शनिवार, 20 जुलाई 2013

संता -बंता का व्यक्तित्व प्रशिक्षण ...

भयंकर प्रतिस्पर्धी इस युग में अधिकांश मानव चाहे- अनचाहे तनाव , कुंठा ,मनोविकार , अवसाद से  गुजरते ही हैं . संतुष्ट ख़ुशी  जीवन बिताने वाले भी कभी न कभी ऐसे कठिन पलों का सामना करते हैं . इसलिए आजकल तमाम प्रकार के शिक्षण शिविर जैसे   जीवन जीने की कला , योग , तनावमुक्त कैसे रहें , जैसे चलने वाले केन्द्रों और गुरुओं की चल निकली है . कौन  नहीं चाहता लब्‍धप्रतिष्‍ठ, स्वस्थ , सर्वोच्च बने रहना .

संता -बंता इससे अछूते कैसे रहते . सोचने लगे कि आजकल धंधा भी मंदा चल रहा है तो क्यूँ ना ऐसा ही कोई शिक्षण शिविर लगा लिया करें , बड़े लोग आयेंगे , संपर्क होंगे , नाम -दाम सब मिलेगा . मगर एक मुश्किल थी कि उनके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं थी ,ना ही वे प्रशिक्षित थे . नामी- गिरामी अनुमोदनों के  बिना कौन आता उनकी कक्षा में .  जो सबसे पहले उन्होंने स्वयं  के प्रशिक्षण का जुगाड़ किया और एक ऐसे ही शिविर में अपना नाम दर्ज करवाया .

पहले ही दिन उपदेशक ने उन्हें पढाया ....

"व्यक्तित्व विकास की इस कक्षा में आपका स्वागत है .मैं आशा करता हूँ कि मेरे अनुभव और ज्ञान से आपलोग लाभान्वित होंगे ...आईये ...सबसे पहले हम जानते हैं व्यक्तित्व के बारे में....व्यक्तित्व क्या होता है ...हर इंसान अपने व्यवहार , आचार , विचार से एक विशिष्ट व्यक्ति होता है ...हर इंसान के अपने आपको अभिव्यक्त करने का तरीका होता है और इसी से उसका व्यक्तित्व उजागर होता है ...मगर सबसे पहले हम जान ले कि व्यक्ति कितने प्रकार के होते हैं.

प्रत्येक व्यक्ति इस समाज की ईकाई है , इसलिए स्वस्थ समाज की संरचना के लिए प्रत्येक व्यक्ति की आदतों और  सामाजिक व्यवहार का विश्लेषण करते हुए हम उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए सुझाव देते हैं , योजनायें बनाते हैं . सर्वप्रथम हम जानेंगे कि व्यक्ति कितने प्रकार के होते हैं . हमारे इस समाज में इन दिनों  चार प्रकार के व्यक्ति पाए जाते हैं जिनका वर्गीकरण हम निम्न लक्षणों के आधार पर करेंगे .

ये चार प्रकार के व्यक्ति इस प्रकार हैं ---

1..... वे जो हमेशा अपना और दूसरों का भला चाहते हैं , उनके लिए दुआएं करते हैं .

2.... वे जो तब तक दूसरों का भला करते हैं जब तक कि दूसरा उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाए .

3.... वे जो अपने फायदे के लिए दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं .

4.... वे जो बिना किसी अपने फायदे के दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं ...

आप सब सामाजिक  प्राणी है ,  आस पास व्यक्तियों के इन प्रकारों से आपका मेलजोल होता ही होगा ,  अब आप सब मुझे इन चारों प्रकार के व्यक्तियों के उदहारण देकर समझाएं .

संता -बंता ने आपस में विचार- विमर्श कर चार उदाहरण खोज ही निकाले . दोनों एक साथ ही उठ खड़े हुए . मगर मुश्किल ये कि एक बार में एक ही व्यक्ति को बोलने की इजाजत थी . दोनों की खींचतान में फंसे गुरूजी बोल पड़े ,"  ऐसा करों , तुम दोनों बारी- बारी से अपनी बात कहो ".

संता सर खुजाता हुआ खड़ा हुआ ...." सर जी , पहला उदहारण तो मेरा ही ले लो ....मैं किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता , सबके भले के लिए प्रार्थना करता हूँ " .

अच्छा बंता ,अब तुम बताओं .... उपदेशक ने पूछा.

बंता भी अपनी सीट से उठा ..."  सर जी , दूसरा उदहारण तो जी आप मुझे ही जान लो , जब तक कोई मुझे परेशान नहीं करता .... तब तक मैं भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता ".

