रोज सुबह की तरह ही मोबाइल का अलार्म बजा और श्रीमान जी ने झट से दबा दिया बटन कि अभी बस बजता ही जाएगा .अलसाया मन अलार्म की एक क्लिक पर कहाँ उठता है , कुछ मिनट के अंतर पर कई बार मधुर ध्वनि सुन लेने के बाद ही सुप्रभात संभव है . मगर आज अलार्म बंद करते ही अचानक चौंकते हुए उठे , जिसको अलार्म समझ कर बंद किया , वह मोबाइल की रिंग टोन थी . किसका फोन आ रहा था , इतनी सुबह . घडी में समय देखा तो सुबह के तीन बजकर अठावन मिनिट हुए थे .
इतनी सुबह फ़ोन और वह फी किसी के लैंड लाईन नंबर से . चिंता स्वाभाविक थी , आखिर इस समय कोई फ़ोन क्यों करेगा , किस मदद की जरूरत थी , या कोई जरुरी सूचना थी , क्या सोचता होगा वह इंसान की मैंने मदद के समय फोन काट दिया , जाने क्या क्या विचार मन में डोलते रहे . थोड़ी देर इन्तजार होता रहा की देखें , कहीं अगला दुबारा ही फ़ोन मिला ले . मगर लगभग दस पंद्रह मिनिट तक फ़ोन नहीं आने पर एक विचार मन में बना की क्यं ना इसी नम्बर पर फोन कर पूछ लिया जाए , अब तो मोबाइल क्या लैंड लाईन फ़ोन पर भी इनकमिंग नंबर दर्ज होने से मिस कॉल की सारी डिटेल मिल जाने की सुविधा रहती है . कही किसी ने गलती से ना मिला दिया हो , थोडा झिझकते हुए पुनः उसी नम्बर पर फोन किया तो उधर से आवाज़ आयी ." यह नम्बर अस्तित्व में नहीं है ".
अब तो होश फाख्ता होने ही थे . एक तो अनजान नंबर लैंड लाईन का , वो भी इतनी सुबह और वह नम्बर अस्तित्व में ही नहीं है . कुछ वर्षों पूर्व ऐसी घटना की बहुत चर्चा रही थी कि कुछ ख़ास नंबर से फ़ोन पर किसी महिला के रोने , सिसकने की आवाज़ आती थी , मगर उसी नम्बर पर फ़ोन करने पर सुनाई देता , यह नम्बर अस्तित्व में नहीं है . भय और रोमांच मिश्रित एक सिहरन सी हुई . रहस्यमय कथाएं या फ़िल्में इसी प्रकार तो देखी - सुनी जाती हैं . भटकती आत्मा से दूरभाष पर साक्षात्कार का एक अविस्मरणीय पल घटे बिना रह गया .
अनजाने ही सही , क्या जरुरत थी बिना सुने ही कॉल ऑफ करने की ,बार -बार यही अफ़सोस सताता रहा .
ओह , हम भी किसी ऐसी रहस्यमय घटना के साक्षी होते रह गए क्या ..हालाँकि यह जानकारी तो थी की कुछ वी आई पी नम्बर भी सिर्फ सुने जा सकते हैं , उन पर कॉल बैक नहीं किया जा सकता है , फिर भी रहस्य तो था ही कि आखिर यह फ़ोन हमारे पास क्यों आया .
कैसे पता करें , किसका फोन नम्बर है , पड़ताल करते श्रीमान जी बी एस एन एल की वेबसाइट पर पहुंचे . यह भी अच्छा हुआ की लैंड लाईन नंबर था वर्ना मोबाइल नम्बर की तो डाइरेक्टरी भी उपलब्ध नहीं होती . सच करने पर पता चला की उक्त नम्बर उनके दफ्तर के सामने स्थित किसी सरकारी भवन का है। अब चिंता का पहाड़ बढ़ता ही जा रहा था , जरुर किसी ने मदद के लिए फोन घुमाया होगा , मगर यदि ऐसा है तो नम्बर अस्तित्व में नहीं है , क्यों सुन पड़ रहा है . छुट्टी का दिन था , वर्ना ऑफिस जाकर ही माजरा जान आते . अब सोमवार का इन्तजार करने के सिवा चारा नहीं था . मगर दिन भर दिमाग में यही उधेड़बुन चलती रही , इतनी सुबह किसका फोन था , नम्बर क्यों नहीं लग रहा आदि -आदि .कई बार बच्चों से भी इस पर चर्चा हुई . अचानक शाम को चार बजे मोबाइल की आवाज़ पर बेटी ने उछलते हुए कहा ," पापा , यह तो फिर से वही नंबर है . सुबह से इतनी पड़ताल हो चुकी थी कि फोन नम्बर रट ही गया था . हम सबकी उत्सुकता भरी निगाहों से जानना चाह रहे थी की आखिर यह रहस्यम कॉल किसकी है , किसकी हो सकती है। श्रीमान जी ने कॉल सुनते ही स्पीकर ऑन कर दिया . " यदि आपको जुखाम के साथ तेज बुखार ,सर में दर्द है तो स्वाईं फ्लू की जांच अवश्य करवा ले " कम्प्युटराईज्ड ध्वनि में स्वास्थ्य विभाग की जनहित चेतावनी जारी हो रही थी . इस नंबर के अस्तित्व में नहीं होने की वज़ह समझ आ गयी .
धत तेरे की ...सारे रहस्य की ऐसी -तैसी हो गई .
