चित्र गूगल से साभार.... |
सत्यनारायण पूजा पर एकत्रित परिवार की सब स्त्रियाँ पूजा के बाद सबको प्रसाद खिला अब स्वयं भी तृप्त होकर आराम करते गप्पे लड़ा रही थीं. जैसा कि अकसर महिला मंडल की बैठकों में होता है, वही यहाँ भी होने लगा. अनुपस्थित छोटी बहू के बारे में बातें करते कोई ताली बजाकर हँस रहा तो किसी के चेहरे पर उपहास उड़ाती मुस्कान...
देखो तो. भैया कितना प्यार करते हैं. जब तक रसोई में थी, वही मंडराते रहे....
अरे हाँ, कोई शरम ही नहीं है बोलो. सबके सामने एक ही पत्तल में परोस कर खा रहे थे.
उसके मायके जाने की बात से इनकी आँखों से आँसू निकल आते हैं.
कोई कुछ कह रहा कोई कुछ. सबके साथ हँसती मुस्कुराती कविता अचानक गंभीर हो गई....
" अच्छा है न. आज के समय में दो लोगों के बीच प्रेम नजर कहाँ आता है. माँ बाप और बच्चों के बीच, भाई बहनों के बीच, पति पत्नी के बीच.... प्रेम आजकल दिखता कहाँ है....ऐसे नाशुक्रे समय में यदि दो लोगों के बीच इतना प्रेम है यो यह खुशी की बात हुई न. प्रेम में डूबे हुए दो लोगों को देखकर मुझे तो अच्छा ही लगता है!
सोचो, क्या तुम लोगों को अच्छा नहीं लगेगा यदि तुमसे इतना प्यार किया जाये....."
बात तो सही है. प्यार पाना किसे अच्छा नहीं लगेगा!
बातों का रूख सहसा ही परिवर्तित हो गया. सब स्त्रियाँ जैसे एक साथ सपनीली मधुरता में खो गईं एक संतोषजनक मुस्कान चेहरे पर सजाये....
अच्छी और सच्ची बातें जरा देर से समझ आती है
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
धन्यवाद!
हटाएंप्रेरक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंएकदम सही. शेष संसार में तो कहा जाता है कि प्यार करने वालों को सारा संसार प्यार करता है. हमें भी इन्हें देख खुश होना चाहिए और हो सके तो उनका उनका अनुकरण करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंइस दुनिया में खुश लोगों की बहुत जरूरत है जो दूसरों को भी खुशी दे सकें. 💐
हटाएंबहुत सुंदर..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हटाएंप्यार की ख्वाहिश सबके भीतर होती है, जिसे मिला उसके लिए खुश होना चाहिए
जवाब देंहटाएंबिल्कुल..👍
हटाएंसबके नसीब में प्यार होता भी नहीं,जहाँ और जिस हाल में मिले स्वीकार्य होना चाहिए 😘
जवाब देंहटाएंजी!😊
हटाएंआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 15 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१६-११ -२०१९ ) को " नये रिश्ते खोजो नये चाचा में नया जोश होगा " (चर्चा अंक- ३५२१) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
आभार!
हटाएंक्या बात है।
जवाब देंहटाएंविषय सहसा ही बदल दिया गया। वो भी एक उचित दिशा में।
कमाल का लेखन। जबरदस्त।
मेरी कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका
धन्यवाद!
हटाएंसार्थक सृजन सुंदर चिंतन ।
जवाब देंहटाएंप्यार के अस्तित्व पर गहरी भावाभिव्यक्ति।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंसही बात👏👏👏
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