अब फिर से संता की बारी आयी ...." ओ जी , सर जी , आप तो सब जानते ही हो जी ...मेरा भाई ....जालिम सिंह .....जहाँ उसको अपना फायदा नजर आ जाता है ....तो दूसरों को परेशान करने में पीछे नहीं हटता " .

अब बारी आई  चौथे उदहारण की . इस बार उपदेशक ने कहा कि तुम दोनों साथ मिल कर इसका एक उदहारण पेश करो ....

दोनों एक साथ बोल पड़े ...." लो जी , ये कौन सी मुश्किल है ....वे जो बिना अपने किसी फायदे को दूसरों को तकलीफ पहुंचाते है ...वो तो हैं जी...जी ...जैसे कि हिंदी ब्लॉगर और जी यह मामला जेंडर निरपेक्ष है ."

उपदेशक मन ही मन भयभीत हुआ . जो इतने  होशियार बन्दे रहे क्लास में , हर सवाल का जवाब ऐसी होशियारी से दिया ते मेरे उपदेश कौन सुनेगा मगर ऊपर से प्रसन्नता का प्रदर्शन  करते हुए मीठे  स्वर में कह उठा -- शाबास , जब तुम व्यक्तित्व के बारे में इतना कुछ जानते हो तुम्हे  प्रशिक्षण की जरुरत ही नहीं है ...मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है . जाओ और दूसरों को प्रशिक्षित करो.



27 टिप्‍पणियां:

  1. बढियां चल रहा है चिंतन शिविर -अब यह बताया जाय कि चौथे किसम वाले कौन कौन सा नुक्सान पहुंचाते हैं

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  2. संता -बंता को कुछ भी सिखाने समझाने की जरूरत नहीं......

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  3. अपने बारे में ऐसे विचार जान कर जी डूब गया जी !

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  4. बहुत खूब ! ये संता बंता तो बड़े छिपे रुस्तम निकले ! सबकी पोल जानते हैं और उन्हें चतुराई के साथ ढोल बजाना भी खूब आता है ! आनंद आ गया !

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  5. हिंदी ब्लॉगर्स की तो बात ही कुछ और है जी

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  6. :) क्या कहें , सोच रहें हैं इस गहरे जीवन दर्शन के विषय में .... लिखा एकदम ज़बरदस्त है

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  7. सन्ता बन्ताश्च से पूर्ण सहमति।

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  8. जय हो इस विचार विमर्श पे ... संत बनता अगर कुछ उधारण (व्यक्ति विशेष के) भी देते साथ में तो अच्छा था ...

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  9. बहुत खूब . .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (22.07.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी. कृपया पधारें .

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  10. कितने पते की बात कही है...संता बंता जैसे मासूमों के होते हुए किसी ौर ब्लागर की जरुरत नहीं है

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  11. क्या पता भविष्य में संता बता भी हिन्दी ब्लॉग जगत में आने की सोच ले ....

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  12. मौजूदा हालत में आर जगह संता बंता से मुलाकात होती है
    latest post क्या अर्पण करूँ !
    latest post सुख -दुःख

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  13. संता बंता की तो बात ही अलग है:)

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  14. संता बंता की तो हिंदी ब्लॉगर्स पर एथॉरिटी लगती है ।

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  15. बेचारे हिन्दी ब्लॉगर्स..... संता बंता ने भी नहीं छोड़ा उनको ...

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  16. आदरणीय दिगंबर नासवा जी के प्रस्ताव\कमेंट का बिना शर्त समर्थन :)

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  17. ." लो जी , ये कौन सी मुश्किल है ....वे जो बिना अपने किसी फायदे को दूसरों को तकलीफ पहुंचाते है ...वो तो हैं जी...जी ...जैसे कि हिंदी ब्लॉगर और जी यह मामला जेंडर निरपेक्ष है ."

    संता बंता दोनों ने अपना मत बिल्कुल निरपेक्ष भाव से रखा है इसलिये उनको इस साल का "महा समालोचक अवार्ड" दिये जाने की सिफ़ारिश की जाती है.:)

    रामराम.

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  18. हिंदी ब्लोगर बेचारा किसी का नुकशान नहीं चाहता है असल में वो तो अकेला ही तलवार भांजता है जो उसकी जद में नहीं आते है सुरक्षीत रहते है , जो ज्यादा स्मार्ट बन कर करीब आते है वही नुकशान में होते है , हा कभी कभी अकेले तलवार भांजते बोर हो जाते है तो जो दूसरा भाज रहा है बस जरा सा उसकी तरफ खिसक जाते है और उसके बाद क्या होता है सब जानते है :)

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  19. यह ब्लॉग भी उनकी लिस्ट में आता है न

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  20. वाह मजेदार...लाजवाब प्रस्तुति।।।

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  21. वाह बढिया खिंचाई ब्लॉगरों की।

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