अब हमारी सरकार की मुस्तैदी का जवाब क्या है , भोर के चार बजे फोन से नागरिकों को स्वाईंन फ्लू के खिलाफ चेता रही है , सही भी है , बीमारियाँ भोर अथवा शाम का समय देख कर थोड़े आती है . राहत भी हुई कि जनता को जागरूक करने के सरकारी काम भी इतनी चुस्ती -फुर्ती से होते हैं .
पुरानी रहस्यमय घटनाओं के सन्दर्भ और स्रोत भी समझ आ गए कि उक्त रहस्यमय घटनाओं के पीछे किसी स्त्री की दारुण व्यथा नहीं , बल्कि उनके लिए ऐसे किसी नम्बर का प्रयोग कर शरारत ही रही होगी .
रहस्यमय संसार अचानक ही सामान्य सा लगने लग गया , ये भी कोई बात है भला !!
बताइए तो ...और हमें लगता है की सरकार को जनता की फिक्र ही नहीं :) चलिए डर और सिहरन तो ख़त्म हुआ ...
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर वाकया को शेयर किये,ऐसा होता ही रहता है.
जवाब देंहटाएंहा हा हा ... रोचक शैली में पूरे सस्पेन्स के साथ आपने जो यह वृत्तांत सुनाया वह सुनकर बड़ा मज़ा आया।
जवाब देंहटाएंआपतो अच्छा सस्पेंस राईटिंग कर लेती हैं -और नंबर तो आप किसी को देती भी नहीं फिर किसी दुखियारे/री की चिंता ? बात हजम नहीं हुयी :-)
जवाब देंहटाएंHe bhagwan.... Ham bhi chintit ho gaye the padhte hue :):):)
जवाब देंहटाएं:) ऐसा होता है
जवाब देंहटाएंलो जी कर लो बात। इसे कहते हैं खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।
जवाब देंहटाएंरोचक किस्सा।
जवाब देंहटाएंअसमय कॉल से दिल धड़कने लगता है।
सुबह सुबह कोई चेता रहा था, हम रहस्यमय समझ रहे थे। खैर, ध्यान न देने वालों की दुनिया में चेताना भी रहस्यमयी कार्यों की श्रेणी में आता है।
जवाब देंहटाएंaap jaesi sthiti kaii baar hoti haen
जवाब देंहटाएंबेचारी सरकार अपने नागरिकों की चौबीसों घंटे चिंता में दुबली हुई जा रही है जो रात तीन बजे भी फ़ोन कर रही है और आपको रहस्य मयी संसार के किसी भूत प्रेत से रूबरू ना होने का गम सता रहा है?:) बहुत जोरदार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हाहाहहा, क्या बात, बहुत बढिया
जवाब देंहटाएंसुखांत अच्छी बात है!
जवाब देंहटाएंरोचक प्रस्तुति .... जिज्ञासा अंत तक बनी रही ....
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही रोचक शैली में आपने किस्से को लिखा है ... पहले तो लगा की पता नहीं क्या रहस्य है ...
जवाब देंहटाएंपर देखिये अपनी सरकार को भी ... पहले तो कुछ करती नहीं करती है तो बेसमय
रोंगटे तो हमरे भी खड़े होने लगे थे, आज कल रहस्य-रोमांच का जो दौर चल रहा है। अब हमरे यहाँ रात के 3.30 हुए है, अभी फुर्सत मिली है कुछ पढने की, और लोग-बाग़ है की डराते रहते है :):)
जवाब देंहटाएंरोमांचक आलेख !!
जवाब देंहटाएंपढ़ने में मज़ा आया !!
हा हा हा
जवाब देंहटाएंये भी कोई बात है भला!
जवाब देंहटाएंरहस्य बना रहता तो कई मौके आते रोमांचित होने के
आपको पता नहीं है, शुरू में दो तीन बार ऐसे ही होता है और जब तक आप ऐसी बातों के लिये सहज हो जाते हैं फ़िर आती है वो रोती सिसकती आवाज वाली कॉल :)
जवाब देंहटाएंसरकारें चेताती हैं, पहरुए की तरह, सचेत रहें चौबीसों घंटे, जागते रहो.
जवाब देंहटाएंSurprised ......कुछ वर्षों पूर्व ऐसी घटना की बहुत चर्चा रही थी कि कुछ ख़ास नंबर से फ़ोन पर किसी महिला के रोने , सिसकने की आवाज़ आती थी ...Is it possible ?
जवाब देंहटाएंबेचारी सरकार ?काम करे तो मुश्किल न करे तो मुश्किल ।
जवाब देंहटाएंवैसे सरकार अन्तर्यामी है उसने जान लिया था अभी अभी आपके सहित कई ब्लागर सर्दी ,जुखाम, बुखार ,से पीड़ित थे ।सही तो चेताया ।देखे अब किसकी बरी है ।ह्ह्ह्ह ....
लो ! अंत आने के पहले न जाने कितनी ही बाते दिमाग में घूम गई थी की ये हुआ होगा वो हुआ होगा और यहाँ तो खोद पहाड़ निकली चुहिया :) ये सब सरकारी कर्मचारियों का तेज दिमाग है ताकि लोग उसे फोन न करने को कहे और वो इस काम से पल्ला झाड ले :)
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंहमारी स्मृतियाँ, संचित अनुभव, सुसुप्त मन कईं तरह की सम्भावित कल्पनाओं को जन्म देते है।
जवाब देंहटाएंलो, यानी कि चाहिए था कोई अस्तित्व वाला नंबर हो और कहे ,अभी अभी ताज़ा कविता लिखी है, सोचा एक नंबर घुमा कर कविता सूना दूँ .
जवाब देंहटाएंभोर में कविता सुनना कैसा रहता :)
रोचक प्रस्तुतिकरण ... शुरू से अंत तक
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