जोड दिया? ऐसे कितने ही प्रश्‍न हैं बस लोगों की भावना से जुड़े प्रश्‍न है इसलिए मौन के अलावा कोई मार्ग दिखायी देता नहीं।

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  15. राधा श्याम के विषय में जितनी जानकारी थी , उससे अधिक मिली और ये ऐसा ज्ञान है जो हर कहीं नहीं मिलता. गीत भी बहुत मधुर और कर्णप्रिय है. इसीतरह से
    आगे भी अवगत करती रहें. धन्यवाद.

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  16. बहुत सारी नई जानकारी मिली...
    गीत तो बहुत ही मधुर और पसंदीदा भी है...सुनवाने का शुक्रिया

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  17. बहुत सी नयी जानकारी मिली है कृष्ण के बारे में ... अच्छे प्रसंद बताए हैं आपने ...

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  18. बहुत ही अच्छी अच्छी नई नई बातें पता चली आपकी आज की इस पोस्ट से .....गीत बहुत ही मधुर है .....आभार !

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  19. वे कृष्ण की क्या थी ????कहाँ मायने रखती है दोनों के प्रेम के आगे ये बात.प्रेम अपने उद्दात रूप में,अपनी पराकाष्ठा पर जब पहिन्चता है सब रिश्तों से परे हो जाता है.हर रिश्ता छोटा हो जाता है.या यूँ कहो हर रिश्ता उसमे सिम्त कर समा जाता है.राधे रानी वृद्धावस्था में अंधी हो गई थी?पहली बार जाना.वो तो यूँ भी 'अंधी' हो चुकी.....अच्छा लगा पढ़ कर सब कुछ.कोई कुछ भी कहे तुम्हारा कृष्ण अधूरा है राधेरानी के बिना ये तो मानोगी न्?

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  20. जी कहने को अब क्या है बस राधे राधे

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  21. जी कहने को अब क्या है बस राधे राधे

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